गोदी मीडिया हो या मोदी मीडिया प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी की अमेरिका यात्रा की कामयाबी के यशोगान में लगा है। लेकिन ये देश तभी इस कीर्ति गाथा का हिस्सा बन सकता है जब माननीय मोदी जी खुद प्रेस के सामने विस्तार से अपनी अमेरिका यात्रा का विवरण देश को दें। ये इसलिए जरूरी है क्योंकि अमेरिका ने अवैध प्रवास के आरोपी भारतीयों को भारत वापस भेजते समय अमानवीयता का रवैया छोड़ा नहीं है। मोदी जी क्या अमेरिका को मानवीयता का पाठ भी नहीं पढ़ा पाए ?
मोदी जी की अमेरिका यात्रा से पूरे देश को तमाम उम्मीदें थीं लेकिन मोदी जी अमेरिका से केवल खरीद-फरोख्त के मसौदों पर दस्तखत कर वापस लौट रहे हैं। और उनके आगे-पीछे डंकी रुट से अमेरिका गए भारतियों के दल भी भारत भेजे जा रहे हैं।डंकी रूट से अमेरिका गए 116 भारतीयों को लेकर एक विशेष विमान शनिवार 15 फरवरी, 2025 की देर रात अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। इनमें सबसे ज्यादा पुरुष थे, जिन्हें यात्रा के दौरान हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़ा गया था. निर्वासितों में पंजाब के 67 लोग हैं, जबकि 33 लोग हरियाणा के रहने वाले हैं। हमवतनों को मनुष्यों की तरह विमान से उतरते न देख हर भारतीय का मन उदिग्न है सिवाय सत्तारूढ़ दल के और सत्ता के।
बड़ा शोर किया जा रहा है कि मोदी-ट्रम्प भेंट के बाद चीन कोई पिंडलियाँ काँप रहीं हैं, बांग्लादेश की नींद हराम हो गयी है और रूस सकते में है । लेकिन हमें क्या किसी को ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा। हमें तो भारत-अमेरिका के बीच इस भेंट -वार्ता से अनिष्ट ही अनिष्ट दिखाई दे रहा है। अमेरिका ने हमारे ऊपर जो टैरिफ लगाया है वो वापस नहीं हुआ । अमेरिका को हम फूटी कौंड़ी का अपना माल नहीं बेच पाए और अमेरिका ने हमें खटारा लड़ाकू विमानों से लेकर तेल-वेल सब बेच दिखाया। चतुर कौन निकला अमेरिका या भारत ? कहाँ गया माल बेचने का गुजराती कौशल ?
भारत के प्रधानमंत्री का कद शायद पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गाँधी से भी बड़ा है लेकिन हमें इससे हासिल क्या हो रहा है सिवाय जिल्ल्त के। अभी मोदी जी ने अमेरिका से रवानगी भी नहीं डाली थी की भारत को चुनाव में मिलने 'विदेशी फंडिग' पर हथौड़ा चल गया । एलन मस्क की अगुवाई वाले अमेरिकी सरकारी कार्यदक्षता विभाग [डी ओ जी ई ] ने कई खर्चों में कटौती की है। इसमें भारत के चुनावों में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए दिए जाने वाले 2.1 करोड़ डॉलर भी शामिल हैं। बांग्लादेश और नेपाल से जुड़े प्रोजेक्टों की फंडिंग को भी रोकने का ऐलान हुआ है। राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले महीने मस्क को इस विभाग का प्रमुख बनाया था। विभाग ने 'एक्स' पर पोस्ट करके इस कटौती की जानकारी दी। अमेरिका ने जो व्यवहार नेपाल और बांग्लादेश कि साथ किया ,वो ही भारत कि साथ किया है।
