सोमवार, 31 मार्च 2025

मोदी जी का संघं शरणम गच्छामि

 

प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र दामोदर  दास मोदी जी के 12  साल बाद संघ की शरण में जाने के लोग अलग-अलग अर्थ निकाल रहे हैं र  । संघी कुछ कहते हैं और विपक्ष कुछ और ।  लेकिन मुझे इसमें  कोई भी नयी बात नजर नहीं आती। संघ आख़िरकार मोदी जी का दीक्षास्थल है और संघ की कृपादृष्टि से वे 2014  में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और फिर लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। 

माननीय मोदी जी का संघ यानि राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के नागपुर मुख्यालय पहुंचना ठीक वैसा ही जैसा की किसी की घर वापसी होती है। कहतें हैं कि चाहे बाघ हो, चाहे नाग अंतिम  समय में अपनी गुफा या बिल में प्रवेश करके ही शांति अनुभव करता है। माननीय मोदी जी तो मनुष्य हैं ',नान -बायलोजिकल मनुष्य' उन्हें भी अंतिम समय में अपनी मांद की ,बिल की,घर की याद आना स्वाभाविक है।  मोदी जी को अब शायद कोई चुनाव नहीं लड़ना है, इसलिए वे संघ को उसके तमाम अस्त्र-शस्त्र ,कवच,कुंडल वापस करने गए हों ताकि संघ उन सबको मोदी जी के नए  उत्तराधिकारी के लिए धो-मांजकर  तैयार कर ले। आखिर मोदी जी कब तक प्रधानमंत्री पद पर टिके रह सकते है।  इससे पहले कि जनता उन्हें हटाए, संघ खुद उन्हें घर बुला लेना श्रेयस्कर समझेगा। 

जहाँ तक मैं संघ को जानता और समझता हूँ उसके मुताबिक संघ अपने विस्तार में बाधक   किसी भी अवरोध को दूर करने में कोई संकोच नहीं करता।  संघ ने देख लिया है ,जान लिया है कि मोदी जी अब 2029  के आम चुनाव के काम के नहीं रहे ।  वे तीसरी बार प्रधानमंत्री जरूर बन गए लेकिन उन्हें    उन दलों से बैशाखियाँ लेना पड़ीं जिनका चाल,चरित्र और चेहरा संघ और भाजपा से कतई मेल नहीं खाता। संघ की कोशिश भी है और शायद योजना भी कि मोदी जी को स-सम्मान घर बुला लिया जाये।  संघ मोदी जी को आडवाणी  गति प्रदान नहीं करना चाहता ,क्योंकि मोदी जी ने मनसा,वाचा ,कर्मणा संघ  की  कार्यसूची पर अमल करते हुए देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की दिशा में निशि-याम काम किया है। मोदी जी राष्ट्रनिर्माण में इतने व्यस्त रहे की वे 12  साल में न मणिपुर जा पाए और न नागपुर। 

मोदी की कर्तव्यनिष्ठा पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा सकता। लक्ष्य प्राप्ति के लिए संघ का एक प्रचारक जितना निर्मम हो सकता है मोदी जी ने अपने आपको उससे कहीं ज्यादा निर्मम प्रमाणित किया है।आज मोदीजी कि वजह से ही देश का अल्पसंख्यक मुसलमान पहली बार सड़कों पर ईद कि नमाज नहीं पढ़ सका।   मोदी जी से पहले माननीय अटल बिहारी वाजपेयी भी देश के प्रधानमंत्री  बने लेकिन वे भी देश में  हिंदुत्व का इतना तीव्र भूडोल नहीं  ला  सके थे।  वे सत्ता में जरूर आये थे लेकिन न वे जम्मू-कश्मीर से धारा 370  हटा पाए थे और न राम मंदिर बनवा पाए थे। वे तीन तलाक विधेयक भी  पारित नहीं करा पाए थे, उनके खाते में महिला शक्ति  वंदन विधेयक भी दर्ज नहीं है। हालाँकि वाजपेयी जी के मुकाबले मोदी जी पासंग भी नहीं हैं किन्तु उनके खाते  में वे तमाम उपलब्धियां दर्ज हैं ,जो वाजपेयी जी के खाते में नहीं है। 

मोदी जी पक्के शाखामृग हैं। संघ से  मोदी का दिल  का रिश्ता है। संघ के लिए वे गौतम बुद्ध की तरह अपनी पत्नी तक का त्याग कर चुके हैं। संघ के साथ उनका रिश्ता  दशकों पुराना है।  मोदी जी यदि  1972 में संघ की शरण में न आते तो वे कभी भी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते थे,संघ ने उन्हें चाय बेचने के श्रमसाध्य धंधे से बाहर निकाला। सन 1972 में नरेंद्र मोदी संघ  में शामिल हुए थे  प्रचारक बने. फिर संघ के मार्फत ही उन्हें भाजपा में प्रवेश मिला। गुजरात में संगठन की जिम्मेदारी मिली और बाद में वे  2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने ,लेकिन वर्ष 2023 के आम चुनाव में संघ और मोदी जी की भाजपा के सुर अचानक बदले ।  मोदी ने संघ परिवार के समानांतर अपना मोदी परिवार बनाया  । उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्ढा के मुंह से कहलवाया की अब भाजपा को संघ की जरूरत नहीं है।बावजूद इसके मोदी जी कि समझ में आ गया कि वे संघ से बड़े कभी नहीं हो सकते।  

संघ ने अपने अपमान का ये घूँट चुचाप पपी लिया यहां तक की संघ का शताब्दी वर्ष भी इसीलिए धूमधाम से नहीं मनाया। किन्तु समय रहते मोदी जी को अपनी गलतियों का आभास  शायद हो गया और वे अंतत: संघ की शरण में लौट आये।  संघ भी यही चाहता है कि  मोदी जी अब सिंहासन   खाली करें।  स-सम्मान करें तो बेहतर अन्यथा संघ को मोदी जी की शाखा लगाने में कोई देर होने वाली नहीं है। आज भी भाजपा में 70  फीसदी संघी ही है।  मोदी जी ने हालाँकि भाजपा का कांग्रेसीकरण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन संघियों ने प्रवासी यानि दलबदलू कांग्रेसियों को ज्यादा भाव नहीं दिया।  केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे बिभीषण आज भी संघियों के लिए अस्पृश्य ही है। 

कुल मिलाकर मोदी जी के संघ की शरण में वापस लौटने से भाजपा का नेतृत्व नयी पीढ़ी के हाथ में जाने के शुभ संकेत मिले हैं। मुझे लगता है कि अब भाजपा का नया अध्यक्ष  और देश का नया पंत प्रधान भी शीघ्र घोषित कर दिया जाएग।  मोदी जी 2029  के लिए सलामी लेने के लिए हमने शायद उपलब्ध  न हों। 

@ राकेश अचल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Featured Post

जिले के सरकारी स्कूलों में मनाए गए प्रवेशोत्सव

नव प्रवेशी बालिकाओं का पुष्पाहारों से स्वागत कर उन्हें पाठ्य पुस्तकों के सैट सौंपे ग्वालियर 1 अप्रैल । स्कूल चलें अभियान के तहत अप्रैल माह क...