हमारी नफरत की कोई हद नहीं है. इस समय सत्ता प्रतिष्ठान पर जिस तरह अल्पसंख्यको के प्रति नफरत भरी है उसका असर अब हमारी पाठ्य पुस्तको पर भी दिखाई देने लगा है.खबर हैकि दिल्ली की एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तकों में कक्षा 7 की किताबों से मुगल और दिल्ली सल्तनत के चैप्टर्स हटा दिए गए हैं.
सत्ताप्रतिष्ठान और उसे संचालत दल और संगठन भारत की धरती से अल्पसंख्यकों को खदेडने का ख्वाब देख रहा है. सबसे पहले औरंगजेब पर जोर आजमाइश की. औरंगजेब की कब्र खोदकर उसकी मिट्टी समंदर में डालने का प्लान बनाया पर नाकाम रहे.
खीजकर अब पाठ्यपुस्तको को निशाना बनाया.इन बदलावों के तहत नए अध्यायों में भारतीय राजवंश, 'पवित्र भूगोल', महाकुंभ और सरकारी योजनाओं पर जोर दिया गया है. ये कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे 2023 के अनुरूप हैं जो भारतीय परंपराओं, दर्शन, एजुकेशन सिस्टम और स्थानीय संदर्भ पर जोर देते हैं.
एनसीईआरटी के अधिकारियों के मुताबिक, ये पाठ्यपुस्तक का पहला हिस्सा है और दूसरा हिस्सा आने वाले महीनों में जारी किया जाएगा. हालांकि, उन्होंने यह पुष्टि नहीं की कि पहले हटाए गए हिस्से वापस जोड़े जाएंगे या नहीं.
पाठ्यक्रमों से ये खिलवाड नयी नहीं है. कांग्रेस केराज मे मप्र की किताबों से अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोडी रजधानी थी को हटाया गया था. लेकिन इतिहास इतनी आसानी से नहीं बदलता. इतिहास किताबों के अलावा किंवदंतियों, जनश्रुतियों मे भी जिंदा रहता है. इसे कैसे हटाया जा सकता है.
पिछले दिनों पहलगाम में हुए नृशंस हत्याकांड के बाद विधर्मियो के खिलाफ माहौल बनाने की भी कोशिश की गई लेकिन देश की समझदार जनता ने इसे नाकाम कर दिया. घाटी में आतंकियों के घरों को जमीदोज कर केंद्र सरकार ने ये दिखाने की कोशिश की कि सरकार हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठी है. सरकार को हाथ पर हाथ रखकर बैठना भी नहीं चाहिए. देश की संप्रभुता को चुनौती देने वाले हर तत्व को कुचला जाना चाहिए, लेकिन ये तभी मुमकिन है जब सरकार अपने कार्य व्यवहार से ये प्रमाणित भी करे.
पहलगाम हत्याकांड के बाद अपनी विदेश यात्रा रद्द कर स्वदेश लौटने वाले प्रधानमंत्री यदि घटनास्थल पर जाने के बजाय किसी चुनावी आमसभा में नजर आएं तो आप सरकार के बारे में समझ सकते है.
एनसीईआरटी की किताब में मुगलों को हटाने या महाकुम्भ जोडने से कुछ भी हासिल नहीं होगा.सरकार किताबों से मुगलों को हटा सकती है लेकिन ताज महल का क्या करेगी? वहां तो हर देशी, विदेशी जाता है. लालकिले को हटाए बिना मुगल बार बार याद आते रहेंगे
आपको याद होगा कि सरकार की नयी शिक्षानीति से मुगलों को विस्थापित कर उसका संघीकरण करने का काम पहले ही किया जा चुका है..
@राकेश अचल
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