रूपया गिरा, लेकिन रुपये वाले नहीं

 डालर के मुकाबले भारतश् का रुपया भले ही धूल चाने को मजबूर हो लेकिन जिनके पास अकूत रुपया है उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड रहा. उनकी हैसियत बरकरार है, हिंदुस्तान में भी और अमेरिका में भी. खबर है ककि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भले ही भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को न बुलाया गया हो लेकिन मुकेश अंबानी को जरूर बुलाया गया है.

भारतीयों को समझ लेना चाहिए कि विश्व गुरु बनने के लिये पद नहीं रुपये की जरुरत पडती है, यदि ऐसा न होता तो अंबानी सर मोदीजी पर भारी न पडते.अंबानी 18 जनवरी को वॉशिंगटन डीसी पहुंचेंगे।  शपथ ग्रहण समारोह में अंबानी दंपती को अहम सीट मिलेगी। वे ट्रम्प कैबिनेट के नोमिनेट मेंबर्स और इलेक्टेड ऑफिसर्स के साथ बैठेंगे।

 अमेरिका से खबर आई है कि शपथ ग्रहण के साथ ही कैबिनेट का एक स्वागत समारोह और उपराष्ट्रपति का डिनर भी होगा, जिसमें अंबानी परिवार शामिल होगा। नीता और मुकेश अंबानी 19 नवंबर की रात राष्ट्रपति ट्रम्प और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ कैंडललाइट डिनर में शामिल होंगे।

शपथ ग्रहण के दौरान ट्रम्प अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। इससे पहले वे 2017 से 2021 के बीच 45वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर चुके हैं। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समारोह में शामिल हो रहे हैं.

 ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह में इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले, हंगरी से विक्टर ऑर्बन, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली मौजूद रहेंगे.अमेरिकी उद्योगपतियों में इलॉन मस्क के अलावा, जेफ बेजोस, मार्क जुकरबर्ग और सैम ऑल्टमैन मौजूद रह सकते हैं।

ट्रम्प के शपथ ग्रहण में रिकॉर्ड चंदा शपथ ग्रहण समारोह के लिए ट्रम्प की टीम को रिकॉर्ड चंदा मिला है। ट्रम्प से बेहतर रिश्ता बनाने के लिए उद्योगपति जमकर फंडिंग कर रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अभी तक 170 मिलियन डॉलर आ चुके हैं। यह आंकड़ा 200 मिलियन डॉलर तक भी पहुंच सकता है।

पिछली बार बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह में 62 मिलियन डॉलर  का चंदा इकट्ठा हुआ था। वहीं ट्रम्प के 2017 के शपथ ग्रहण समारोह में 107 मिलियन डॉलर  इकट्ठा हुए थे। अब ये पता नहीं है कि चंदा देने वालों मे ं मुकेश अंबानी भी शामिल हैं या नहीं. वैसे अमेरिका सरकार चंदा देने वालों को भी फ्री  वीआईपी पास नही दे रही है.

अंबानी को आमंत्रण मिलने से भारत का मान बढा है. काश कि अडानी भी वहां होते, लेकिन वे अमेरिका पुलिस के लिए एक अपराधी हैं इसलिए उन्हे ये सम्मान नहीं मिला. मुकेश अंबानी की जगह यदि मै होता तो अमेरिका का आमंत्रण विनम्रतापूर्वक ठुकरा देता. कहता कि मै तभी आऊंगा जब मेरे प्रधानमंत्री को ससम्मान आमंत्रित किया जाए.लेकिन मुकेश अंबानी राकेश अचल नहीं हैं. उनकी और ट्रंप साहब की बिरादरी और गोत्र एक है. दोनों धन कुबेर है. कारोबारी हैं. वे किसी और की परवाह क्यों करने लगे?

माननीय मोदी जी की उपेक्षा से मै आम भारतीय होने के नाते  मै भी दुखी हूं. मै यदि मोदी जी का अंधभक्त होता तो अभीतक  अमेरकी दूतावास पर प्रदर्शन कर चुकका होता. वार्ड स्तर पर  अमेरिका प्रशासन के पुतले जलवा चुका होता. लेकिन कमाल है कि मोदीजी और उनके अंधभक्त अपमान का कडवा घूंट पीकर बैठे हैं. हे राम! 

@  राकेश अचल

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