बेफिक्र रहिये ! न कोई कटेगा और न कोई बटेगा

आखिर होसबोले  भी वो ही बोले जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  पिछले कई महीनों से लगातार बोलते आ रहे हैं।  दोनों की  बोली और शब्दों का स्वरूप एक ही है। दोनों देश के बहुसंख्यकों को भयभीत कर रहे हैं कि यदि ' बँटोगे  तो कटोगे। 'दोनों के निशाने पर देश के वे अल्पसंख्यक हैं जिन्हें आरएसएस आजादी के 77  साल बाद भी भारत का नागरिक नहीं मानता। आरएसएस और महंत योगी आदित्यनाथ  के बोल एक संप्रभु ,विविधवर्णी देश कि जड़ों में मठा डाल रहे हैं।

मै उन लोगों में से नहीं हूँ जो आरएसएस को आतांकवादी संगठन मानते हैं। मै आरएसएस को राष्ट्रद्रोह संगठन भी नहीं कहता ,लेकिन मेरे मानने और कहने से कुछ नहीं होता क्योंकि आरएसएस जो है वो खुद प्रमाणित कर रहा है ,और तब कर रहा है जब इस विशिष्ट देश ने आरएसएस को 99  साल तक अपनी कोख में पाला पोसा है। ये संघ का शताब्दी वर्ष है।देश ने कभी नहीं कहा कि आरएसएस को भारत में नहीं होना चाहिए। लेकिन आरएसएस है जो न सिर्फ खुद बल्कि अपनी दत्तक संतानों से भी यही कहला रही है कि इस देश   को कांग्रेस विहीन होना चाहिए।

दुनिया जानती है कि संघ जिस की  बेल है उससे अमृतफल तो नहीं निकल सकते।  संघ के भावी मुखिया दत्तात्रेय होसबाले  ने  उत्तर प्रदेश के मथुरा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के  'बंटेंगे तो कटेंगे' वाले बयान का समर्थन किया , उन्होंने कहा कि 'हमें इसे आचरण में लाना चाहिए. यह हिंदू एकता और लोक कल्याण के लिए जरूरी है.। दत्तात्रेय होसबाले अभी आरएसएस के सरकार्यवाह  हैं उन्हें सरसंघ चालक  बनने से पहले वो सब करना और कहना पडेगा जो न सिर्फ अनिवार्य है बल्कि अपरिहार्य भी है।

दुर्भाग्य की बात ये है कि संघ और संघ का दत्तक पुत्र भाजपा एक विचार है ,ऐसा विचार जो न सामयिक  है और न आवश्यक।  संघ और भाजपा का व्यवहार दुनिया में रूढ़ियों से घिरे तालिबानियों से बहुत कुछ मेल खाता  है। संघ देश कि विविधता में यकीन करता ही नहीं है ,संघ हिन्दुओं कि श्रेष्ठता में न सिर्फ यकीन करता है बल्कि उसे बहुसंख्यक हिन्दुओं के मन-मस्तिष्क में ' अंगद के पैर ' की तरह जमा देना चाहता है ।  दुर्भाग ये कि संघ को लगभग एक सदी में भी इस योजना में कामयाबी नहीं मिली। मुझे लगता है कि इस अभियान को साकार करने के लिए संघ को सात जन्म तो लेना ही पड़ेंगे।

 होसबाले 2021 से 'सरकार्यवाह' के रूप में कार्यरत हैं, वे 2024 से 2027 तक अपने इस  पद पर रहने वाले हैं दत्तात्रेय होसबाले  और योगी आदित्यनाथ में और कोई समानता हो या न हो लेकिन एक समानता ये है कि ये दोनों यदुवंशी हैं।  दोनों अविवाहित हैं और दोनों बाल्य-काल  से एक ख़ास तरह की दीक्षा से गुजरे हैं जो कोसों तक भारत की राजनीति से मेल नहीं खाती।  होसबोले 56  साल से संघ के साथ हैं और आजीवन रहने वाले हैं। उनका एकमेव लक्ष्य वही है जो 1925  में श्रीमंत केशव वलीराम हेडगवार साहब  ने तय किया था। उनका लक्ष्य तो सौ साल में भी पूरा नहीं हुआ लेकिन इस देश को आजाद करने का जो लक्ष्य महात्मा गाँधी ने 81  साल पहले तय किया था वो न सिर्फ फलीभूत हो चुका है बल्कि पल्ल्वित -पुष्पित भी हो रहा है।

जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि मै संघ का और समस्त संघमित्रों का बहुत सम्मान करता हूँ। सम्मान इसलिए कि वे बहुत त्यागी होते है।  सादगी पसंद होते हैं। उन्होंने सादगी हेडगेवार से नहीं बल्कि शायद महात्मा गाँधी से सीखी है।  देश और दुनिया ने गांधी की सादगी को तो अंगीकार कर लिया किन्तु हेडगेवार साहब के हिन्दू राष्ट्र को स्वीकार नहीं किया। यदि किया होता तो ये देश 1947  में ही हिन्दू राष्ट्र बन जाता।  हिन्दू राष्ट्र बनकर नेपाल ने देख लिया है ।  इस्लामिक राष्ट्र बनकर पाकिस्तान ने भी देख लिया है।  इन्हें क्या हासिल हुआ ये बताना जरूरी नहीं है।  चिंता की बात ये है कि संघ तमाम हकीकत जानते हुए भी हार मानने के लिए तैयार नहीं है।

हमारे बुंदेलखंड में ' होंस ' को उत्साह या गर्व कहते हैं और होंस से बोलने वालों  को  गर्वीला मना जाता है किन्तु दत्तात्रय जी जो बोल रहे हैं उसमें गर्वोक्ति बिलकुल नहीं है केवल दम्भ है दम्भ।  इस दम्भ  से देश कि गंगा-जमुनी संस्कृति तबाह हो रही है।  संघ और सभी   संघमित्र  ' गंगा-जमुनी संस्कृति में यकीन करते ही नहीं हैं। उन्हें लगता है कि संस्कृति मुगलों कि देन है और इसका वसुधैव कुटुंबकम से कोई मेल नहीं है ,कोई बराबरी नहीं है। जबकि हकीकत कुछ और है। इस हकीकत को न संघ समझना चाहता है और न हमारी भाजपा।  समझे तो आखिर कैसे समझे ? उसे तो देश को हिन्दू राष्ट्र बनाना है।  

