पद्म पुरस्कारों के पैमाने बदलने का समय

देश के 76  वें गणतंत्र दिवस पर, 7 लोगों को पद्म विभूषण, 19 को पद्म भूषण और 113 को पद्म श्री से नवाजा गया है. इसमें 37  साल के गायक अरिजीत सिंह और 100  साल के साहिय्कार रामदरश मिश्र के अलावा दिवंगत हो चुकी संगीतकार शारदा सिन्हा, तक शामिल है। मै सभी पुरस्कृत सज्जनों को मुबारकबाद देते हुए ये कहना चाहता हूँ कि  अब समय आ गया है जब इन पुरस्कारों के चयन का तरीका बदला जाये,क्योंकि या तो ये पुरस्कार देने में सरकार बहुत जल्दबाजी कर देती है या फिर बहुत देर । इतनी देर कि  पुरस्कार लेने वाला ही धराधाम पर नहीं रहता। 

भारत सरकार ने इस साल जिन लोगों को पदम् विभूषण सम्मान से नवाजा है उनमें ,दुव्वुर नागेश्वर रेड्डी (मेडिसिन) -न्यायमूर्त(सेवानिवृत्त)जगदीश सिंह खेहर (सार्वजनिक मामले) ,कुमुदिनी रजनीकांत लाखिया (कला) लक्ष्मीनारायण सुब्रमण्यम (कला)एम. टी. वासुदेवन नायर (साहित्य और शिक्षा) मरणोपरांत ,ओसामु सुजुकी (व्यापार और उद्योग) मरणोपरांत ,शारदा सिन्हा (कला) मरणोपरांत शामिल हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता एम. टी. वासुदेवन नायरका निधन 91  वर्ष की वी में गत दिस्मबर में हुआ। ओसामु सुजुकी  की उम्र 94  वर्ष थी और शारदा सिन्हा 74  वर्ष की आयु में गत वर्ष नबंवर में दिवंगत  हुईं। यदि इन मनीषियों को उनके जीवनकाल में ही सम्मान दे दिया जाता तो शायद ज्यादा बेहतर होता,लेकिन सरकार फैसले लेने में अक्सर देर करती है।

इस साल पद्मभूषण सम्मान  ए सूर्य प्रकाश (साहित्य और शिक्षा - पत्रकारिता)अनंत नाग (कला), बिबेक देबरॉय (मरणोपरांत) साहित्य और शिक्षा ,जतिन गोस्वामी (कला) ,जोस चाको पेरियाप्पुरम (चिकित्सा) ,कैलाश नाथ दीक्षित (अन्य - पुरातत्व) ,मनोहर जोशी (मरणोपरांत) सार्वजनिक मामले नल्ली कुप्पुस्वामी चेट्टी (व्यापार और उद्योग).नंदमुरी बालकृष्ण (कला) ,पीआर श्रीजेश (खेल) ,पंकज पटेल (व्यापार और उद्योग) ,पंकज उधास (मरणोपरांत) कला ,रामबहादुर राय (साहित्य और शिक्षा पत्रकारिता)साध्वी ऋतंभरा (सामाजिक कार्य ),एस अजित कुमार (कला) ,शेखर कपूर (कला),सुशील कुमार मोदी (परणोपरांत) सार्वजनिक मामले और -विनोद धाम (विज्ञान और अभियांत्रिक.] के लिए दिया गया है।  इसमें से मनोहर जोशी  88 साल के हो गए थे लेकिन उनके नाम पर उनके जीवित रहते हुए विचार नहीं किया गया।पंकज उधास 74  साल के होकर चलते बने तब उन्हें सम्मान देने की सुध आयी। यही सब 74  साल के सुशिल कुमार मोदी के साथ हुआ । वे जीते जी न बिहार के मुख्यमंत्री बन पाए और न पद्म पुरस्कार हासिल कर पाए। यही सब प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष बिबेक देब्राय कि साथ हुआ। उन्हें भी जीते जी सम्मान नहीं दिया जा सका। 

पद्म पुरस्कारों के चयन का कोई मान्य पैमाना है या नहीं ,ये देश नहीं जानता ।  इन पुरस्कारों केलिए आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं लेकिन तमाम के नाम खुद सरकार चुनती है ,अन्यथा जो दिवंगत  हो चुके वे तो आवेदन करने से रहे। पुरस्कारों का कोई राज्य कि हिसाब  कोटा है या नहीं ,ये भी किसी को पता नही।  सरकार आखिर  ये पुरस्कार देती किस आधार पर है ? अब देखिये न इसी साल  महाराष्ट्र को  14 ,तमिलनाडु को  उत्तर प्रदेश को  10 ,पश्चिम बंगाल और कर्नाटक 9 -9 ,दिल्ली,बिहार और गुजरात को 8 -8  ,मप्र,आंध्र प्रदेश,केरल  और असम को 5 -5 ,ओडिशा को 4 ,राजस्थान को 3 ,,तेलंगना,जम्मू-कश्मीर,पंजाब और हरियाणा को 2 -2,झारखण्ड,चंडीगढ़,त्रिपुरा,महालय,गोवा,लद्दाक,सिक्किम,हिमाचल को 1 -1  सम्मान मिले  है। 

मेरी स्मृति में पद्म पुरस्कार देने में पक्षपात हर सरकार करती है ।  हर पार्टी की सरकार पुरस्का देने से पहले पाने वाले की पूंछ उठाकर देखती है ।  इस मामले में चाहे कांग्रेस हो या भाजपा सभी एक जैसे है।  मुझे याद है कि  जब नरेंद्र कोहली जी को 2017  में पद्मश्री देने की घोषणा की गयी तब वे 77  साल के थे। उन्होंने गोहाटी में मुझसे कहा था कि गनीमत है कि  भाजपा की सरकार केंद्र में आ गयी ,अन्यथा उन्हें ये पुरस्कार नहीं मिलता। जाहिर है कि  सरकारें पुरस्कार देते समय अपना-पराया देखतीं हैं। मै इन पुरस्कारों को लेकर कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहता,लेकिन मेरा कहना है कि  इन सभी पुरस्कारों को पक्षपात,घृणा या राग -द्वेष से परे रखना चाहिए। 

अव्वल तो पुरस्कार पाने वाले को जीते -जी मिलना चाहिए और वो भी तब, जब उसके पांव या तो कब्र में न लटके हों।मरणोपरांत पुरस्कार देने की क्या तुक है ? मरणोपरांत पुरस्कार देने कि पीछे का मकसद सिवाय राजनीति कि कुछ और हो नहीं सकता। मिसाल कि तौर पर 100   साल कि रामदरश मिश्रा अब इस सम्मान का क्या सुख लेंगे ? या जो दिवंगत आत्माएं हैं वे इस सम्मान का क्या अचार डालेंगी ? यदि आप किसी की प्रतिभा को 37  साल की उम्र होते ही पहचान लेते हैं तो फिर किसी की प्रतिभा को पहचानने कि लिए आपको उसके 100  साल कि होने या  दिवंगत होने का इन्तजार क्यों करना पड़ता है ? बहरहाल मै सभी सम्मानित महानुभावों को बधाई देता हूँ ,और उम्मीद करता हूँ की सरकार भीषय में जिस तरह से सब कुछ बदल रही है उसी तरह पद्म पुरस्कार देने की प्रक्रिया भी बदलेगी। 

@ राकेश अचल

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