अविमुक्तेश्वरानद की सुनिए दिल्ली वालो


ज्योतिष पीठ द्वारिका के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानद सरस्वती ने महाकुम्भ हादसे में मौनी अमावस्या पर हुई मौतों के लिए सीधे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दोषी करार देते  हुए उन्हें तत्काल पद से हटाने की मांग की है। शंकराचार्य   ने योगी को ' महाझूठा ' भी कहा। अब सवाल ये है कि क्या भाजपा हाईकमान स्वामी अविमुक्तेश्वरानद की बात मानेगी ?

महाकुम्भ से पहले ही कुम्भ मेलों में हादसे होते आये हैं ,लेकिन ये पहली बार हुआ की सरकार ने भगदड़ में हुई मौतों का आंकड़ा  जारी करने में पूरे 18 घंटे का समय लिया। मुख़्यमंत्रो योगी आदित्यनाथ पूरे दिन कहते रहे कि  भगदड़ में कोई नहीं मरा और उनकी बात मानकर ही महाकुम्भ में तीन शंकराचार्यों के अलावा तमाम अखाड़ों ने शाही स्नान किये ,जबकि भगदड़ में कम से कम 30 लोग अपनी जान गंवा चुके थे। स्वामी अविमुक्तेश्रानद का गुस्सा इस बात को लेकर है कि  यदि मुख्यमंत्री ने झूठ न बोला होता तो कम से कम प्रयागराज में मौजूद संत समाज मृतकों के प्रति श्रृद्धांजलि अर्पित करने के लिए उस दिन उपवास तो कर ही लेता। 

प्रयागराज में भगदड़ की न्यायिक जांच करने की बात कही गयी है ,दूसरी तरफ सरकार ने घटनास्थल  पर जेसीबी और ट्रेक्टर लगाकर पूरी सफाई करा दी है ,इससे अब कोई साक्ष्य ही नहीं बचे।  अब खबरें आ रहीं हैं कि  भगदड़ केवल संगम नोज पर ही नहीं एक और घाट पर भी हुई थी ,वहां भी लोग मरे गए ,लेकिन सरकार ने इस सबको छिपा लिया। आखिर सरकार को ऐसा करने की जरूरत क्या पड़ी ? क्या सही संख्या बताने से कोई फांसी पर चढ़ाया जा सकता था ? ये सब सरकार ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए किया , अब उत्तर प्रदेश की सरकार बुरी तरह  फंस गयी है।

 स्वामी अविमुक्तेश्वरानद को आप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रतिद्वंदी  नहीं कह सकते।   वे मौजूदा चारों  शंकराचार्यों में सबसे ज्यादा मुखर शंकराचार्य हैं।  आपको याद होगा कि  उन्होंने गत वर्ष अयोध्या में राम मंदिर  में प्राण प्रतिष्ठा  समारोह का बहिष्कार भी किया था।  वे गौहत्या पर प्रतिबंध न लगाने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की न सिर्फ आलोचना कर चुके हैं बल्कि उन्हें कसाई तक कह चुके हैं।वे अम्बानी कि बेटे की शादी में भी पहुँच गए थे।  दुर्भाग्य ये है कि  योगी को हटाने की मांग करते हुए वे अकेले है।  शेष तीन शंकराचार्यों के अलावा महाकुम्भ में मौजूद 14  अखाड़ों के पीठाधीश्वरों ने फ़िलहाल चुप्पी साध रखी है।  सत्ता प्रतिष्ठान का विरोध करने का साहस शायद और किसी में है भी नहीं। अखाडा प्रमुखों को तो आप पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का जलाभिषेक करते हुए देख ही चुके हैं। 

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि मौजूदा सरकार को सत्ता में रहने का अब नैतिक अधिकार नहीं है।उन्होंने कहा कि भगदड़ की घटना ने  सरकारी इंतजामों की पोल खोल दी है. अधिकारी महाकुंभ में 40 करोड़ और मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का दावा पहले ही कर रहे थे. इस हिसाब से उन्हें व्यापक तैयारी करके रखनी चाहिए थी।कि यह मौजूदा सरकार की बहुत बड़ी विफलता है. ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह गया है.सरकार को खुद ही हट जाना चाहिए या फिर जिम्मेदार लोगों को इस मामले में दखल देना चाहिए. यह ऐसी दुखद घटना है जिसे सनातनियों की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़े किए हैं 

इस मामले में संत समाज का मौन सालता है ,लेकिन नगीना से लोक सभा सांसद और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने भगदड़ के लिए बागेश्वर धाम सरकार धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री को दोषी बताया है। उन्होंने बागेश्वर बाबा पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करने की बात कही है। चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ ने कहा कि एक बागेश्वर बाबा हैं जिन्होंने वहीं कुंभ में खड़ा होकर कहा था कि जो यहां नहीं आएगा मौनी अमावस्या पर जब यहां अमृत वर्षा होगी वो देश्द्रोशी होगा। मैं मानता हूं कि जो लोग वहां गए और अव्यवस्था की वजह से जिनकी जान गई। उन सभी के जिम्मेदार बागेश्वर बाबा है। उनपर मुकदमा करके उन्हें जेल में डाल देना चाहिए।

 प्रयागराज  कुम्भ  में अभी 3  और शाही स्नान होना बाकी  है।  मुझे नहीं लगता कि  भाजपा हाईकमान  भगदड़ के बाद मुख्यमंत्री को हटाने का कोई निर्णय कर पायेगी ।  भाजपा को और आरएसएस को अभी योगी आदित्यनाथ की जरूरत है। वे संघ की मांग में उधर का सिन्दूर हैं जो पिछले अनेक विधानसभा चुनावों में भाजपा के बहुत काम आये हैं। दुर्भाग्य से दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा योगी का इस्तेमाल नहीं कर पायी,क्योंकि प्रयागराज में भगदड़ हो गयी। अब देखना ये है कि  ये देश एक शंकराचार्य के साथ खड़ा होते है या एक योगी मुख्यमंत्री के खिलाफ। आपको बता दें की शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानद पहले भी कह चुके हैं की योगी को मठ और सत्ता में से किसी एक को चुन लेना चाहिए ,क्योंकि कोई योगी यानि संत सत्ता प्रतिष्ठान के लायक नहीं होता और कोई मुख्यमंत्री संत नहीं हो सकता। संत मुख्यमंत्री के रूप में उतना उदार नहीं हो सकता जितना की संत को होना चाहिए। 

महाकुम्भ में भगदड़ का हादसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कि 5  फरवरी को महाकुम्भ में आने को लेकर भी सवाल खड़े कार रहा ह।  लेकिन मुझे लगता है की प्रधानमंत्री जी अपने तय समय पर महाकुम्भ में डुबकी लगाएंगे। वे कुम्भ से दूर रहकर अपने आपको देशद्रोही थोड़े ही कहलवाना चाहेंगे।कायदे से तो उन्हें हादसे कि फौरन बाद प्रयागराज में होना चाहिए था लेकिन वे शायद साहस नहीं जुटा पाए। वे यदि हादसे कि बाद प्रयागराज आ जाते तो उनके प्रति जनता का आदर भाव बढ़ता ही।  

@ राकेश अचल

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