नवरात्रि का नाम सुनते ही मां दुर्गा जी के रूप ध्यान में आने लगते हैं
जिसे शक्ति के साधना के रूप, में जाना जाता हैं
बहुत कम लोग यह जानते हैं कि नवरात्रि वर्ष में चार बार आती हैं दो बार प्रकट रूप में दो बार गुप्त रूप में कह लाती है।
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि श्री विक्रम संवत् के प्रारंभ में चैत्र माह शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक नौ दिन और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक नौ दिन प्रकट रूप में एवं माघ शुक्ल प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक और आषाढ शुक्ल प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक दो बार गुप्त रूप से नवरात्रि वर्ष में आती हैं इस प्रकार पूरे वर्ष में चार बार आती हैं।
इनके आने के साथ ऋतु परिवर्तन अर्थात ग्रीष्म ऋतु, वर्षा,शरद एवं बसंत ऋतुओं का आगमन होता है।
चैत्र माह और आश्विन मास की नवरात्रि में शक्ति देवी मां दुर्गा जी के नौ दिनों में नौ अलग अलग स्वरूपों का पूजन,ध्यान,साधन किया जाता है। जबकि गुप्त नवरात्रि में 10 गुप्त महाविद्याओं की पूजन,ध्यान,साधना करते हैं l कहते हैं चारों नवरात्रों में शक्ति की आराधना से व्यक्ति के समस्त दुःख, ताप,नष्ट होकर व्यक्ति सुख ,समृद्धि,पूर्वक यश कीर्ति प्राप्त करते हुआ जीवन जीता है।
जैन ने कहा इस बार गुप्त नवरात्रि माघ शुक्ल प्रतिपदा उदिया तिथि 30 जनवरी गुरुवार धनिष्ठा नक्षत्र में प्रारंभ होगी जो 06 फरवरी गुरुवार को ही नवमी तिथि होने के साथ पूर्ण होगी इस बार की गुप्त नवरात्रि नौ दिन की बजाय आठ दिनों में ही पूर्ण होजाएगी कारण इस बार चतुर्थी एवं पंचमी 02 फरवरी रविवार की है इस में पंचमी तिथि का क्षय हो रहा है।
इस लिए गुप्त नवरात्रि की दश देवियों,दश महाविद्याओं काली,तारा, त्रिपुरसुंदरी भुवनेश्वरी,छिन्नमस्ता, त्रिपुरभैरवी,धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला समेत 10 देवियों की साधना की जाती हैं।
*घट स्थापना का मुहूर्त :-*
30 जनवरी गुरुवार प्रथम मुहूर्त प्रातः 09: 21 बजे से 10:41 बजे तक ।
द्वितीय मुहूर्त 12:09 बजे से 12:53 बजे तक अभिजीति मुहूर्त में
घट स्थापना,देवी शक्ति आह्वान श्रेष्ठ है। अनुचित समय ,अमावस्या युक्त प्रतिपदा एवं रात्रिकाल में घट स्थापना से बचना चाहिए।
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