शनिवार, 15 फ़रवरी 2025

धर्म का धंधा सबसे चोखा धंधा

 

यदि आप निवेश करने की सोच रहे हैं तो एसआईपी,एफडी ,शेयर बाजार के फेर में न पड़े।  निवेश के लिए कलियुग में धर्म का क्षेत्र सबसे ज्यादा सुरक्षित है।  मुमकिन है कि आपको मेरी बात पर यकीन न आये,या आप मेरी बात को धर्म विरोधी अथवा सनातन विरोधी कह उठें ,लेकिन मै जो कह रहा हूँ ,वो सोलह आने सच है।  यदि आपको मेरी बात पर भरोसा नहीं है तो आप उत्तर प्रदेश के उत्तरदायी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बूझ लीजिये। धर्म क्षेत्र में निवेश करने भर से उत्तर प्रदेश सरकार की बल्ले-बल्ले हो गयी है। वो भी एक महीने में। 

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 12  जनवरी 2025  से शुरू हुया कुम्भ अब समापन की और  है ।  एक महीने के कुम्भ में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जहाँ भगदड़ में कुल 30  लोग मरे वहीं देश के 50  करोड़ लोगों ने कुम्भ में डुबकी लगाकर उत्तर प्रदेश सरकार को डूबने से बचा लिया। सरकार ने मात्र 15000 करोड़ रूपये का निवेश कर कुम्भ से करीब 3  लाख करोड़ रूपये की कमाई कर दिखाई। आपको याद होगा की इस समय उत्तर प्रदेश के  हर आदमी के ऊपर 31  हजार रूपये का कर्ज है। सरकार पर तो ये कर्ज लाखों करोड़ का है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथने ये रहस्योद्घाटन एक सरकारी समारोह में किया। 

भारतीय परंपरा और इतिहास में  धर्म में निवेश का जरिया अब तक केवल मंदिर थे । मंदिरों हमारी आस्था के साथ-साथ देश की समृद्ध धार्मिक विरासत के भी प्रतीक हैं। एक अनुमान के मुताबिक देशभर में 5 लाख से अधिक मंदिर हैं। देश में कई ऐसे मंदिर हैं जहां हर साल करोड़ों का चढ़ावा आता है। लोग मंदिरों में जाकर मन्नत मांगते हैं और इसके पूरी होने पर अपनी हैसियत के मुताबिक मंदिरों में रुपये, सोना और चांदी आदि दान करते हैं।उत्तर परेश सरकार ने पहली बार धर्म के जरिये खजाना भरने की तकनीक का इस्तेमाल किया ,अन्यथा कुम्भ तो  सदियों से आयोजित होता रहा है ,लेकिन कुम्भ को इवेंट बनाकर कमाई पहली बार की गयी है।पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी धर्म क्षेत्र में निवेश की अक्ल नहीं आई थी।  

आपको बता दें कि  केरल में स्थित पद्मनाभ स्वामी मंदिर भारत का सबसे अमीर मंदिर है। ये मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में है। इस मंदिर की देखभाल त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार द्वारा की जाती है। इस मंदिर को खजाने में हीरे, सोने के गहने और सोने की मूर्तियां शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर की 6 तिजोरियों में कुल 20 अरब डॉलर की संपत्ति है। यही नहीं, मंदिर के गर्भग्रह में भगवान विष्णु की बहुत बड़ी सोने की मूर्ति विराजमान है, जिसकी कीमत 500 करोड़ रुपये है।तिरुपति मंदि। में हर साल लगभग 650 करोड़ रुपये दान के रूप में देते हैं। लड्डू का प्रसाद बेचने से ही मंदिर को लाखों रुपये की कमाई होती है। तिरूपति मंदिर भगवान वेंकटश्वर को समर्पित है, जिन्हें विष्णुजी का अवतार माना जाता है। माना जाता है कि मंदिर के पास नौ टन सोने का भंडार है और विभिन्न बैंकों में फिक्स डिपॉजिट में 14,000 करोड़ रुपये जमा हैं।

जाहिर है कि  हमारे देश में युद्धक विमान बनाने,परमाणु ऊर्जाक्षेत्र में निवेश करने से जितना मुनाफ़ा नहीं   हो सकता जितना कि  धर्म के क्षेत्र में निवेश करने से हो सकता है।  कुम्भ में कमाई को देखते हुए मुमकिन है कि  आगामी आम बजट में हमारी केंद्रीय वित्तमंत्री अपने सीतारामी   बजट में धार्मिक क्षेत्र  में निवेश के लिए एफडीआई शुरू कर दें। ताकि विदेशी भी इस क्षेत्र में निवेश कर कुछ कमाई कर सकें  और भारत की अर्थ व्यवस्था को 5  ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान कर सकें।  इस्कॉन तो पहले से ही इस क्षेत्र में निवेश कर माल पीट रहा है। इस्कान के मंदिर ही नहीं बल्कि भोजनालय और रिसोर्ट भी अकूत कमाई कर रहे हैं। 

हाल की अमरीका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से धर्म के क्षेत्र में अमरीकी निवेश की बात करना थी ।  भारत अमेरिका को तो कुछ और तो बेचने से रहा इसलिए कम से कम धर्म का क्षेत्र निवेश के लिए खोलकर अमेरिका से तेल,फाइटर  विमान और न्यूक्लियर  इनर्जी खरीदने से होने  वाले घाटे की भरपाई तो कर ले।  वैसे भी भारत के पास खरीदने के अवसर तो हैं लेकिन बेचने के नहीं।  भारत ज्यादा से ज्यादा अपना आत्म सम्मान बेच सकता है ,सम्प्रभुता गिरवी रख सकता है। हमारी मौजूदा सरकार ने ये काम किया है।भारत की धरती पर अवैध प्रवासियों को लेकर ए अमेरिका कि सैन्य विमानों को उतरने की अनुमति देकर।  काश  ! मोदी जी धर्म के जरिये योगी की तरह कुछ कमाने के लिए अमरीका,चीन या रूस के साथ कोई संधि कर पाते।

मुझे उम्मीद है कि  योगी जी के सफल प्रयोग के बाद अब भविष्य में उत्तराखंड,महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की सरकारें धर्म क्षेत्र में निवेश के लिए नयी योजनाएं बनाकर कमाई का नया स्रोत विकसित करने का साहस जुटा पाएंगी। मुमकिन है की योगी जी अखिलेश यादव जैसे अपने आलोचकों का मुंह भी कुम्भ से हुई कमाई दिखाकर बंद करने की कोशिश करें। अब सम्भवामि युगे-युगे की जगह धर्मक्षेत्रे युगे-युगे कहा जाएगा 

@ राकेश अचल

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