रविवार, 2 मार्च 2025

न सुनाई देने वाला हाहाकार भी सुनिए

 

आहें,चीखें और सिसकियाँ आदमी के दुःख की अभिव्यक्ति के वे रूप हैं जिसे सभी वाकिफ हैं,लेकिन कभी -कभी ऐसा भी होता है जब ये आहें,चीखें ,सिसकियाँ हमें सुनाई नहीं देती ,हालाँकि यदि हम इन्हें सुन सकें  तो इनका स्वरूप हृदय विदारक भी होता है तो कभी-कभी कारुणिक भी और कभी-कभी जुगुप्सा पैदा करने वाला . इन दिनों दुनिया भर में निवेशकों के बीच कोहराम है. कोई आहें भर रहा है ,कोई चीख रहा है और कोई सिसकियाँ लें रहा है लेकिन सुनाई किसी   को कुछ नहीं दे रहा .सबसे बुरी हालत तो हमारे अपने देश भारत की है .जहाँ शेयर बाजार  औंधें  मुंह पड़े हुए हैं और कोई किसी को ढांढस बांधने वाला नहीं है .

.शेयर बाजार में गिरावट समंदर में उठने वाले ज्वर-भाटे की तरह होती है.कभी-कभी ये सुनामी का रूप ले लेती है और जब सुनामी आती है तो सब कुछ तबाह हो जाता है. दुनिया के शेयर बाजारों में इस समय पिछले 40  दिन से सुनामी आयी हुई है. ट्रंपअनुशासन इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है .जानकार बताते हैं कि फरवरी की 28 तारीख को दिन की शुरुआत में ही सेंसेक्स में करीब 1000 अंकों की और निफ्टी में 300 अंकों की भारी गिरावट देखने को मिली. एक झटके में निवेशकों के 7.5 लाख करोड़ रुपए डूब गए.

बात कोई एक दिन की नहीं है.शेयर बाजार हर दिन डुबकियां ले रहा है . फरवरी 2025 में कुल 20 दिन शेयर बाजार खुला, जिसमें 16 दिन सेंसेक्स नेगेटिव रहा. पिछले 4 महीने में सेंसेक्स में 12 फीसद से ज्यादा गिरावट हुई है. प्रयागराज के कुम्भ में तो मान लीजिये की 62  करोड़ लोगों ने ही डुबकी लगाईं लेकिन शेयर बाजार में तो इसका कोई पुख्ता आंकड़ा ही नहीं है .

आपने आपको विश्वगुरु बताने वाले लोग भी देश के शेयर बाजार को डूबने से नहीं रोक पाए ,लेकिन एक अकेला चीन है जिसके  शेयर बाजार इस सुनामी से अप्रभावित दिखाई दे रहे हैं . चीन के ‘शंघाई स्टॉक एक्सचेंज कम्पोजिट इंडेक्स’ में अगस्त 2024 से जनवरी 2025 के बीच 15 प्रतिशत  का इजाफा हुआ है. जबकि हांगकांग के ‘हैंग सेंग इंडेक्स’ में सिर्फ एक महीने में 16  प्रतिशत  का उछाल दिखा है.आपको हक है कि  आप मुझसे सवाल करें  कि भारतीय बाजार में 28 साल की सबसे बड़ी गिरावट की क्या वजह है और पड़ोसी देश चीन का शेयर बाजार क्यों लगातार चढ़ता जा रहा है ?

सरकारी नौकरी से सेवानिवृत होने के बाद शेयर बाजार में मगजमारी   करने वाले हमारे एक मित्र हैं डॉ रंजीत भाले. वे बताते हैं कि  फरवरी के आखिरी दिन निफ्टी ने गिरावट के मामले में 28 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है. साल 1996 के बाद से शेयर बाजार में कभी भी लगातार पांच महीने तक गिरावट नहीं देखी गई है. 1996 के बाद ये पहला मौका है जब शेयर बाजार में लगातार पांचवे महीने गिरावट देखने को मिली है.

पीएचडी उपाधि धारक डॉ भाले   भी इस सुनामी में  दूसरे निवेशकों की तरह अपना बहुत कुछ गंवा बैठे हैं .वे कहते हैं कि  उन्होंने निफ्टी के इतिहास में ऐसी गिरावट  1990 के बाद केवल दो बार पांच महीने या उससे ज्यादा समय तक गिरावट दर्ज होते देखी थी . अपनी याददाश्त पर जोर डालते हुए डॉ भाले बताते हैं कि   सितंबर 1994 से अप्रैल 1995 तक 8 महीनों में इंडेक्स 31.4 फीसदी गिर गया था. आखिरी बार पांच महीने की गिरावट 1996 में देखी गई थी. उस समय जुलाई से नवंबर तक निफ्टी में 26 फीसदी की गिरावट आई थी.

एक तरह से आर्तनाद कर रहे दुनिया भर के निवेशक इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को कोस रहे हैं ,क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद लगातार टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं. ऐसे में पूरी दुनिया में अनिश्चितता का माहौल है. भय और आतंक के इस माहौल में  में निवेशक को जहां अपना निवेश सुरक्षित नजर आता है, वो वहां जाते हैं. फिलहाल निवेशक को  डॉलर और सोने में ज्यादा  सुरक्षा नजर आ रही  है. यही वजह है कि भारतीय बाजार से देशी और विदेशी निवेशक अपना  पैसा निकाल रहे हैं, जिससे बाजार गिर रहा है.लेकिन हमारे नेता,हमारी सरकार मौन साधकर बैठी है .उसे बाजार से ज्यादा अपनी चिंता है .

किसी से भी ये बात छिपीन्हीं है की भारतीय बाजार से पैसा निकालकर ज्यादातर निवेशक  अमेरिका और चीनके बाजारों में लगा  रहे हैं.  चीनी बाजार से ज्यादा रिटर्न की उम्मीद है . दूसरी ओर अमेरिकी सरकार बॉन्ड के जरिएनिवेशक  को बेहतर रिटर्न का भरोसा दे रही है. ऐसे में जब तक अमेरिकी बॉन्ड बाजार आकर्षक बना रहेगा, विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों में बिकवाली यानी शेयर बेचना जारी रख सकते हैं.

मैंने शेयर बाजार में बहुत पहले कुछ पैसे लगाए थे ,लेकिन फिर मै इस मायाजाल से बाहर निकल आया .मेरी आपको यही सलाह है कि  यदि आप शेयर बाजार का हिस्सा हैं तो अभी चुप्पी साधकर बैठे रहें. घबड़ाहट में कोई फैसला न करें .बाजार में ठहराव आने दें ,हालाँकि इसके लिए आपको लाम्बा इन्तजार भी करना पड़ सकता है .लेकिन इन्तजार ही आपको इस सुनामी से उबार सकता है . हमारे  प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी हों या वित्त मंत्री निर्मला बाई वे आपकीकोई मदद नहीं कर सकते .उन्हें खुद अपनी कुर्सी कीपड़ी है .

@ राकेश अचल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Featured Post

वैधराज देशराज अहिरवार प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति से कर रहे जटिल रोगों का इलाज

छतरपुर । मीडिया रिपोर्ट मे वैधराज देशराज अहिरवार ने अवगत कराया कि बे मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बिजावर तहसील के रैदासपुरा गाँव में रहते है...