माना तुम हो बाहुबली रख सकते हो
कितनी नब्जों पर उंगली रख सकते हो
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फूलों पर मंडराने की जिसकी फितरत
किसके ऊपर तुम तितली रख सकते हो
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आंखों का पानी भी होता है खारा
आंखों में जिंदा मछली रख सकते हो
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खेल खत्म होने वाला हो ऐसे में
जोखिम लेकर क्या गुगली रख सकते हो
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मीठा खाने की ख्वाहिश है जनता की
क्या उसके आगे इमली रख सकते हो
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मै भूखा हूं, खा लूंगा! लेकर आओ
बासी रोटी कटी-जली रख सकते हो
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आम आदमी से मत छीनो आम पके
तुम चाहो, कैवल गुठली रख सकते हो
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नहीं झुकेगा मेरा सिर ये तय मानो
गर्दन पर बेहिचक नली रख सकते हो
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@ राकेश अचल
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