देश हिन्दू राष्ट्र बने तो मुझे भी क्या आपत्ति हो सकती है  लेकिन हमारा तजुर्बा बता रहा है कि अब बहुत देर हो चुकी है।  देश जो राष्ट्र बन चुका है उसे अब  बिगाड़ा नहीं जा सकता। नया देश बनाने के लिए बहुत लम्बी लड़ाई लड़ना पड़ती है।  महात्मा गाँधी के नेतृत्व में देश कि जनता ने ये लड़ाई लड़ी है ,लड़ी ही नहीं उसे जीता भी है।  इस जीत में संघ का कितना योगदान है ये दुनिया जानती है और संघ भी। अब लगता है कि संघ 1947  से पहले कि गयी अपनी भूल सुधार करने कि कोशिश करना चाहता है ।  देश को एक बार फिर से  नया नाम देना चाहता है। और इसी के लिए 'बँटोगे  तो कटोगे ' का नारा दिया गया है। महात्मा गाँधी ने  देश को ' करो या मरो ' का नारा दिया था और होसबोले देश को ' बँटोगे तो कटोगे ' का नारा दे रहे हैं।

आपको याद रखना होगा कि महात्मा गाँधी भी राम भक्त थे और संघमित्र दत्त्तरी होसबोले भी राम भक्त है।  पूरा संघ रामभक्त है।   पूरी भाजपा रामभक्त है लेकिन पूरा देश रामभक्त नहीं है ।  राम का सम्मान सब करते हैं।  उन्हें देवता भी मानते हैं ।  मुसलमान भी उन्हें इमामे-हिन्द कहते हैं।  यहां राम को मानने वाले भी हैं और न मानने वाले भी ,लेकिन सब हैं भारतीय। और ऐसे भारतीय जिनका जन्म दत्तात्रय  होसबोले से पहले हुआ था। उन्हें भारतीयता का प्रमाणपत्र न संघ से चाहिए और न होसबोले से।  उनका आधारकार्ड ही उनके भारतीय होने का प्रमाण है। और संयोग से ये प्रमाणपत्र संघ कार्यालय  से नहीं भारत सरकार के कार्यालय से जारी होता है।

मुझे हैरानी तो ये है कि डॉ मोहन भागवत हों या माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी भी इस हकीकत को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं ,उलटे बार-बार इस हकीकत को ठुकराना चाहते हैं। इन सभी महनुभवों ने देश कि जनता के एक बड़े वर्ग के मन में भय पैदाकरने कि कोशिश की ,लेकिन जब ये कोशिश भी असरकारी साबित नहीं हुई तो ' सबका साथ,सबका विकास से शुरू होकर अब ' बँटोगे तो कटोगे ' तक आ पहुंचे हैं।  संघ और भाजपा जबरन हिन्दुओं के ठेकेदार बन गए है।  जब संघ और भाजपा नहीं थी तब भी इस देश में हिन्दू थे,हिंदुत्व था।

हमारे संघमित्र    शायद नहीं जानते कि भारत पर आर्यों ने ,फारसियों ने ,अलेक्जेंडर ने सेल्यूकस ने ,यवनों ने ,हूणों ने, अरबों ने मुग़लों ने और अंग्रेजों ने हमला किया,शासन किया लेकिन हिन्दू तब भी थे और आज भी हैं। मै संघमित्रों    को यकीन दिलाना चाहता हूँ कि भारत में हिन्दू कल भी रहेंगे  और बहुसंख्यक बनकर ही रहेंगे ,वे न बंटेंगे और न कोई उन्हें काट पायेगा।  ये कोशिश सियासत जरूर करती है ,लेकिन सियासत भी हर बार कामयाब नहीं होती ।  कभी-कभी  संघ कि विचारधार को कामयाबी मिलती है ।  जनता भी संघमित्रों को मौक़ा देती है ,लेकिन जब हकीकत समझती है तो अपना फैसला बदल भी लेती है। ये लोकतंत्र की विशेषता है ।  संघ मित्र आज सत्ता में हैं ,कल शायद नहीं होंगे और परसों मुमकिन है कि उन्हें फिर सत्ता में आने का मौक़ा मिले।  लेकिन ये तभी मुमकिन है जब कि संघमित्र भारत को जबरदस्ती ' हिन्दू राष्ट्र ; बनाने कि जिद और कोशिश छोड़ दे।

मुझे संघ कि कोशिशों पर भी यकीन है और जनता पर भी।  जनता अंतत: जनार्दन है।  जनता भी नेताओं कि तरह घाट-घाट का पानी पीती है ।   जनता ने बीते 77  साल में कांग्रेसियों को भी देखा,समाजवादियों को भी देखा,वामपंथियों को भी देखा ,संघियों को भी देख लिया है। जनता जिस दिन चाहेगी कि भारत को ' हिन्दू राष्ट्र ' बनाना है उस दिन जनता बना लेगी।  जनता को तब न संघ   की जरूरत होगी न भाजपा की और न कांग्रेस की। संघ  यदि सांस्कृतिक संघठन है तो यही काम ईमानदारी से करे। राजनीति करना छोड़ दे।  भाजपा का प्रचार करना छोड़ दे।  उसके लिए पसीना बहाना त्याग दे।  संघ क्या करे या न करे ये तय करना संघ का अपना काम है।  

हमारा काम तो मुर्गे की तरह बांग देने का है।  हम भले ही रोज हलाल होते रहें किन्तु बांग देना बंद करने वाले नहीं है।  बांग मुर्गा अकेला नहीं देता । मुल्ला भी देता है,पंडित भी देता है ,शंकराचार्य   जी देते  हैं। पॉप और पादरी भी करते है। सेवादार भी देते  है।  जागरण का दूसरा नाम ही बांग देना है। बांग  सुनकर जिन्हें जागना होता है वो जाग जाते हैं और जो जंबोझकर अनसुनी करते हैं उनका भगवान ही मालिक होता है। मुर्गे की बांग सभी के लिए होती ह। उसका हिन्दू,मुसलमान,सिख,ईसाई से कोई लेना देना नहीं है ।  जो जगे उसका भी भला और जो न जगे उसका भी भला।  मुर्गा सूफी होता है ।  धर्म निरपेक्ष होता है ।  उसे जो चाहे काटकर खा  सकता है लेकिन मुर्गा कल भी बांग दे रहा था और आज भी अलार्म के जमाने में उसने बांग देना बंद नहीं किया है ,हमारी तरह।

@ राकेश अचल

27 अक्टूबर 2024, रविवार का पंचांग

 


चंदेरा पुलिस द्वारा पैसे मांग कर मारपीट करने वाले फरार आरोपी को गिरफ्तार कर भेजा जेल

  प्रमोद अहिरवार जिला ब्यूरो टीकमगढ़ म.प्र.

