रूस से राजयोगिनी संतोष दीदी ग्वालियर आ रहीं है


 रविकांत दुबे

विभिन्न विषयों पर प्रवचन देंगी

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता एवं सेंट पीटर्सबर्ग रशिया केन्द्र की निदेशिका राजयोगिनी बीके संतोष दीदी पांच दिवसीय प्रवास पर 4 नवंबर को दोपहर 12 बजे ग्वालियर पहुंच रही है। बीके संतोष दीदी पहली बार ग्वालियर आ रही है। 
कार्यक्रम की आयोजक  ब्रह्मकुमारीज लश्कर केन्द्र की मुख्य संचालिका बीके आदर्श दीदी एवं बीके प्रहलाद ने आज पत्रकारों को बताया कि ब्रह्मकुमारी संस्थान इसी वर्ष ग्वालियर में आध्यात्मिक शिक्षा एवं जन सेवा के 63 वर्ष पूर्ण कर रहा है। इस उपलक्ष्य में ग्वालियर केन्द्र लश्कर केन्द्र की डायमंड जुबली हीरक जयंती मनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि बीके संतोष दीदी 4 नवंबर को दोपहर 12 बजे एयरपोर्ट पर पहुंचेंगी । वहां संस्थान के सदस्यों द्वारा उनका स्वागत किया जाएगा। तत्पश्चात दीदी सीधा ब्रह्मकुमारी के प्रभु उपहार भवन माधवगंज केन्द्र पहुंचेंगी। दीदी बीके संतोष पांच नवंबर से विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगी। 

बीके आदर्श ने बताया कि बीके संतोष दीदी 5 नवंबर को माधवगंज केन्द्र पर 9 से एक बजे तक तथा शाम को 5 बजे से 07 30 बजे तक संस्थान से जुडे भाई बहनों के लिए आयोजित ध्यान साधना शिविर को संबोधित करेंगी। 
6 नवम्बर सुबह 10 बजे से 1 बजे तक महाराजपुरा गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर में भोपाल ज़ोन के विभिन्न जिलों की टीचर्स बहनों से मुलकात एवं कार्यक्रम में हिस्सा लेंगी। तत्पश्चात शाम 5 बजे से 7:30 बजे तक माधवगंज केंद्र पर युवाओं के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करेंगी।
7 नवम्बर को दूसरे ग्रुप के लिए माधवगंज केंद्र पर श्रद्धालुयों के लिए आयोजित ध्यान साधना शिविर को संबोधित करेंगी।
8 नवम्बर को प्रातः 7:30 बजे 9 बजे तक “भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान के सभागार” में शहर के सम्मानीय नागरिको के लिए “ईश्वरीय शक्तियों से चुनौतियों का सामना” विषय पर प्रेरक उद्बोधन एवं मेडिटेशन का कार्यक्रम रहेगा।
एवं ब्रह्माकुमारीज केंद्र के 63 वर्ष पूर्ण होने पर 8 नवम्बर शाम को 5.00 से 7.30 बजे तक भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान के सभागार में ही हीरक जयंती समारोह का कार्यक्रम आयोजित होगा। जिसमें ब्रह्माकुमारीज भोपाल ज़ोन की क्षेत्रीय निदेशिका राजयोगिनी बीके अवधेश दीदी एवं शहर के विभिन्न गणमान्य नागरिक शामिल होंगे । 
राजयोगिनी बीके संतोष दीदी का जीवन परिचय 
बी.के. संतोष दीदी जी का जन्म 1964 में दिल्ली, में शिक्षित और धार्मिक परिवार में हुआ था। 1977 में, अपने माता-पिता के साथ आप ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के संपर्क में आये। प्रारंभ से ही दीदी जी की आध्यात्मिकता में रूचि रही तथा ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के संपर्क द्वारा राजयोग ध्यान के नियमित अभ्यास से आपने कई दिव्य अनुभूतियाँ की । कुशल नेतृत्व की कला से सम्पन्न दीदी जी की बाल्यकाल से ही सामाजिक सेवाओं में अधिक रूचि रही तथा इस विशेषता ने आपको ईश्वरीय सेवाओं की ओर आकर्षित किया। अपनी सक्रिय सामाजिक जीवन और पढ़ाई के बावजूद, वह आध्यात्मिक सत्य के अपने अनुभव को गहरा करने की आवश्यकता महसूस कर रही थीं और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक होने के तुरंत बाद उन्होंने ब्रह्माकुमारी शिक्षक के रूप में आध्यात्मिक अध्ययन और ईश्वरीय सेवाओं के लिए आपने वर्ष 1983 में अपना सम्पूर्ण जीवन ईश्वरीय सेवाओं में समर्पित कर दिया।
1983 से 1989 तक उन्होंने भारत में, विशेष रूप से दिल्ली और संबंधित क्षेत्रों में आध्यात्मिक सेवाएं दी। 1989 में, ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान को रूसी विज्ञान अकादमी द्वारा आमंत्रित किया गया और बीके संतोष को रूस में सेवाएं शुरू करने के लिए नियुक्त किया गया। मार्च 1990 में आप मास्को (रशिया) गये वहां से सेंट पीटर्सबर्ग तथा रूस, बाल्टिक क्षेत्र, जॉर्जिया और सीआईएस सहित यूक्रेन, बेलारूस, आर्मेनिया और अज़रबैजान में केंद्र खोलने और आध्यात्मिक सेवाओं को आपके मार्गदर्शन में संचालित किया जा रहा हैं। उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन, यूएसए, कनाडा, श्रीलंका, मध्य और दक्षिण अमेरिका में भी अपनी ईश्वरीय सेवाएं प्रदान की।
वर्तमान समय में आप क्षेत्रीय सांस्कृतिक और शैक्षिक गैरसरकारी संगठन "सेंट पीटर्सबर्ग ब्रह्मा कुमारी केंद्र" के निदेशक, रूस, सीआईएस और बाल्टिक क्षेत्र में ब्रह्मा कुमारी सेवाओं के संयुक्त क्षेत्रीय समन्वयक, "दिव्य प्रकाश" कला और सांस्कृतिक समूह के निदेशक के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं।

