आस्था के महाकुम्भ को एक ' ईवेंट' में बदलते वक्त उत्तरप्रदेश सरकार ने सोचा भी नहीं होगा कि उनका लालच हिन्दुस्तान की अस्मिता को नीलाम करने की मंडी में तब्दील हो जाएगा। महाकुम्भ को ईवेंट बनाकर जहां यूपी सरकार ने अपनी तिजोरियां भर लीं वहीं अब संगम में स्नान करती निर्दोष सनातनी महिलाओं की अर्धनग्न तस्वीरें भी लोगों की कमाई का जरिया बन गयीं हैं। इस सबके लिए जिम्मेदार लोगों को क्या माफ़ किया जा सकता है ?
प्रयागराज में ही नहीं बल्कि हरिद्वार,नासिक और उज्जैन में न जाने कब से कुम्भ लगता आ रहा है ,आगे भी लगता रहेगा ,लेकिन इस धार्मिक आस्था के आयोजन में ' महा ' शब्द जोड़ा उत्तर प्रदेश की धर्मभीरु किन्तु लालची सरकार ने। सरकार ने कुम्भ में लोगों को आमंत्रित करने के लिए सारे स्वांग किया । ज्योतिषियों की मदद ली ,तकनीक की मदद ली और नतीजा ये है कि देश के सनातनियों में ऐसा धर्मिक उन्माद पैदा हुआ की आधा देश प्रयागराज की और कूच कर गया।। लोगों को लगा कि - अभी नहीं तो कभी नहीं '। फिर ऐसा कुम्भ न जाने फिर कभी आएगा, जिसमें स्नान करने से मोक्ष और पापमुक्ति की सौ फीसदी गारंटी मिल रही है।किस्सा ये है कि प्रयागराज के कुम्भ में आस्था की डुबकी लगाने गयी युवतियों और महिलाओं की अधनंगी तस्वीरें अब इंटरनेट पर नीलाम हो रहीं है। बाकायदा इनकी रेटलिस्ट जारी हो चुकी है। आप अपनी जेब खाली कर 'राम तेरी गंगा मैली हो गयी की अभिनेत्री मन्दाकिनी के जैसे उत्तेजक और अर्धनग्न दृश्य खरीद सकते हैं अपने मनोरंजन के लिये। धंधक धोरियों ने इसके लिए ' ओपन बाथ ' और 'हिडन बाथ ' ग्रुप बनाये हैं। इन समूहों की सदस्य्ता 1999 रूपये से लेकर 3000 हजार रूपये तक है। जिन महिलाओं और युवतियों की अस्मिता नीलाम हो रही हैं उन्हें इसका पता ही नहीं है।
महाकुम्भ से यूपी की सरकार तो पहले ही 3 लाख हजार करोड़ कमा चुकी है। आसपास अयोध्या और बनारस के मंदिरों ने भी धर्मभीरु जनता की जेबें खाली करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । अकेले अयोध्या में साल बाहर पहले प्रतिष्ठित हुए रामलला मंदिर ने कमाई के नए कीर्तिमान बना डाले। कुम्भ के महाकुम्भ बनाये जाने से अकेले सरकार ने ही नहीं बल्कि पर्यटन, होटल , आवास सेवाएं, फूड, पेय पदार्थ उद्योग, परिवहन , लॉजिस्टिक्स पूजा सामग्री, धार्मिक वस्त्र ,हस्तशिल्, पहेल्थकेयर , वेलनेस सेवाएं, मीडिया, विज्ञापन , मनोरंजन उद्योग, स्मार्ट टेक्नोलॉजी, सीसीटीवी-टेलीकॉम और एआई आधारित सेवाओं से भी अकूत कमाई की गयी। श्रृद्धालुओं को भनक ही नहीं लगी कि किस तरह उनकी आस्था के बहाने प्रयागराज और आसपास एक बड़ा धर्म का कारोबार खड़ा कर दिया गया है।