मोदी जी की अमेरिका यात्रा का सुफल ये है कि भारतीय दस्तकारी उत्पादों पर अमेरिका ने 29 फीसदी टैरिफ ठोंक दिया है ,इससे भारतीय कारीगरों की तो जैसे कमर ही टूटने वाली है ,लेकिन मोदी जी अमेरिका का हाथ नहीं रोक पाये । ट्रंप ने भारत पर जवाबी टैरिफ (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगना शुरू कर दिया है। इससे ट्रेड वॉर की टेंशन बढ़ गई है। ट्रंप बार-बार कह रहे हैं कि भारत बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है। अमेरिका में स्टील और एल्युनीनियम के आयात पर टैरिफ बढ़ाकर ट्रंप पहले ही भारतीय स्टील निर्यातकों को झटका दे चुके हैं। अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप का रुख बहुत सख्त दिख रहा है। वह किसी को बख्शने के मूड में नहीं हैं। दोस्तों और प्रतिद्वंद्वियों दोनों के साथ टैरिफ के मामले में उनका सलूक एक जैसा है।आपको बता दें कि अमेरिका का जिस देश के साथ भी व्यापार घाटा है, उसे नुकसान उठाना करीब-करीब तय है।
चलिए मान लेते हैं कि भारत अमेरिका की जमीन पर अकड़ कर नहीं बोल पाया,लेकिन क्या मोदी जी भारत लौटकर ट्रम्प चालों का जबाब देने का ऐलान कर सकेंगे ? क्या वे ट्रम्प और ब्रिक्स में से ब्रिक्स को प्राथमिकता देने की घोषणा कर पाएंगे ? क्या वे उसी तरह से ट्रम्प से पेश आ सकते हैं जैसे वे देश में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर चड्डी गांठते हैं ? अमेरिका में ट्रम्प के सामने उन्हें सांप क्यों सूंघ जाता है। क्यों नहीं उन्होंने भारतियों को ससम्मान भारत भेजने की शर्त रखी ? क्यों विश्वगुरु के रहते भारतीय मनुष्यों की तरह नहीं बल्कि डंकियों की तरह स्वदेश भेजे जा रहे हैं ? क्यों भारत की जमीन पर अमेरिका के सैन्य विमानों को उतरने की इजाजत दी जा रही है ? क्या भारत के पास अपने नागरिकों को अमेरिका से लाने के लिए विमानों का टोटा है ?
भारत के लिए सबसे ज्यादा लज्जा की बात तो ये है कि अमेरिका में साझा पत्रकार वार्ता में भारत के प्रधानमंत्री से पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल पर भारत के प्रधानमंत्री बगलें झांकते रहे और जबाब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दे दिया। भारत का इतना अपमान तो पूर्व के किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं कराया ,स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी ने भी नहीं। भाजपा के होते हुए भी अटल जी ने तोअमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद परमाणु परीक्षण कर दिखाया था और भारत के मान-अभिमान को बढ़ाया था। मोदी जी से नेहरू -इंदिरा को तो छोड़िये अटल जी से भी नहीं सीखा गया कि विदेश में देश का मान-सम्मान कैसे अक्षुण रखा जाता है ?
बेहतर हो कि भारत के प्रधानमंत्री प्रात: स्मरणीय, वंदनीय ,माननीय श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी अपनी अमेरिका यात्रा के बारे में देश के राष्ट्रपति को ,देश की सांसद को और देश के नागरिकों को खुलकर बताएं। यदि वे मौन रहते हैं तो समझ लीजिये कि आपके साथ छल किया जा रहा है। भारतीय अस्मिता के साथ खिलवाड़ को मौन होकर सहा जा रहा है।उल्लेखनीय है कि भारत में सभी मोदी जी के विरोधी नहीं है। कांग्रेस के शशि थरूर तक ने मोदी जी की सराहना की है। हमने भी की है, लेकिन अब हमें निंदा का भी अधिकार है। मोदी जी ने कुम्भ नहाकर भी अपने आपको देश के अपमान का अपराधी बना लिया है। उन्हें इससे विमोचित होना है तो वे कुम्भ भले न नहाएं लेकिन जनता से सच जरूर बताएं तो मुमकिन है कि उन्हें मोक्ष मिल जाये।
@ राकेश अचल
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