पलेरा थाना पुलिस द्वारा दुष्कर्म के आरोपी को 12 घण्टे के अन्दर किया गिरफ़्तार

 प्रमोद अहिरवार जिला ब्यूरो टीकमगढ़ म.प्र.

टीकमगढ़:-  थाना पलेरा अंतर्गत निवासरत 18 वर्षीय युवती ने थाना पलेरा मे आकर रिपोर्ट किया कि दिनांक 02.11.24 को नन्दू उर्फ़ निरपत पुत्र वीरेंद्र जादौन उम्र 22 वर्ष निवासी ग्राम पडुआ थाना पलेरा जिला टीकमगढ़ द्वारा फरयादिया के खेत पर जबरदस्ती उसके साथ दुष्कर्म किया है। आवेदिका की रिपोर्ट पर थाना पलेरा पर अपराध क्रमांक 366/24 धारा  64,(1) बीएनएस का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुये पुलिस अधीक्षक टीकमगढ़ श्री मनोहर सिंह मण्डलोई IPS द्वारा आरोपी को गिरफ्तार करने हेतु  अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री सीताराम एवं एसडीओपी जतारा श्री अभिषेक गौतम के मार्गदर्शन में थाना पलेरा पुलिस द्वारा आरोपी नन्दू उर्फ़ निरपत  जादौन को 12 घण्टे के अन्दर ग्राम पडुआ थाना पलेरा जिला टीकमगढ़ से गिरफ्तार किया  गया।

 पुलिस टीम का सराहनीय योगदान

उक्त कार्यवाही में थाना प्रभारी पलेरा निरीक्षक मनीष मिश्रा, उनि. जयेंन्द्र गोयल , आरक्षक ग्यान सिंह सेंगर, लक्षमन पटेल, भास्कर मिश्रा, रामकृष्ण कुर्मी, महिला आरक्षक महलका फरहीन की सराहनीय भूमिका रही।

महेवा के रतनगढ़ माता मंदिर पर मेला व भंडारा* *सांप बिच्छू आदि के काटने पर भाईदूज पर लगाते हैं झाड़ा

 प्रमोद अहिरवार जिला ब्यूरो टीकमगढ़ म.प्र.

