अमेरिका में आज से ट्रम्प युग का आगाज

करीब 250  साल पहले आजाद हुए अमेरिका यानि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में आज से एक बार फिर से ट्रम्प युग का आगाज हो रहा है ।  ट्रम्प यानि डोनाल्ड ट्रम्प एक बार फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में सत्तारूढ़ हो गए हैं। 79  वर्ष के डोनाल्ड ट्रम्प दूसरी बार अमेरिका की कमान सम्हाल रहे हैं। लेकिन 67  फीसदी बहुसंख्यक ईसाई आबादी वाले अमेरिका को  इसाईस्तान बनाने की उनकी कोई मुहीम नहीं है ।  वे 47  वे राष्ट्रपति के रूप में अमेरिका को असली विश्व गुरु बनाये रखने के लिए कृतसंकल्प दिखाई देंगे।

भारत लोकतंत्र की जननी कहा और माना जाता है किन्तु आधुनिक युग में दुनिया का मजबूत लोकतंत्र अमेरिका में माना जाता है। अमेरिका में गोरे-काले ही नहीं बल्कि दुनिया बाहर के लोग हिल-मिलकर रहते हैं। यही बहुलता अमेरिका की असली  ताकत है।  98  हजार वर्ग किलोमीटर में फैले अमेरिका की आबादी फिलहाल 34  करोड़ के आसपास है। वहां आबादी बढ़ाने के लिए या ईसाइयत को सुरक्षित करने के लिए कोई नेता चार बच्चे पैदा करने की सलाह नहीं देता। वहां भारत की तरह कोई आरएसएस भी नहीं है इसलिए कोई भी राष्ट्रपति अमेरिका के हितों के लिए बनाई गयी पगडण्डी पर ही चलता है ,उसे बदलता नहीं है। ।  अमेरका में केवल राष्ट्रपति पद पर व्यक्ति बदलते हैं लेकिन उनकी विदेश नीति में कोई खास तब्दीली नहीं होती।

डोनाल्ड सर परा स्नातक [पोस्ट ग्रेजुएट ] हैं ,अपने देश के ए-1 ए-2  यानि धनकुबेर हैं। उनके सम्राज्य का नाम ट्रम्प ऑर्गनाइजेशन है। इसलिए ट्रम्प के पास गरीबी के किस्से नहीं है।  वे  गरीबों के बारे में सोचते जरूर हैं ,लेकिन उतना ही जितना की जरूरी है।  ट्रम्प बाल-बच्चेदार आदमी हैं। वे रणछोड़ भी नहीं हैं ,उन्होंने एक छोड़ तीन शादियां की और अनेक बच्चे भी। इसलिए उन्हें परिवार का भी गहन अनुभव है। ट्रम्प साहब राजनीति में पिछले 24  साल से हैं और 2016  में पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे।

अमेरिका के 45  वे राष्ट्रपति के रूप में दुनिया ने जिस डोनाल्ड ट्रम्प को देखा था, 47  वे राष्ट्रपति के रूप में शायद पुराने डोनाल्ड ट्रम्प न दिखाई दें ।  वे कठोर कदम उठाने के आदी हैं और लगता है कि शपथ ग्रहण के फौरन बाद वे इस बार भी अमेरिका के हित में तमाम कठोर    कदम उठाएंगे। अमेरिका के कठोर कदमों का असर या बुरा असर भारत पर भी पड़ सकता है ,आपको याद हो तो अपने पहले कार्यकाल में डोनाल्ड सर अपनी कड़वी  आव्रजन नीतिके लिए चलाये गए  अभियान के कारण  विवादास्पद रहे थे। । उन्होंने अवैध आप्रवासियों को बाहर रखने के लिए मेक्सिको-संयुक्त राज्य सीमा पर एक और अधिक महत्वपूर्ण दीवार बनाने का वादा किया और उस पर आगे भी बढ़े थे।  उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले अवैध आप्रवासियों को व्यापक रूप से निर्वासित करने का वचन दिया, था  और उस पर अमल  भी किया  था। वे "एंकर बच्चों" बनाने के लिए जन्मजात नागरिकता आलोचक भी रहे हैं। ट्रम्प कि निर्वासन अपराधियों, वीजा ओवरस्टे और सुरक्षा खतरों परभी अपना  ध्यान केन्द्रित करते आये  हैं।

सियासत को लेकर माननीय ट्रम्प साहब का फंडा एकदम साफ़ है ।  उन्होंने कोई 24  साल पहले ही कहा था कि -' "राजनीतिक जीवन निर्दयी होता है, जो काबिल होते हैं वे बिजनेस करते हैं।" ट्रम्प के देश में सत्ता हस्तांतरण न  ब्रिट्रेन की तरह फटाफट होता है और न भारत की तरह दो-चार दिन मे। अमेरिका में चुनाव परिणाम आने के बाद ट्रम्प साहब को सत्ता सम्हालने के लिए दो -ढाई महीना लग जाता है। बहरहाल ट्रम्प महोदय  का दूसरा शपथ ग्रहण समारोह मेहमानों  की फेहरिस्त की वजह से सुर्खिओं में है ।  अमेरिकी प्रशासन ने दुनिया के तमाम वर्तमान और पूर्व राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया लेकिन भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी को छोड़ दिया,जबकि वे ट्रम्प साहब के अजीज मित्र कहे जाते हैं। भारत के राष्ट्रपति को भी तवज्जो नहीं दी गयी।  लेकिन भारत के  प्रमुख उद्योगपति मुकेश अम्बानी को शपथ ग्रहण समारोह में जरूर आमंत्रित किया गया।

कुल मिलाकर अमेरिका में ट्रम्प युग से भारत को नफा  होगा या नुक्सान ये कहना और इसका अनुमान लगना आसान नहीं है ।  ट्रम्प साहब के दूसरे कार्यकाल में दुनिया के हालात पहले जैसे नहीं है ।  पिछले 4  साल में दुनिया में बहुत कुछ बदला है । बहुत कुछ घटा है,इसलिए ये तय है कि ट्रम्प साहब भी अपने आपको बदलेंगे ही। हम उम्मीद कर सकते हैं कि भारत के साथ अमेरिका के जो द्विपक्षीय रिश्ते हैं वे और प्रगाढ़ होंगे और ट्रम्प साहब को भारत के तीसरी बार प्रधानमंत्री बने आदरणीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी साबरमती के तीर पर झूला झूलने में कोई संकोच नहीं करेंगे। विदेशी मेहमानों को झूला झुलाना भारत की विदेश नीति का अघोषित अंग है ।  नेहरू और इंदिरा गाँधी के जमाने में ये सब नहीं होता था। चूंकि मेरे भी दो पौत्र अमेरिकी नागरिक हैं इसलिए  उनकी ओर से और  मेरी ओर से भी अमेरिका के नए राष्ट्रपति को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

@ राकेश अचल  


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