आज आप फिर कहेंगे कि मै घूम-फिरकर शेरों और छावा पर आ गया ,सवाल ये है कि मै करूँ तो करूँ क्या ? मै डोनाल्ड ट्रम्प से चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग की तरह पंगा ले नहीं सकत। नहीं कह सकता की ' टैरिफ वार हो या असली वार हम अंत तक लड़ने को तैयार हैं। शी जिन पिंग ने जो कहा यदि यही बात हमारे विश्वगुरु कहते तो मै उन्हें घी-शक्कर खिलाता,लेकिन उन्होंने तो कुछ कहने के बजाय वनतारा जाना पसंद किया। ये उनका निजी मामला है इसलिए मै कुछ कहना नहीं चाहता। आजकल राजनीति में इतिहास के छावा तलाशे जा रहे हैं। पहले डोनाल्ड ट्रम्प से टकराने वाले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की मुझे राजनीति के छावा लगे लेकिन अब इस फेहरिश्त में चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग का नाम भी जुड़ गया है।
मामला राष्ट्रीय होकर भी अंतर्राष्ट्रीय हो गया है। हमारे छावा आजकल ट्रम्प से भिड़ने का साहस जुटाने या दिखने के बजाय अपने गृहराज्य गुजरात में वनतारा के प्रवास पर हैं। सिंहों की तस्वीरें उतार रहे हैं, सिंह शावकों यानि छावाओं को बोतल से दूध पिला रहे हैं। उनका दिल करुणा से सराबोर है। वे किसानों से ज्यादा वन्य प्राणियों का ख्याल रखते हैं ,इसीलिए मै उनका हृदयतल से सम्मान करता हूँ। लेकिन ट्रम्प के समाने मुझे अपने नेता का भीगी बिल्ली बनना बिलकुल रास नहीं आता। आपको आता है तो मुझे कुछ नहीं कहना,किन्तु मै तो अपनी बात कर रहा हूँ। मेरी बात सबके मन की बात हो ये जरूरी नहीं। मन की बात ,मन की होती है जन-जन के मन की नहीं होती,ये हम मन की बात के 100 से ज्यादा एपिसोड देखकर जान गए हैं।
आपको पता है कि इस समय अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प साहब ने सहित युद्ध के बजाय दुनिया को टैरिफ युद्ध की सौगात दी है। ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको के साथ ही चीन पर ही नहीं हमारे भारत पर भी अतिरिक्त टैरिफ लगाया है. अमेरिका के इस कदम से चीन आगबबूला हो गया है। लेकिन हमने अपने आपको आग-बबूला नहीं होने दिया। इधर जैसे ही अमेरिका ने चीन से निर्यात होने वाले माल पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया ,उधर बीजिंग की तरफ से भी जवाबी कार्रवाई की गई। चीन भी अब अमेरिका से आने वाले होने वाले सामान पर 10 से 15 फीसद तक का टैरिफ लगाने जा रहा है। इससे अब दुनिया की दो महाशक्तियों के बीच ऐलान -ऐ- ट्रेड वॉर शुरू हो गया है। चीन ने ट्रंप सरकार को खुले तौर पर युद्ध की भी धमकी दे डाली है। चीन का कहना है कि अगर अमेरिका युद्ध चाहता है (चाहे वह टैरिफ युद्ध हो, व्यापार युद्ध हो या कोई और युद्ध) तो हम अंत तक लड़ने के लिए तैयार हैं।
दरअसल भारत और चीन में यही फर्क है। चीन का राष्ट्रवाद भारत और अमेरिका के राष्ट्रवाद से अलग है। हम संकट के समय में वनतारा में मन की शांति तलाश करते हैं लेकिन चीन मोर्चाबंदी करता है। हम या तो झूला झूलने में सिद्धहस्त हैं या सिंह शावकों को दूध पिलाने में। हमें आँखें तरेरना आता ही नहीं। हम आँखें तरेरते भी हैं तो ले-देकर नेहरू,इंदिरा,राजीव और राहुल गाँधी पर। क्योंकि हमें पता है कि हम ट्रम्प साहब हों या शी जिन पिंग साहब को आँखें नहीं दिखा सकते । उनसे ऑंखें नहीं मिला सकते ,भले ही दोनों हमें आँखें दिखाएँ, हमारी बांह मरोड़ें या हमारी जमीन पर कब्जा कर लें।
आप हमारे छावा से तो सवाल नहीं कर सकते लेकिन अपने आपसे तो सवाल कर सकते हैं कि जिस टोन में चीन अमेरिका को जबाब दे रहा है ,हम क्यों नहीं दे पा रहे ? क्या हमने माँ का दूध नहीं पिया ? क्या हम अमेरिका को छठी का दूध याद नहीं दिला सकते ? हमारी आबादी चीन से ज्यादा है। हम चीन से बड़ा बाजार हैं। अमेरिका की अर्थव्यवस्था का मेरुदंड हम भारतीय हैं। फिर भी हम शतुरमुर्ग बने खड़े हैं। आप सवाल कर सकते हैं कि हमने आपको देश का निगेहबान कहें ,चौकीदार कहें या सेवक कहें इसलिए नहीं चुना कि आप देश के स्वाभिमान की रक्षा करने के वजाय मोरों के साथ ,सिंह शावकों के साथ या गाय-बछड़ों के साथ फोटो खिंचवाने में व्यस्त रहें । आपको जेलेंस्की और शी जिन पिंग की तरह काम करना चाहिए था।
जो काम हमारे आज के नेता कर रहे हैं वो तो आज के नेताओं की आँख की किरकिरी रहे नेहरू,गाँधी भी कर चुके हैं। इसीलिए आपको ऐसा करने से रोका जाना पूर्वाग्रह माना जाएगा ,इसलिए आप शौक से सिंह शावकों को बोतल से दूध पिलाइये ,लेकिन देख लीजिये कि देश की अर्थ व्यवस्था भी अब घोर कुपोषण का शिकार है। शेयर बाजार औंधे मुंह पड़ा हुआ है। इन्हें भी दूध से बोतल पिलाये जाने की जरूरत है अन्यथा ये दोनों ही दम तोड़ देंगे। जो बात मै अपने आज के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के लिए कह रहा हूँ वो ही बात मै गांधियों से भी कहता बाशर्त कि वे सत्ता प्रतिष्ठान में होते। वे तो विपक्ष में है। वे तो बिखरे हुए हैं। असहाय हैं। अमेरका से पंगा नहीं ले सकते। वे तो आपसे ही पंगा लेकर हलाकान हैं।
बहरहाल चूंकि हमारे राष्ट्र नायक ने वनतारा का प्रमोशन किया है तो मै भी निकट भविष्य में वनतारा जाकर कुछ दिन वहां बिताऊंगा । अनंत अम्बानी साहब को भी बधाई दूंगा। लेकिन अभी तो मेरी नींद उडी हुई है। सपने में कभी ट्रम्प साहब आते हैं तो कभी जेलेंसिकी। अब तो शी जिन पिंग साहब भी आने लगे हैं। कल रात ही मेरे सपने में मोदी जी अपने सिंह शावकों को दूध पिलाते नजर आये।
@ राकेश अचल
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