टीकमगढ़:- चंदेरा के नजदीकी ग्राम महेवा चक्र नंबर दो में गोवर्धन पूजा भाई दूज के दिन रतनगढ़ माता मंदिर परिसर में मेला लगाकर सांप बिच्छू काटने वाले झाड़ा लगवाने आते हैं।

जैसा कि सभी को विदित है की दतिया जिले में माता रतनगढ़ के मंदिर पर भाई दूज के दिन ही वर्ष भर में जिन लोगों को सांप बिच्छू ने काटा था और वहां से आराम लग गया था उसी के चलते यह मेले का आयोजन किया जाता है आसपास के तमाम दर्शनार्थी अपनी मन्नतें लेकर मंदिर पहुंचते हैं। ग्रामीणों की माने तो कभी किसी को किसी जहरीले जानवर द्वारा सताया जाता है तो वहां की भभूति लगाकर तुरंत आराम मिल जाता है किंतु इस दिन जिनको आराम लगा था वह सभी इकट्ठे होकर इस आयोजान में शामिल होकर कार्यक्रम को सफल बनाते हैं। और मां रतनगढ़ के भाई के नाम विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है जिसमें क्षेत्रीय लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस मौके पर मंदिर की पुजारी पण्डा कालीचरण एवं सांसद प्रतिनिधि अरविंद यादव कैलाश यादव पूर्व जनपद सदस्य रामगोपाल शिक्षक अरविंद यादव जनपद सदस्य मुन्ना सरपंच अभय यादव मनीष गुप्ता कल्लू यादव शेर सिंह यादव राजू यादव रवि यादव पूर्व जनपद सदस्य पुराने ढीमर एवं अन्य ग्रामीण और क्षेत्रवासी मौजूद रहे।

स्मृति शेष : प्रभात आर्य यानि एक शांत झील

 


बार बार सोचता हूँ कि अब कभी   भी अतीत की स्मृतियों को नहीं कुरेदूँगा ,लेकिन हर बार ये संकल्प धरा का धरा रह  जाता है।  इस बार आधी सदी पुराने पड़ौसी श्रीप्रभात आर्य रुलाकर चले गए। कोई 73   साल के प्रभात जी से परिचय की आधी सदी हो चुकी है ।  मैंने उन्हें शुरू से एक शांत और गहरी झील की तरह देखा।  वे अध्यापन के अध्यवसाय से जुड़े थे और प्रधानाचार्य के पद से सेवा निवृत्त  हुए थे। उनकी सहधर्मिणी श्रीमती काडमबरी आर्य भी शिक्षक ही  हैं ।

 बात उन दिनों की है जब मै कम्पू में रहता था ।  प्रभात जी मेरे घर के पीछे महाडिक की गोठ में तंग गलियों में बने एक पुराने मकान में रहते थे। यानि वो साल 1975  का रहा होगा। मै नवोदित साहित्यसेवी था और वे शिक्षक के साथ ही अंशकालिक साहित्यिक पत्रकार।  प्रभात जी आर्य थे  या अनार्य ये जानने की कोशिश मैंने कभी नहीं की,क्योंकि मुझे ये जानने  की जरूरत ही नहीं पड़ी। वे सदैव अपने चेहरे से एक स्निग्ध मुस्कान चस्पा कर अपने घर से निकलते थे। उनकी ये मुस्कान आजीवन उनके साथ रही।

प्रभात जी संघ  की पृष्ठभूमि से आते थे ,इसलिए उन्होंने दैनिक स्वदेश को अपनी सेवाएं देना पसंद किया ।  सरकारी नौकरी में होते हुए भी वे अंशकालिक पत्रकार थे,साहित्यिक पत्रकार। उनकी धर्मपत्नी भी साहित्यकार थीं सो यदा-कदा गोष्ठियों में मिलना होता ही था और पड़ौसी होने की वजह से हम लोग अक्सर मिलते-जुलते रहते थे ।  कभी किसी सब्जी वाले के यहां तो कभी किसी किराने की दूकान पर। प्रभात जी सदैव मुझे संघीय संस्कारों की वजह से अचल जी कहते थे जबकि मै उनसे  छोटा था।  उनका बड़प्पन ही सामने वाले को उनके सामने बौना बना देता था।

