पहलगाम हत्याकांड करने वालों का मकसद आतंक फैलाना था, देश में दस साल से चल रहा हिन्दू ध्रुवीकरण था या पाकिस्तान की कोई आंतरिक मजबूरी ये जान पाना न एन आई ए के लिए आसान है और न हमारे आपके लिए. हकीकत तो केवल ऊपर वाला जानता है, और ऊपर हमारे रामजी भी हैं और आतंकियों के अल्लाह भी. इन दोनों से कौन पूछे. जब हम अपने प्रधानमंत्री से सवाल - जबाब करने के अधिकारी नहीं हैं तो ऊपर वाला तो ऊपरवाला है.सबसे ऊपरवाला.
आतंकियों का पाकिस्तान सरकार का, पाकिस्तान की सेना का मकसद अलग-अलग नहीं हैं. हो भी नहीं सकते क्योंकि तीनों एक दूसरे के पर्याय हैं, पूरक हैं. उनकी कोशिश कामयाब न हो ये हम सबकी जिम्मेदारी है. ये बात मै इसलिए कह रहा हूं कि पहलगाम हत्याकांड का असर अब भोपाल में भी नजर आने लगा है. भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन परिसर में शनिवार देर रात नशे में धुत युवकों ने रेलवे पुलिस (जीआरपी) के हेड कांस्टेबल दौलत खान पर हमला कर दिया. आरोपियों ने जवान की वर्दी फाड़ दी, गाली-गलौज की और धार्मिक आधार पर आपत्तिजनक टिप्पणियां भी कीं. घटना के बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी जितेंद्र यादव को गिरफ्तार कर लिया है. दो अन्य आरोपी फरार हैं. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वीडियो के सामने आने के बाद राजनीतिक पार्टियां भी भोपाल में प्रशासन और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठा रहे है. ऐसी छुटपुट वारदातें ऐहतियात से ही रोकी जा सकती हैं किसी 'ध्रुवयंत्र' से नहीं.('ध्रुवयंत्र' यानि हिंदू बनाम मुसलमान करने की तकनीक). यह आर एस एस और भाजपा का प्रिय यंत्र है.
पहलगाम हत्याकांड से बहुत पहले मुगल सम्राट औरंगजेब की तारीफ कर अपनी आफत बुला चुके महाराष्ट्र के सपा विधायक अबू आजमी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पहलगाम हमले के बाद भारत के मुसलामनों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? उन्होंने कहा कि कश्मीर के पहलगाम में जो हुआ उसका खुलकर तमाम देश के लोगों ने, हर जात-धर्म के लोगों ने निंदा की. खासकर तौर पर भारत का मुसलमान चिल्ला-चिल्लाकर ये कह रहा है कि हम भारत सरकार के साथ हैं, आतंकवाद के खिलाफ सरकार को कड़े से कड़ा एक्शन लेना चाहिए.
अबू आजमी ने कहा, "आतंकवादियों ने वहां पर जात (धर्म) पूछकर मारा. भारतवर्ष में आज क्या हो रहा है? जब से ये सरकार आई है, हिंदू-मुस्लिम किया जा रहा है. लगता है आतंकवादियों को मालूम था कि ये बात करेंगे तो देश के अंदर अशांति फैलेगी...यहां के लोग हिंदू-मुस्लिम को आपस में लड़ा रहे हैं. जबकि वहां के आदिल और नजाकत ने किस तरह से काम किया, जितने लोग गए थे वो चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे हैं कि वहां के मुसलमानों ने हमें बहुत मदद किया.
अबू आजमी एक विधायक भर हैं, किसी पार्टी के सद्र या किसी सूबे के वजीरेआला नहीं हैं इसलिए उनकी बातों को कोई तवज्जो नहीं दी जा रही, जबकि वे एक बेहद जरूरी बात कर रहे हैं. दुर्भाग्य ये है कि हम बात करना और सुनना ही नहीं चाहते.खासकर मुसलमानों से चाहे वे विधायक हों, सांसद हों या मुख्यमंत्री हों. पहलगाम हत्याकांड के बाद हुई उच्चस्तरीय बैठक से जब वहाँ के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को बाहर कर दिया गया तब अबू आजमी की क्या हैसियत है आखिर ?
जब सरकार इस नृशंस हत्याकांड के बाद एक मुसलमान मुख्यमंत्री तक का सम्मान नहीं कर रही तो देश के उन आम मुसलमान के सम्मान की बात कौन करे जो कि आतंकी वारदात के खिलाफ सडकों पर हैं. खतरनाक बात ये है कि हिंदू-मुसलमान हमारी कार्यपालिका, विधायका, न्यायपालिका और खबरपालिका पर भी एक ग्रहण की तरह लग चुका है.
भगवान के लिए, अल्लाह के लिए, वाहे गुरु के लिए, जीसस के लिए मुल्क को बचाइए. भारत की पुण्य भूमि आज की तारीख में हम सबकी है. हम सब उसके अन्न जल पर निर्भर हे. हम सब यानि हम सब, केवल हिंदू नहीं. हिंदू उस समय भी बहुसंख्यक थे जब मुगलों और अंग्रेजों के गुलाम रहे. हिंदू आज भी बहुसंख्यक हैं जब हम 78 साल से आजाद हैं. हिन्दू आगे भी बहुसंख्यक ही रहेंगे. अल्पसंख्यक कभी बहुसंख्यक नहीं हो सकते. बहरहाल एक ही गुजारिश है कि आतंकियों, पाकिस्तानी सरकार के मकसद पूरे मत होने दीजिये. हथियारों से हम पाकिस्तान को बार बार हरा चुके है. हम जीत के बाद पाकिस्तान को उसकी पराजित सेना भी वापस कर चुके है. लेकिन जो नहीं कर सके वो है 'ध्रुवयंत्र ' का परित्याग. एक बार करके तो देखिए.
@राकेश अचल
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