 पुलिस अधीक्षक टीकमगढ  मनोहर सिंह मंडलोई द्वारा समस्त थाना/चौकी प्रभारी को फरार आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु निर्देशित किया है इसी तारतम्य में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक  सीताराम एवं एसडीओपी जतारा  अभिषेक गौतम  के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी चंदेरा उप निरीक्षक नीतू खटीक द्वारा अपराध क्र 150/24 धारा - 296,115(2),119(1), 351(2),3(5) बी.एन.एस में  पिछले 02 माह से फरार चल रहे आरोपी नारायण उर्फ नत्थु पिता रन्चु यादव उम्र 37 साल निवासी महेबा चक्र 3 को दिनांक 26/10/24 गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय जतारा मे पेश किया गया ।

 *सराहनीय भूमिका*- उक्त कार्यवाही में उनि. नीतू खटीक थाना प्रभारी चंदेरा, सउनि रामपाल सिंह परिहार चौकी प्रभारी जेवर, प्रधान आर.407 रामचंद्र नायक, आर. 170 काशीराम, आर. 711 मोहित, आर.566 योगेन्द्र, आर. 713 गणेश, आर., 715 कपिल, म.आर 663 अंकिता ,म.आर. 432 रुचि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

दीपावली ,महालक्ष्मी पूजन 1 नवम्बर स्वाति नक्षत्र, गद योग में शुभ रहेगा

 

दीपावली महालक्ष्मी पूजन को लेकर पूरे देश में विद्वानों की अलग-अलग राय चल रही है इस बार अधिकतर त्यौहार तिथियों के फेर में बने रहे।

आइए जाने  दीपावली, लक्ष्मी जी का पूजन 31 अक्टूबर को करे अथवा 1 नवंबर शुक्रवार  को पूजन करना श्रेष्ठ है।

वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी देते हुए कहा की 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि 15:52 पर प्रारंभ होगी और 01 नवंबर शुक्रवार को शाम को 6:16 तक रहेगी इसलिए संपूर्ण भारत में 31 अक्टूबर की प्रदोष व्यापिनी है परंतु शास्त्र इस संदर्भ में कहते हैं।  01 नवंबर को स्वाति नक्षत्र सूर्योदय से रात्रि 3:30 तक रहेगा। शुक्रवार को स्वाति नक्षत्र होने से गद योग बन रहा है। साथ ही दिन के 10:40 बजे से आयुष्मान योग रहेगा। 01 नवंबर को अमावस्या तिथि उदय व्यापिनी  होने के साथ साथ प्रदोष को भी स्पर्श कर रही है।

 प्रदोष समय में दीपदान ,लक्ष्मी पूजन करना चाहिए अमावस्या तिथि पहले दिन और दूसरे दिन दोनों दिन ही प्रदोष व्यापिनी हो तो दूसरे दिन वाली अमावश्या में ही लक्ष्मी पूजन करना शास्त्र सम्मत है। प्रतिपादक ग्रहण करना चाहिए। निर्णय सिंधु के प्रथम परीक्षित के प्रश्न 26 पर निर्देश है कि जब तिथि दो दिन कर्मकाल में विद्यमान हो तो निर्णय युगमानुसार अनुसार करें इस हेतु अमावस्या प्रतिपदा का युग्म शुभ माना गया है ।अर्थात अमावस्या को प्रतिपदा युता ग्रहण करना महाफलदायक होता है और लिखा भी है पहले दिन चतुर्दशी होता अमावस्या ग्रहण करें तो महादोष है और पूर्व के किए पुण्य को नष्ट करने वाली होती है दीपावली निर्णय प्रकरण में धर्म सिंधु में लेख है कि  सूर्योदय में व्याप्त होकर अस्तकाल के उपरांत एक घटिका  से अधिक व्यापिनी अमावस्या होवे तब संदेह नहीं करना चाहिए इस अनुसार 01 नवंबर को दूसरे दिन सूर्योदय में व्याप्त होकर सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में एक  से अधिक अमावस्या विद्यमान है निर्णय सिंधु के द्वितीय   परिच्छेद के पृष्ठ तीन सौ पर लेख है कि  यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी होवे तो   अगली करना।

 कारण की तिथि तत्व में ज्योतिषी का कथन है एक घड़ी रात्रि का योग होवे तो अमावस्या दूसरे दिन होती है तब प्रथम दिन को छोड़कर अगले दिन सुखरात्रि होती है।

 तिथि निर्णय का कथन उल्लेखनीय है कि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष को स्पर्श न करें तो दूसरे दिन ही लक्ष्मी पूजन करना चाहिए इसमें यह अर्थ भी अंतर्निहित है कि अमावस्या  दोनों दिन स्पर्श करें तो  लक्ष्मी पूजन दूसरे दिन हीं करना चाहिए 

 व्रत पर्व विवेक में दीपावली के संबंध में अंत में निर्णय प्रतिपादित करते हुए लिखा है कि अमावस्या के दो दिन प्रदोष काल में व्याप्त / अव्याप्त होने पर दूसरे दिन लक्ष्मी पूजन होगा इस प्रकार उपरोक्त सभी प्रमुख ग्रंथो का साथ यह है यदि अमावस्या दूसरे दिन प्रदोष काल में एक घाटी से अधिक व्याप्त है तो प्रथम दिन प्रदोष   में संपूर्ण व्याप्ति को छोड़कर दूसरे दिन प्रदोष काल में श्री महालक्ष्मी पूजन करना चाहिए किंतु कहीं भी ऐसा लेख नहीं मिलते  कि दो दिन प्रदोष में व्याप्ति है तो अधिक व्याप्ति वाले प्रथम दिन लक्ष्मी पूजन किया जाए ।