प्रभात जी की सक्रियता उनकी धर्मपत्नी की सक्रियता से एकदम अलग थी ।  आदरणीय कादंबरी जी जितनी बेलौस और मुंहफट हैं, प्रभात जी इसके ठीक विपरीत  मितभाषी और संकोची स्वभाव के थे ।  कम से कम नैने  तो उन्हें कभी गुस्से में नहीं देखा। न घर में और न दफ्तर में। उनके स्वदेश में रहते हुए मेरी कविताएं खूब छपी।   वे साहित्य  के सधे हुए सम्पादक थे ।  उस समय  स्वदेश के सम्पादक श्री राजेंद्र शर्मा हुआ करते थे। जयकिशन शर्मा थे, महेश खरे थे ,प्रशिक्षु के रूप में हरिमोहन शर्मा जैसे अनेक युवा थे ।  तब प्रभात झा का उदय नहीं हुआ था । लेकिन प्रभात आर्य जी की न किसी से पर्तिस्पर्धा   थी और न किसी से अदावत।  आप कह सकते हैं कि  वे अजातशत्रु थे। वे समय  पर स्कूल जाते थे तो समय पार ही स्वदेश में। वे चाहते तो स्वदेश उन्हें सम्पादक भी बना सकता था किंतु वे अपनी सरकारी नौकरी से खुश थे । उन्होंने कभी कोई बड़ी  महत्वाकांक्षा नहीं पाली। जबकि उनके साथ कि महेश खरे स्वदेश में अपनी उपेक्षा से परेशान होकर स्वदेश छोड़ गए थे। प्रभात जी हमेशा स्वदेश में रहे।

सन1990  के आसपास मै कम्पू से निकलकर थाटीपुर आ गया और प्रभात जी ने भी अपना नया घरोंदा बना लिया।  लेकिन समय-समय पर हमारा मिलना जुलना जारी रहा ।  पिछले अनेक वर्षों से वे  ज्यादा सक्रिय नहीं थे ,किन्तु संघ के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों  में वे पार्श्व में मौजूद दिखाई देते थे। औसत कद-काठी के मालिक प्रभात जी का ललाट उन्नत था। पिछले कुछ दिनों से उनका स्वास्थ्य गड़बड़ था ।  दिल ने हरकत की तो उन्होंने उसकी मरम्मत भी कराई लेकिन उन्हें  कोई और धोखा नहीं दे पाया सिवाय दिल के ।  वे दिल के धोखे का ही शिकार हुए ,और जैरे इलाज चलते बने।

प्रभात जी के जाने से उनके चाहने वाले दुखी होंगे ही। परिवार के लिए उनका जाना किसी वज्रपात से कम नहीं है ,लेकिन उन्होंने अपने लिए कोई ऐसा स्थान नहीं बनाया जिसको पूरा करने की बात कही जा सके।  उनका जाना हम मित्रों   की निजी क्षति है ।  राष्ट्रवादी विचारों वाले परिवार की क्षति है। वे जिस तरह  एक ठहरी झील की तरह जिए उसी तरह शांति से अनंत यात्रा पर निकल भी गए। चुपचाप। बिना किसी से कुछ कहे-सुने। प्रभात जी ने सोशल  मीडिया पर अपने चार-पांच खाते खोल रखे थे लेकिन  उनकी सक्रियता बड़ी सीमित थी ।  वे न अपने आप से असहमत लोगों से कभी उलझे और न सहमत लोगों के सामने कभी बिछे।  उन्होंने सहमति और असहमति के बीच हमेशा एक संतुलन बना कर रखा। वे हमारी मित्र मण्डली के विदा लेने वाले एक और आर्य हो गए हैं।  उनसे पहले श्री ओमप्रकाश आर्य गए। दिवाकर   विद्यालंकार जी गए।  प्रभात जी हमारी स्मृतियों में लम्बे समय तक मौजूद रहने वाले है।  विनम्र श्रृद्धांजलि।

@ राकेश अचल

जैन समाज ज्योतिषगौरव की उपाधि से सम्मानित हुए ज्योतिषाचार्य डॉ जैन

   


