बुधवार, 23 अप्रैल 2025

धरती के स्वर्ग में नारकीय तांडव

 

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण नरसंहार की खबर सुनकर सारी रात नींद नहीं आयी। धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले इस भूखंड को खंड-खंड किये जाने के छह साल बाद हुए इस आंतकी कुकृत्य में दो दर्जन से अधिक उन निरीह युवाओं  की जान चली गयी जो अपना घर-संसार बसाने से पहले अपने साथ कुछ सुनहरी यादें समेटने यहां आये थे। इस नराधम कार्रवाई से देश ही नहीं पूरी दुनिया स्तब्ध है। इस हादसे की निंदा करने के लिए भी शब्द कम पड़ रहे हैं। पूरी घाटी आने वाले काले दिनों के खौफ से जार-जार हो उठी है।

भारत का ये अभिन्न अंग  शुरू से ही गैरकांग्रेसी  राजनीति का केंद्र रहा है ।  आजादी के ठीक पहले गठित राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ और बाद में जनसंघ  तथा भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370  को लेकर पूरे 72  साल राजनीति की और 2019  में इस प्रावधान को हटाकर ही चैन लिया। इस प्रावधान को हटाने के साथ ही घाटी को आतांकवाद से निजात दिलाने के लिए सूबे को तीन भागों में विभाजित किया ,पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की ,लेकिन आतंकवाद  का खत्मा नहीं हुआ। पहलगाम का नरसंहार एक दुःस्वप्न की तरह हमारे सामने है। पहलगाम आतंकी  हमले में कुल 26 लोग मारे गए, जिसमें दो विदेशी और दो स्थानीय शामिल है।  मृतकों में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल शहीद हो गए।  हाल ही में शादी के बाद वे हनीमून पर पत्नी संग पहलगाम गए थे. हमले में उनकी पत्नी सुरक्षित बचीं। यह हमला पहलगाम के बैसरन घाटी में हुआ, जहां अक्सर पर्यटक आते हैं. इस इलाके में केवल पैदल या घोड़ों से ही पहुंचा जा सकता है. लश्कर-ए-तैयबा के एक संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट '(टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है.

इस अकल्पनीय हत्याकांड के लिए कौन जिम्मेदार है और कौन नहीं इसकी मीमांसा बाद में हो जाएगी ,लेकिन अभी तो ये तय करना है कि क्या घाटी से 370  हटाने की वजह से ये वारदात हुई है या देश में अल्पसंख्यकों के साथ वक्फ बोर्ड कानून के जरिये उनकी भावनाओं से छेड़छाड़ की कोशिश इसकी वजह है ? इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि इस समय देश सबसे बड़े संक्रमण काल से गुजर रहा है ।  देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की उधेड़बुन ने देश को हर तरफ से साम्प्रदायिकता   की आग में झौक दिया है।  हिन्दू -मुसलमान अकेला हो तो आप सम्हाल भी लें किन्तु अब तो हिन्दूहै  बनाम दलित,हिन्दू बनाम जैन ,हिन्दू बनाम हिन्दू ,हिन्दू बनाम आदिवासी यानि हिन्दू बनाम सब कुछ चल रहा है और हमारे भायविधाता न जम्मू-कश्मीर सम्हाल पा रहे हैं और न बंगाल। मणिपुर वे पहले ही जला चुके हैं। अब कश्मीर घाटी भी एक बार फिर धधक उठी है।

घाटी में अब चुनी हुई सरकार है लेकिन ये सरकार आधी-अधूरी सरकार है ।  ये राज्य सरकार नहीं बल्कि एक केंद्र शासित क्षेत्र की सरकार है ।  यहां सीमाओं की सुरक्षा हो या पुलिस सब केंद्र के हाथ में है और केंद्र इस समय साम्प्रदायिक धृवीकरण में व्यस्त है। राहुल गाँधी और उनकी माँ श्रीमती सोनिया गाँधी को जेल भेजने की तैयारियों में व्यस्त है।  हमारे भाग्यविधातों को बिहार और बंगाल की सत्ता जीतना है और ईडी,सीबीआई तथा केंचुआ के बाद भारत की न्यायपालिका को भी बंधुआ बनाना है। इसके लिए देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना साहब तक को देश में कथित तौर पर चल रहे तमाम गृह युद्दों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।  यदि भाजपा का यही पैमाना है तो पहलगाँम   के नरसंहार के लिए भी देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना  ही जिम्मेदार हैं।

. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा है कि गुनहगारों को बख्शा नहीं जाएगा। आतंकवादियों की कायराना हरकत का जवाब देने के लिए भारतीय सेना तैयार है।  हमारी सेना तो पहले भी आतंकवादियों से लगातार जूझ ही रही थी ,उसके हाथ किसी ने बंधे थोड़े ही थे। फिर भी ये हादसा हुआ इसका अर्थ है की सरकार और सेना की रणनीति में कहीं कोई झोल रह गया। यानि सरकार का और सेना का खुफिया तंत्र नाकाम साबित हुआ। सवाल ये है की जब हमारी सरकार एक बार सर्जिकल स्ट्राइक कर चुकी है फिर ये आतंकी कहाँ से आ गए ? सरकार को पता था कि  पहलगाम हत्याकांड का मुख्य मास्टर माइंड ताजा आतंकी हमले से दो महीने पहले ही सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान के पंजाब के कंगनपुर पहुंचा था, जहां पाकिस्तान सेना की एक बड़ी बटालियन रहती है। वहां पाक सेना के एक कर्नल जाहिद जरीन खटक ने उसे जेहादी भाषण देने के लिए बुलाया था।  उसके वहां पहुंचने के बाद खुद कर्नल ने उसके उपर फूल बरसाए.गए थे।

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद सरकार सक्रिय  हुई  है।प्र्धानमंत्री श्री नरेंद्र  मोदी ने अमित शाह से फोन पर बातचीत की। उन्होंने इस घटना पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए।मोदी जी इस समय सऊदी अरब में है ।  बेहतर होता कि वे इस हत्याकांड के बाद अपना दौरा निरस्त कर स्वदेश लौटते और खुद सारी स्थिति की समीक्षा करते  लेकिन उन्होंने ऐसा न कर अपने हनुमान यानी गृहमंत्री अमित शाह को कमान सौंपी है।  शाह  ने कहा कि इस जघन्य आतंकी हमले में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और हम अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देंगे। गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर पहूंचकर  सभी एजेंसियों के साथ सुरक्षा समीक्षा बैठक की है ।  अब नतीजोंका इन्तजार करना होगा।

@ राकेश अचल

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