प्रतिपदा युता अमावस्या ग्रहण किए जाने का युग्म का जो निर्देश है उसके अनुसार भी प्रदोष काल का स्पर्श मात्र ही पर्याप्त है यदि एक घटी से कम व्याप्ति होने के कारण प्रथम दिन ग्रहण किया जाता है तो वह युग्म व्यवस्था का उल्लंघन होकर महादोष  कारक है पंचांग कर्ताओ के मत के अनुसार राजधानी पंचांग, ब्रजभूमि पंचांग, मध्य प्रदेश में सर्वाधिक चलने वाला निर्णय सागर पंचांग, राजस्थान का शिव शक्ति  पंचांग आदि पंचांग में भी एक नवंबर को दीपावली पूजन मुहूर्त का उल्लेख किया है।

सबसे सरल सूत्र जिन शहरों में सूर्यास्त शाम को 05:52 के बाद होगा उन में अमावस्या तिथि सूर्यास्त अनन्तर एक घटी  से  कम होने के कारण 31 को कर सकते हैं ऐसे शहर भारत के व मुश्किल से 7 % शहर आयेंगे शेष दिल्ली,हिमाचल प्रदेश,हरियाणा, उत्तर प्रदेश,मध्यप्रदेश ,झारखंड, मेघालय,बांग्लादेश, कोलकाता उड़ीसा,तेलंगाना,जयपुर,

ग्वालियर,झांसी,आदि अनेक शहर 90 % भारत के शहरो में 01 नवंबर को दिवावली पूजन करना शास्त्र सम्मत है।

एक मानचित्र से भी समझे। 


ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ग्वालियर

26 अक्टूबर 2024, शनिवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:30 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:39 बजे 

*विक्रम संवत-2081* शाके-1946 

*वी.नि.संवत- 2550* 

*सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन,

उत्तर  गोल 

*ऋतु* : शरद  ऋतु

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज कार्तिक  माह कृष्ण पक्ष *दशमी* तिथि 29:23 बजे तक फिर एकादशी तिथि चलेगी।

💥 *नक्षत्र* आश्लेषा नक्षत्र  09:45 बजे तक रहेगा।

    *योग* :- आज *शुक्ल* है।  *करण*  :-आज   *वणिज* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक नहीं भद्रा 16:19 से गंडमूल दिन रात है

*अग्निवास*: आज आकाश में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज  पूर्व  दिशा में।

*राहूकाल* :आज 09:18 बजे से 10:41 बजे तक  अशुभ समय है।

*अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:43 बजे से 12:27 बजे तक  शुभ 

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*त्योहार*  कोई नहीं 

*मुहूर्त* : कोई नहीं   है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-तुला, चन्द्र-कर्क, मंगल-मिथुन, बुध-तुला, गुरु-वृष, शुक्र-वृश्चिक, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

 *🌞चोघडिया, दिन*

काल 06:24 - 07:48 अशुभ

शुभ 07:48 - 09:12 शुभ

रोग 09:12 - 10:37 अशुभ

उद्वेग 10:37 - 12:01 अशुभ

चर 12:01 - 13:25 शुभ

लाभ 13:25 - 14:50 शुभ

अमृत 14:50 - 16:14 शुभ

काल 16:14 - 17:38 अशुभ

*🌓चोघडिया, रात*

लाभ 17:38 - 19:14 शुभ

उद्वेग 19:14 - 20:50 अशुभ

शुभ 20:50 - 22:26 शुभ

अमृत 22:26 - 24:01*शुभ

*अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें _मो  9425187186 (अभी तक अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी अक्षरतः सत्य सिद्ध हुई)* *ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रिय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)* 

*हस्तरेखा,जन्म कुंडली,वास्तु विशेषज्ञ*

25 अक्टूबर 2024, शुक्रवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:29 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:40 बजे 

*विक्रम संवत-2081* शाके-1946 

*वी.नि.संवत- 2550* 

*सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन,

उत्तर  गोल 

*ऋतु* : शरद  ऋतु

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज कार्तिक  माह कृष्ण पक्ष *नवमी* तिथि 27:22 बजे तक फिर दशमी तिथि चलेगी।

💥 *नक्षत्र* पुष्य नक्षत्र  07:39 बजे तक रहेगा।

    *योग* :- आज *शुभ* है।  *करण*  :-आज   *तैतिल* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक, भद्रा नहीं गण्डमूल 07:39 बजे से है।

*अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पश्चिम दिशा में।

*राहूकाल* :आज 10:41 बजे से 12:05 बजे तक  अशुभ समय है।

*अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:43 बजे से 12:27 बजे तक  शुभ 

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*त्योहार*  कोई नहीं 

*मुहूर्त* : कोई नहीं   है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-तुला, चन्द्र-कर्क, मंगल-मिथुन, बुध-तुला, गुरु-वृष, शुक्र-वृश्चिक, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

*🌞चोघडिया, दिन*

चर 06:23 - 07:48 शुभ

लाभ 07:48 - 09:12 शुभ

अमृत 09:12 - 10:37 शुभ

काल 10:37 - 12:01 अशुभ

शुभ 12:01 - 13:26 शुभ

रोग 13:26 - 14:50 अशुभ

उद्वेग 14:50 - 16:15 अशुभ

चर 16:15 - 17:39 शुभ

*🌓चोघडिया, रात*

रोग 17:39 - 19:15 अशुभ

काल 19:15 - 20:50 अशुभ

लाभ 20:50 - 22:26 शुभ

उद्वेग 22:26 - 24:01*अशुभ

 *अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें _मो  9425187186 (अभी तक अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी अक्षरतः सत्य सिद्ध हुई)* *ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रिय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)* 

*हस्तरेखा,जन्म कुंडली,वास्तु विशेषज्ञ*

भारतीय ज्योतिषियों की बलिहारी

 

मेरा ज्योतिष में किंचित क्या रत्ती भर विश्वास नहीं है ,लेकिन मेरे विश्वास करने और न करने से क्या फर्क पड़ता है। देश की बहुसंख्यक जनता का विश्वास तो है ज्योतिष पर। और इसी विश्वास के सहारे देश का कारोबार ,बाजार चलता आ रहा है। ज्योतिषी जब बताते हैं तब हमारे यहां नेता चुनाव में नामांकन पत्र दाखिल करते है।  हम खुद ज्योतिषी के बताये मुहूर्त पर गृह प्रवेश करते है।  और तो और भाँवरें डालते हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण ये है कि हम खरीद-फरोख्त भी ज्योतिषियों द्वारा बताये गए महूर्त के हिसाब से ही करते हैं।