मैंने कभी सोचा भी ना था कि कोई ऐसा भी क्षण आएगा जब मुझे आचार्य भगवन विद्यासागर जी द्वारा दीक्षित संघस्थ किसी संत का इतना बड़ा आशीर्वाद धर्म सभा में  मिलेगा यह कहना है ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन का वो क्षण आज आया  परम पूज्य 105 आर्यिका पूर्णमति माताजी के श्री विद्यापूर्ण चातुर्मास  निष्ठापन  गौरवमय तरीके से  ग्वालियर में 03 नवंबर 2024 के दिन चातुर्मास स्थल पर चल रहा था उस समय श्री विद्यापूर्ण वर्षायोग समिति ने सदन  में उपस्थित जनसमूह में परमपूज्य पूर्णमति माता जी का  बातसल्यमय आशीर्वाद प्रदान किया इस अवसर पर श्री  विद्यापूर्ण वर्षा योग समिति मुरार ने ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन को उनके तीन दशक से ज्योतिष के क्षेत्र में लगातार कार्य करते रहने पर "जैनसमाज ज्योतिषगौरव" की उपाधि से सम्मानित किया।

संघ ' की मांग में ' उधार का सिन्दूर '

 

आज के आलेख का शीर्षक पढ़कर आप मुझे संघ यानि आरएसस का विरोधी न समझ लें ।  मै संघ से असहमत हो सकता हूँ लेकिन उसका धुर विरोधी नहीं। दुनिया में मेरे अनेक संघी मित्र हैं और मित्र ही नहीं, अभिन्न मित्र हैं ,क्योंकि वे गुरु गोलवलकर की तरह जखड्डी नहीं बल्कि रज्जू भैया की तरह उदार हृदय हैं। संघ यानि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अगले साल 25  सितंबर को अपने 100  वर्ष पूरे कर लेगा ,लेकिन इस शताब्दी को छूते-छूते संघ अनेक मामलों में सम्पन्न होते-होते विपन्न हो गया है। यहां तक कि अब उसके पास अपने नारे तक नहीं बचे हैं। संघ ने मजबूरन अपनी मांग में उधार का सिन्दूर भरना शुरू कर दिया है।

संघ आजकल अपने नए नारे ' बंटोगे तो कटोगे ' को लेकर सुर्ख़ियों में है ,लेकिन ये नारा संघ की अपनी खोज नहीं है ।  इस नारे के जनक गैर-संघी  हिंदूवादी नेता और उत्तरप्रदेश के उत्तरदायी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं।  योगी जी ने ये नारा आम चुनाव के बाद 2024  में भाजपा की अप्रत्याशित पराजय के बाद गढ़ा और 4  जून 2024  के बाद देश में हुए अनेक राज्यों के विधानसभा चुनावों में इसका इस्तेमाल किया।  योगी जी का नारा कट्टर हिन्दुओं के सिर चढ़कर बोलता दिखा तो धीरे से संघ ने इस नारे को सिन्दूर समझकर अपनी मांग में भर लिया।  संघ के बड़े नेता दत्तात्रय होसबोले ने सबसे पहले इस नारे का समर्थन किया और आज न केवल संघ बल्कि पूरी भाजपा इस नारे के सहारे देश में साम्प्रदायिकता की नई इबारत लिखने में जुटी हुई है।

' बंटोगे तो कटोगे ' का नारा सिहरन पैदा करने वाला है।  इस नारे से सबसे ज्यादा सिहरन उत्तर प्रदेश में देखी जा रही है ।  उत्तर प्रदेश में ही भाजपा को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की युति की वजह से लोकसभा में धूल चाटना पड़ी थी।  संघ और योगी के इस नारे के जबाब में कांग्रेस ने तो कोई नारा नहीं गढ़ा  किन्तु समाजवादी पार्टी ने एक नारा जरूर गढ़ लिया कि -'जुड़ोगे तो जीतोगे ' इस नारे से सिहरन नहीं होती।  ये नारा उम्मीदों का नारा लगता है। समाजवादी पार्टी  ने इस नारे से पहले पीडीए का फार्मूला इस्तेमाल किया था और सपा का नया नारा भी इसी फार्मूले का परिष्कृत संस्करण है।  अब इसी महीने ऊपर में होने वाले विधानसभा के उप चुनावों में इन दोनों नारों का परीक्षण भी हो जाएगा। मेरे हिसाब से ये नारे नहीं बल्कि सियासी मिसाइलें हैं। देखना है कि कौन सी मिसाइल ,कितनी मारक साबित होती है ?