खबर है कि है कि 'डार्क वेब' की मदद लेकर बदमाश संगम में स्नान करती युवतियों और महिलाओं के वीडियो बेच रहे हैं। इस माले में जब तक पुलिस की नींद खुली तब तक असंख्य वीडियो बेचे जा चुके थे । अब पुलिस हालांकि पुलिस मामले को लेकर कार्रवाई कर रही है. महिला तीर्थयात्रियों के अनुचित वीडियो पोस्ट करने के आरोप में एक इंस्टाग्राम अकाउंट के खिलाफ 17 फरवरी को मामला भी दर्ज होने का दावा किया गया है। कुम्भ से सरकार को कमाई करते देख डार्क वेब ने भी हाथ आजमा लिये । आपको बता दें कि ' डार्क वेब ' को इंटरनेट की दुनिया का 'काला पन्ना' माना जाता है । ज्यादातर मामलों में साइबर अपराधी अपराध के लिए इसी का इस्तेमाल करते हैं। डार्क वेब एक ऐसा हिस्सा है जो इंटरनेट पर मौजूद है, लेकिन ये समान्य सर्च इंजन जैसे कि गूगल, बिंग के द्वारा एक्सेस नहीं किया जा सकता। यह एक प्रकार का एन्क्रिप्टेड नेटवर्क है जो विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग करके एक्सेस किया जा सकता ह। डार्क वेब का उपयोग अक्सर अवैध गतिविधियों के लिए किया जाता है। इसके अलावा, डार्क वेब पर साइबर अपराधी भी सक्रिय होते हैं जो व्यक्तिगत जानकारी चोरी करने और अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल होते हैं।
कुंभ में स्नान करती हमारी बहू -बेटियों, बहनों के स्नान वीडियो ऑनलाइन बाज़ार में बिकने लगे हैं और दुनिया का सबसे बड़ा शक्तिशाली आई टी सैल ,और 100 करोड़ श्रद्धालुओं की भीड़ व्यवस्थित कर सकने वाला परम प्रतापी मुख्यमंत्री कहॉं बैठा थे ? पूरी यूपी की पुलिस उन बदमाशों के इरादे और कारनामे नहीं भाँप पायी , देख कर भी पकड़ नहीं पायी ! योगी सरकार अब उन सारे वीडियो को हटवाने के लिये क्या कर पायेगी ,क्योंकि ये वीडियो तो अब हवा में तैर चुके हैं। इन्हें आसानी से विलोपित करा पाना सम्भव नहीं है। अच्छा हुआ कि मुसलमानों को संगम में नहीं आने दिया गया , वरना सबसे आसान था उन पर टेंटों में बार बार आग लगाने प्रयागराज में भगदड़ मचाने का ठीकरा उन्ही के सर फोड़ दिया जाता। अब कम से कम प्रयागराज में अस्मिता की मंडी लगाकर हो रही नीलामी और संगम जल को प्रदूषित करने का आरोप उन मुसलमानों पर नहीं लगाया जा सकेगा जिन्होंने भगदड़ के बाद प्रयागराज में फांसी बेबस सनातनियों को अपने मदरसों और मस्जिदों में पनाह दी थी।
हिंदुस्तान के इतिहास में धार्मिक आस्थाओं के साथ खिलवाड़ की ये पहली शर्मनाक घटना है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी केो देश से क्षमा मांगना चाहिए। और भविष्य में ऐसे धार्मिक आयोजनों को इवेंट बनाने की गलती दोहराई नहीं जाना चाहिए। हमें याद है कि एक जमाने में कुम्भ स्नान के लिए गृहस्थ आश्रम से मुक्त बड़े-बूढ़े ही जाया करते थे लेकिन इस कुम्भ को ईवेंट बनाकर सरकार ने अबाल--बृद्ध सभी को कुम्भ स्नान के लिए मजबूर कर दिया। लोग धक्के खाकर ,जान हथेली पर रखकर पुण्य लाभ के लिए आज भी दौड़े चले जा रहे हैं। जय हो ,जय हो। कुम्भ को पर्यटन उद्योग में तब्दील करने वालों की जय हो।
@ राकेश अचल
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