मैंने जब से होश सम्हाला है तब से देखता आ रहा हूँ  कि हमारे भारतीय ज्योतिषी मुहूर्तों के बारे में पूछने पर ही बताते हैं और वो भी दक्षिणा   लेने के बाद।  वे पत्रा /पंचांग तभी खोलते हैं जब चढ़ौती चढ़ा दी जाय।   लेकिन खरीद-फरोख्त के लिए शुभ मुहूर्त बताते हुए ज्योतिषी किसी से कोई दक्षिणा नहीं मांगते । बस बता देते हैं कि कब मकान खरीदना है ,कब सोना-चांदी खरीदना है ,कब वाहन खरीदना है। त्यौहार के मौसम में ज्योतिषी ऐसे -ऐसे दुर्लभ मुहूर्त बताते हैं की जनता बावली हो जाती है। जनता को बाबला कर ये ज्योतिषी बाजार की बल्ले-बल्ले करा देते हैं। एक ही दिन में साल-छह महीने का कारोबार हो जाता है। लगता है कि बाजार कि और ज्योतिषियों कि कोई दुरभि संधि है।

हम उन लोगों में से हैं जो अपना हर काम 'अबूझ  मुहूर्त ' में करते है।  ज्योतिषियों के बताये मुहूर्त के फेर में नहीं पड़ते ,इसीलिए चाहे जितना दुर्लभ मुहूर्त हो हम बाजार की और रुख नहीं करते ।  हालाँकि हमारे घर में दूसरे लोग नजर बचाकर बाजार से खरीदारी कर लेते हैं लें हम धनतेरस को भी चम्मच/ घंटी से ज्यादा कुछ नहीं खरीदते। खरीदना भी नहीं है क्योंकि ज्योतिषी तो साल में दस बार दुर्लभ मुहूर्त बताते है।  यदि उनके हिसाब से खरीदारी करने लगे तो घर का बजट ही फेल हो जाये।

अब इस साल ही देख लीजिये। ज्योतिषियों ने कहा है की इस साल 24  अक्टूबर को जो दुर्लभ मुहूर्त बना है वो आज से 752  साल पहले बाना था। कमाल की बात है न कि जब दुनिया में कम्प्यूटर नहीं जन्मा था तब भी हमारे ज्योतिषियों का गुणा-भाग चलता था और उन्हें आज भी कम्प्यूटर नहीं बल्कि उनका अपना पत्रा/ पंचांग ही सैकड़ों साल पुराने मुहूर्त के बारे में बता देता है। मुझे कभी-कभी लगता है कि देश की असली सेवा हमारे ज्योतिषी ही करते हैं ,लेकिन कभी-कभी इनके ऊपर शक भी होता है , क्योंकि ये ज्योतिषी आजतक ये नहीं बताये कि देश के ' अच्छे दिन कब आएंगे ?

आपको बता दूँ कि मै जिस शहर में रहता हूँ वो एक बड़े गांव जैसा ही ह। महाराजाओं का शहर है। यहां न सिटी बस है और न मेट्रो रेल।  लेकिन वहां भी इस मुहूर्त के फेर में एक दिन में एक हजार वाहनों की खरीद हो गयी ।  मकान खरीदने वालों को मुहूर्त के हिसाब से रजिस्ट्री करने के लिए मुंह-मांगी रिश्वत देने के लिए मजबूर होना पड़ा। क्या पता कि मुहूर्त निकलने के बाद खरीदारी लाभप्रद हो या न हो। हमारे यहां आदमी धर्मभीरु   ही नहीं ज्योतिष-भीरु भी है। ज्योतिषी नट की तरह देश की सीधीसादी  जनता को अपने इशारे पर नचाते हैं। जनता  कभी नहीं सोचती   कि ये दुष्ट ज्योतिषी उनके भले के लिए नहीं बल्कि बाजार के भले के लिए ख़ास मुहूर्त निकलकर अखबारों में ,टीवी चैनलों पर दिखाते हैं। जनता तो ठहरी आँख की अंधी  और नाम नयनसुख वाली। अपने दिमाग की खिड़कियां और दरवाजे कभी खोलती ही नहीं।चाहे चुनाव हो या भागवत कथा।  देश की जनता कभी इन ज्योतिषियों से पूछती ही नहीं कि दुर्लभ योग में उन्होंने अपने लिए क्या खरीदा ?

ज्योतिषी बड़े चतुर  -सुजान होते हैं।  जनता को किश्तों में उलूक बनाते हैं। इस साल  उन्होंने वृषभ ,कन्या और तुला राशि के जातकों को चुना। कहा कि इन राशियों के लोग यदि 752  साल बाद पड़ने वाले दुर्लभ योग का लाभ उठाना चाहते हैं जो हनकर यानि जमकर दरियादीली से खरीद-फरोख्त करें ।  ईडी ,सीबीईआई की फ़िक्र न करें।

चूंकि ये मुहूर्त केवल हिन्दू पंचांगों में से निकलते  हैं इसीलिए ये हिन्दुओं के लिए ही शुभ होते है।  मुसलमान,ईसाई या दूसरे धर्मों के लोगों के लिए नहीं।  हामिद  को तो आज भी अपनी अम्मी के लिए बाजार से चिमटा ही खरीदना पड़ता है। देश के 85  करोड़ लोग तो उस मुहूर्त को ही शुभ मानते हैं जिस  दिन उन्हें पांच किलो मुफ्त का अन्न मिलता है।  लाड़ली बहिनों के लिए तो केवल वो मुहूर्त शुभ होता है जिस दिन उनके खाते में सरकार 1250  रूपये राखी बंधन के नेग के रूप में डाल देती है।

हमारा दुर्भाग्य ये है कि हम लोग चाहकर भी इन ज्योतिषियों की भविष्यवाणीयों को चुनौती देने देश की किसी छोटी या बड़ी अदालत नहीं जा सकता ।  जैसे-तैसे पहुँच भी जाएँ तो वहां हमें सुनेगा कौन ? अदालतों में भी तो आखिर धर्मभीरु/ मुहूर्त   प्रेमी लोग ही विराजते हैं। हमारे देश के मुख्यन्यायाधीश ने खुद रहस्योद्घाटन किया कि वे जब भी किसी बड़े मामले में फैसला करने वाले होते हैं भगवान की शरण में चले जाते हैं। देश का कोई ज्योतिषी वही गुरु,अल्लाह या जीसस की शरण में कभी गया हो तो हमें पता नहीं। कहने का आशय ये है कि जिस देश में कार्यपालिका,विधायिका और न्यायपालीका तक भगवान के भरोसे काम करती हो उस देश में आखिर ज्योतिषियों का तम्बू कौन उखाड़ सकता है ? इन्हें तो  सर्वदलीय समर्थन हासिल होता है।  किसी भी दल   की सरकार हो कोई इनके खिलाफ जाने वाला नहीं है। क्योंकि सभी की दुकानदारी  में ज्योतिष की अहम भूमिका है।

आप मुझे ज्योतिष शास्त्र कहें या विज्ञान कहें का विरोधी न माने ।  निंदक न मानें। मुझे तो अपने सनातन ज्ञान पर गर्व है। इसी के चलते सहमत न होते हुए मै जिस अखबार में काम करता था उसके पंडित जी यदि किसी दिन भविष्यफल भेजने में आलस करते थे तो मैं खुद उनकी और से भविष्यफल लिखकर छाप लेता था ।पाठकों का मन जो रखना होता था।   मैने जिस स्थानीय न्यूज चैनल में काम किया उसके दर्शकों के लिए खुद कंठीमाला पहनकर ज्योतिषी की भूमिका अदा की।आजकल चैनलों में अभिनय ही तो प्रधान है।  आखिर जनता की आँखों में धूल ही तो झोंकना है नेताओं की तरह। जनता की आँखों में धूल झोंकना सबसे आसान काम और सबसे अधिक ललितकला है। इसलिए आप भी मेरे कहने से  752  साल बाद बने इस सौभग्यशाली मुहूर्त की अनदेख न करें। खरीदारी करे। क्रेडिट कार्ड से करें ,परसनल   लोन लेकर करें ,कढ़ुआ[ कर्ज लेकर ] काढ़कर करें। खरीदारी जरूर करें ,क्योंकि इसी से तो आपका भाग्य चमकने वाला है।  जय श्री राम

@ राकेश अचल

24 अक्टूबर 2024, गुरुवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:28 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:41 बजे 

*विक्रम संवत-2081* शाके-1946 

*वी.नि.संवत- 2550* 

*सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन,

उत्तर  गोल 

*ऋतु* : शरद  ऋतु

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज कार्तिक  माह कृष्ण पक्ष *अष्टमी* तिथि 25:5 8बजे तक फिर नवमी तिथि चलेगी।

💥 *नक्षत्र* पुष्य नक्षत्र  दिनरात रहेगा।

    *योग* :- आज *साध्य* है।  *करण*  :-आज   *बालव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक, भद्रा गण्डमूल, नहीं  है।

*अग्निवास*: आज आकाश में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज दक्षिण दिशा में।

*राहूकाल* :आज 13:29 बजे से 14:43 बजे तक  अशुभ समय है।

*अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:43बजे से 12:27 बजे तक  शुभ 

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*त्योहार*  कोई नहीं 

*मुहूर्त* : नींव,भूमि,जीर्ण  गृहप्रवेश,दुकान,ऑफिस, वाहन,  है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-तुला, चन्द्र-कर्क, मंगल-मिथुन, बुध-तुला, गुरु-वृष, शुक्र-वृश्चिक, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

 *🌞चोघडिया, दिन*

शुभ 06:23 - 07:47 शुभ

रोग 07:47 - 09:12 अशुभ

उद्वेग 09:12 - 10:37 अशुभ

चर 10:37 - 12:01 शुभ

लाभ 12:01 - 13:26 शुभ

अमृत 13:26 - 14:51 शुभ

काल 14:51 - 16:15 अशुभ

शुभ 16:15 - 17:40 शुभ

*🌓चोघडिया, रात*

अमृत 17:40 - 19:15 शुभ

चर 19:15 - 20:51 शुभ

रोग 20:51 - 22:26 अशुभ

काल 22:26 - 24:02*अशुभ

 *अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें _मो  9425187186 (अभी तक अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी अक्षरतः सत्य सिद्ध हुई)* *ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रिय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)* 

*हस्तरेखा,जन्म कुंडली,वास्तु विशेषज्ञ*

ओबीसी महासभा ने कलेक्टर के नाम दस सूत्रीय मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन

तहसीलदार की गैर मौजूदगी में पटवारी ने लिया ज्ञापन

भाजपा और कांग्रेस जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुर्दाबाद के लगाए नारे

Aapkedwar news–अजय अहिरवार 

लिधौरा//ओबीसी महासभा की टीकमगढ़ इकाई के तमाम कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर लिधौरा रेस्ट हाउस पहुंचकर मीटिंग कर नगर के मुख्य चौराहे से जुलूस निकालकर भाजपा और कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए पैदल मार्च करते हुए तहसील कार्यालय पहुंचकर किसानों की मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा है।

 किसानों के साथ चल रहे भ्रष्टाचार और तमाम प्रकार के काम न करने के और बिगाड़ने के पटवारियों पर लगाए आरोप,ज्ञापन में की गई मांगे जिसमें किसानों के बिजली बिल माफ एवं अस्थाई कनेक्शन के बिजली बिल हाफ किए जाएं,1 दिन में 12 घंटे बिजली दी जाए, किसानों को समय पर डीएपी और यूरिया खाद मिले,समितियों और व्यापारियों पर अधिक रेट पर खाद बेचने पर कार्रवाई की जाए, तहसील लिधौरा एवं जतारा एसडीएम कार्यालय में लंबित प्रकरणों को जल्द से जल्द निराकृत किया जाए, सरकारी स्कूलों और अस्पतालों में बेहतर व्यवस्थाएं और कड़ी निगरानी रखी जाए, प्रत्येक 10 पंचायत के बीच एक कृषि अनुसंधान केंद्र खोला जाए जिससे किसान वैज्ञानिक पद्धति से खेती कर अधिक मुनाफा कमा सकें, जिले में उद्योग खोला जाए, जातिगत जनगणना कराई जाए, चंदेरा के बापूनगर से ग्राम मडोरी पहुंच मार्ग व्यवस्थित तरीके से खुलवाया जाए और बनाया जाए। उपर्युक्त मांगों को लेकर ओबीसी महासभा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर से मांगे पूरी करवाने की बात कही। इस दौरान ज्ञापन सौंपने वालों में ओबीसी महासभा जिला इकाई टीकमगढ़ ने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ  ज्ञापन सौंपा जिसमें जिला अध्यक्ष निलेश यादव, सीबी कुशवाहा, सीताराम लोधी,अखिलेश यादव,दिनेश चौरसिया, कौशल प्रजापति,उत्तम नापित,कमलेश कुशवाहा, कैलाश यादव,पुनीत रजक,यशपाल चौरसिया, भगवानदास बाबा जी, लवली कुशवाहा,बलराम देवेंद्र एवं सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।

23 अक्टूबर 2024, बुधवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:28 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:42 बजे 

*विक्रम संवत-2081* शाके-1946 

*वी.नि.संवत- 2550* 

*सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन,

उत्तर  गोल 

*ऋतु* : शरद  ऋतु

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज कार्तिक  माह कृष्ण पक्ष *सप्तमी* तिथि 25:18बजे तक फिर अष्टमी तिथि चलेगी।

💥 *नक्षत्र* पुनर्वसु नक्षत्र 30:15 बजे तक  फिर पुष्य नक्षत्र रहेगा।

    *योग* :- आज *शिव* 06:58 बजे से सिद्धि है।  *करण*  :-आज   *विष्टि* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक, गण्डमूल,भद्रा 13:17 तक  है।

*अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज उत्तर दिशा में।

*राहूकाल* :आज 12:05 बजे से 13:29 बजे तक  अशुभ समय है।

*अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:43बजे से 12:28 बजे तक  शुभ 

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*त्योहार*  कोई नहीं 

*मुहूर्त* : नींव,भूमि पूजन,दुकान,ऑफिस, वाहन,व्यापार हेमंत ऋतु प्रारंभ  है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-तुला, चन्द्र-मिथुन, मंगल-मिथुन, बुध-तुला, गुरु-वृष, शुक्र-वृश्चिक, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

 *🌞चोघडिया, दिन*

लाभ 06:24 - 07:48 शुभ

अमृत 07:48 - 09:13 शुभ

काल 09:13 - 10:37 अशुभ

शुभ 10:37 - 12:02 शुभ

रोग 12:02 - 13:27 अशुभ

उद्वेग 13:27 - 14:51 अशुभ

चर 14:51 - 16:16 शुभ

लाभ 16:16 - 17:40 शुभ

*🌓चोघडिया, रात*

उद्वेग 17:40 - 19:16 अशुभ

शुभ 19:16 - 20:51 शुभ

अमृत 20:51 - 22:27 शुभ

चर 22:27 - 24:02* शुभ

 *अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें _मो  9425187186 (अभी तक अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी अक्षरतः सत्य सिद्ध हुई)* *ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रिय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)* 

*हस्तरेखा,जन्म कुंडली,वास्तु विशेषज्ञ*

अब चांदी ही चांदी ,मगर किसकी ?

 

आज कोई पोलटिकल या कम्युनल बात नहीं होगी क्योंकि आज का मुद्दा तेजी से उछल रही चांदी है चांदी को रजत भी कहा जाता है।  रजतपट का नाम तो आपने सुना ही होगा ।  चांदी इतनी तेजी से उछल रही है कि  देखने वाले भौंचक हैं।इतना तेज तो हमारे एथलीट भी नहीं उछल पाते   चांदी न खाने के काम आती है न आईस्क्रीम बनाने के काम लेकिन चांदी के भाव आसमान छूकर आसमान से भी ऊपर किसी तीसरे -चौथे ग्रह से आगे निकल गए हैं।

चांदी आम आदमी की धातु है ।  आम आदमी से मतलब गरीब-गुरवों की धातु  ।  आदिवासियों की धातु।  दवाओं और मिठाइयों  को सजाने के लिए वर्क बनाने के काम आने वाली धातु । लेकिन अब इस चांदी को  भी बाजार की नजर लग गयी है। चांदी हो या सोना या पीतल हमारे यहां धनतेरस पर खरीदा जाता है।  परम्परा है।  ज्योतिषी ऐसे योग बता देते हैं कि  हैसियत हो या न हो बिना खरीदारी के मन नहीं मानता। अब धनतेरस और दीपावली  से पहले जहां सोने की चमक बढ़ती जा रही है, तो वहीं दूसरी कीमती धातु चांदी  भी लगातार उछल रही है । सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को चांदी ने नया मुकाम छू लिया, जी हां, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी  'मैक्स ' पर एक किलो चांदी का भाव 1,00,000 रुपये के स्तर को छू गया।

चांदी के बढ़ते दाम ही देश की तरक्की का सबसे बड़ा प्रमाण हैं तो हमारा देश बिला शक तरक्की कर रहा है। इतनी तरक्की देश ने पहले कभी नहीं की।  अब नहीं की तो नहीं  की ।  हमें हकीकत को तस्लीम करना ही चाहिए। हम कोई विपक्ष तो हैं नहीं जो इस तरक्की को ख़ारिज कर दें ! हमें हकीकत का समाना करना आता है ।  हमें पता है कि  हमारी हैसियत अपने परिवार की महिलाओं के लिए सोने के आभूषण खरीदने की भी नहीं है लेकिन अब हम शायद चांदी के आभूषण भी खरीदने लायक नहीं रहे।  ये बात और है कि आजकल मोटे-ताजे अखबारों में चांदी के आभूषणों  का कोई विज्ञापन नहीं छपता ।  केवल स्वर्ण और हीरे के आभूषणों  के विज्ञापन आते हैं।

छात्र जीवन में हमने एक बार चांदी पर निबंध लिखा था ।  उस निबंध की कुछ पंक्तियाँ   हमें आज भी याद हैं।  जैसे कि - चांदी सफ़ेद चमकदार धातु है।चांदी ऊष्मा व विद्युत की सबसे अच्छी सुचालक है।चांदी का परमाणु भार 107.88, विशिष्ट घनत्व 10.55 से 9.87 तक, विशिष्ट ऊष्मा लगभग 0.56 तथा रेखीय प्रसारगुणक 1° से 100° सें. के बीच 0.0000194 है।  दुनिया का तो पता नहीं किन्तु हमारे देश में चांदी का उपयोग सिक्के व आभूषण बर्तन बनाने के अलावा , फोटोग्राफी में काम आने वाले सिल्वर ब्रोमाइड बनाने में किया जाता है।चांदी के द्वारा अमलगम बना कर इससे दर्पण बनाये जाते हैं व दाँतों में भरने के काम आता है।चांदी से बनी मिश्रधातुयें अत्यधिक उपयोगी होती हैं। आयुर्वेद वाले स्वर्ण भस्म की तरह चांदी की रजत भस्म बनाकर रोगियों कि तमाम रोग भस्म करने का दावा करते है।  लेकिन अब चांदी इतनी महंगी हो गयी है की आप न इसे दांत में भर सकते हैं और न शहद लगाकर चाट सकते हैं ।  मिठाइयों पार इसके वर्क लगाने का तो ख्वाब भी मत देखिये। चांदी के अक्षरों से कोई इतिहास भी तो नहीं लिखा जाता।

एक लाख प्रति किलो तक आ पहुंची चांदी हमारे जीवन में ही नहीं बल्कि हमारे साहित्य और कहावतों में भी ससम्मान मौजूद है ।  हम अक्सर कहते हैं कि - फलां साहब की तो चांदी ही चांदी है।  या फलां साहब तो मुंह में चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुए है।  ये साहब   या फिर फलां साहब तो आजकल चांदी काट रहे है।  कभी किसी ने नहीं कहा की फलां साहब का तो सोना ही सोना है या फलां साहब आजकल सोना काट रहे हैं।  ये चांदी का वैभव है कि वो लोक जीवन में सोने से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है।  समाज में चांदी की ' सिल्ली ' रखी जाती है लेकिन सोना बिस्किट से ज्यादा बड़ा नहीं हो पाया। भले ही किलो कि दाम सोने कि चांदी से ज्यादा हों,लेकिन किलो कि हिसाब से लोग सोना नहीं चांदी खरीदते है।  चांदी आखिर सुरक्षित निवेश का भी तो माध्यम है।

भारत हालांकि कृषि प्रधान देश है लेकिन यहां चांदी की खपत बहुत ज्यादा है।  भारत अपनी जरूरत की चांदी पैदा नहीं कर पाता तो उसे विदेशों से चांदी मंगाना पड़ती है।  आखिर जनता का ख्याल तो रखना ही पड़ता है  ! भारत में इसका बहुत कम उत्पादन होता है। भारत अक्सर  बेल्जियम, ब्रिटेन, इटली, पश्चिमी जर्मनी आदि देशों से  चांदी का  आयात  करता हैं।  भारत में चांदी - राजस्थान में जावर माइन्स, कर्नाटक में चित्रदुर्ग तथा बेलारी ज़िले, आन्ध्र प्रदेश में कडपा, गुंटूर तथा कुरनूल ज़िले, झारखण्ड में संथाल परगना तथा उत्तराखण्ड में अल्मोड़ा में मिल जाती है।  पहले इसका उत्खनन तमिलनाडु के अन्नतपुर में भी किया जाता था जो अब समाप्त हो गया है। पुराने आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 1999-2000 के दौरान देश में कुल 53641 किग्रा. चांदी का उत्पादन हुआ था।

चांदी भी छूई-मुई है।  विशेषज्ञ  बताते हैं  कि चांदी  में ये उछाल मध्य पूर्व में बढ़ते जियो-पॉलिटिकल तनाव  और आगामी अमेरिकी चुनावों से जुड़ी अनिश्चितताओं के कारण देखने को मिल रहा है. केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टरअजय केडिया  का अनुमान है कि मार्च 2025 तक चांदी का भाव 1.3 लाख रुपये प्रति किलो तक पहुँच सकता है। यानि चांदी को महंगा करने में हमारे देश की गठबंधन या बैशाखनंदन सरकार का कोई हाथ नहीं है।  कोई भूमिका नहीं है,इसलिए उसे इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। वैसे भी हमारी सरकार कोई जिम्मेदारी अपने ऊपर कभी लेती नहीं।  उसे राम पर भरोसा है और जनता को भी।

हमारी सरकार देश की जनता के, लिए कोई दूसरी जरूरी चीज का आयात करे या न करे लेकिन चांदी का आयात जरूर करती है ।  सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत ने जनवरी से अप्रैल के दौरान रिकॉर्ड 4,172 मीट्रिक टन चांदी का आयात किया, जो एक वर्ष पहले इसी अवधि आयात से 455 टन से अधिक है।  ये हमारी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि जरूर है। पिछले बजट में ही हमारी सरकार ने इसीलिए चांदी कि आयात पर शुल्क बढ़ा दिया ।  यानी आम कि आम और गुठलियों कि दाम जैसी है चांदी। हम सनातनी हिन्दू मुसलमानों की दुकानों से खाने-पीने की चीजें खरीदें या न खरीदें लेकिन चांदी जरूर खरीद लेते है।  आप ये जानकर हैरान होंगे कि भारत का अपने मुक्त व्यापार समझौता ) साझेदार संयुक्त अरब अमीरात  से सोने और चांदी का आयात 2023-24 में 210 प्रतिशत बढ़कर 10.7 अरब डॉलर हो  चुका है। जबकि ये इस्लामिक देश है।

चांदी सोने कि मुकाबले में झाँकने में भी आगे है और उछलने में  भी।  सोने कि कंगन ही खनकते हैं। वे उछल नहीं सकते,लेकिनचांदी  जेवर ही नहीं  बल्कि खुद चांदी सोने कि मुकाबले 10  फीसदी ज्यादा उछल सकती है ।  उछल रही है ।  सोना 20  फीसदी उछला तो चांदी 30  फीसदी उछल गयी।

आप यदि न चौंके तो आपको बता दू कि भारत में भले ही 85  करोड़ लोग सरकार कि पांच किलो अनाज पर आने वाले 2028  तक निर्भर रहेंगे लेकिन चांदी को लेकर भारत की दरियादिली कम होने का नाम नहीं लेती ।  आप मेरी मानें या न मानें किन्तु जीटीआरआई की रिपोर्ट  को तो सच मान लीजिये।  इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत असीमित मात्रा में चांदी के आयात पर सात प्रतिशत शुल्क या सीमा शुल्क रियायतें और 160 मीट्रिक टन सोने पर एक प्रतिशत रियायत देता है. सीईपीए पर फरवरी 2022 में हस्ताक्षर किए गए और मई 2022 में इसे लागू किया गया। अब ये आपके ऊपर है की आप आने वाले दिनों में अपनी बचत बैंकों में जमा करें या उसे चांदी में निवेशित करें। आप चांदी के जूते भी बनवा कर रख सकते है। वक्त जरूरत काम आ सकते है।  भूलिए मत कि-चंदू के चाचा ने, चंदू की चाची को, चांदनी रात में, चांदी के चम्मच से चटनी चटाई थी।

@ राकेश अचल

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