बात संघ की मांग में उधार के सिन्दूर की है ।  संघ की सम्पन्नता और विपन्नता को जानने के लिए आपको मेरे साथ संघ  के 99  साला सफर का विंहगावलोकन करना होगा। आप सभी जानते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर सन् 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ॰ केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी।ये वो दौर था जब देश दासता कि बेड़ियों में जकड़ा था और इससे मुक्ति के लिए छटपटा रहा था। संघ का मकसद  प्रारंभिक प्रोत्साहन हिंदू अनुशासन के माध्यम से चरित्र प्रशिक्षण प्रदान करना था और हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए हिंदू समुदाय को एकजुट करना था।जबकि उसी दौर में महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी उस समय के पीडीए के फार्मूले पर पूरे देश को एकजुट कर नया भारत बनाने के लिए प्रयास कर रहे थे। जीत गांधी की हुई । हेडगेवार का सपना पूरा नहीं हो सका।  भारत आजाद हुआ तो पाकिस्तान की तरह धार्मिक राष्ट्र नहीं बना बल्कि  एक ऐसा प्रभुता सम्पन्न देश बना जिसमें सभी धर्मों के लिए समान अवसर और सम्मान हासिल था। संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार लगातार 15  साल तक अपने उद्देश्य की पूर्ती के लिए कोशिश करते रहे और हिन्दू  राष्ट्र का अधूरा सपना लिए ही चल बसे।  उनके बाद माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ने संघ कि कमान सम्हाली।

गुरु गोलवलकर के नाम से लोकप्रिय माधवराव सदा शिवराव ने संघ को लगातार 33  साल तक अपने खून-पसीने से सींचा और वे 1940  से 1973  तक संघ के सर्व सम्मत मुखिया रहे।  ये दौर आजादी के बाद  नेहरू,शास्त्री और इंदिरा गाँधी का दौर था।  इन तीनों प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में संघ का प्रसार खूब हुआ । पाबंदियां भी लगीं रहीं किन्तु संघ का सपना पूरा नहीं हुआ।  अनेक सपने ऐसे होते हैं जो आसानी से पूरे नहीं होते ।  गुरु गोलवलकर भी डॉ हेडगेवार की तरह भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने में नाकाम रहे और चल बसे। गुरु गोलवलकर के बाद  एक और माधवराव आये उनका पूरा नाम माधवराव दत्तात्रय देवरस था।

 देवरस का संघ भी ठीक वैसा ही संघ था जैसा हेडगेवार साहब चाहते थे ।  देवरस साहब ने लगातार 21  साल १९७३ से 1994 तक देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने के अधूरे सपने को पूरा करने में अपना पसीना बहाया,लेकिन वे भी कामयाब नहीं हुये । हाँ देवरस के काल  में संघ को तत्कालीन  प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल का सामना करना पड़ा ।  ये समय संघ की सक्रियता का एक तरह से नया युग था ।  इस 19 महीने के काले समय में संघ के स्वयंम सेवकों ने भूमिगत रहकर देश में हिंदुत्व का रंग भरने कि भरपूर कोशिश  की। संघ को इसका प्रतिफल भी मिला लगभग 50  साल के  प्रतीक्षा के बाद 1996  में संघ के प्रचारक माननीय अटल बिहारी बाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने।लेकिन तब तक  देवरस काल समाप्त हो चुका था। 1994  में ही देवरस संघ के लिए उपलब्ध नहीं रह पाए ।  उनकी जगह रज्जु भैया ने संघ की कमान  सम्हाल  ली थी ,इसलिए सत्ता के शीर्ष तक पहुँचने का सुयश रज्जू भय के खाते में दर्ज हुआ। रज्जू भैया 1994  से 2000 तक संघ के सर्वे-सवा रहे।  ये रज्जू भैया  की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। बावजूद उन्हें अल्पकाल में ही संघ कि कमान छोड़ना पड़ी।

संघ के नए प्रमुख 2000  में किसी सुदर्शन बनाये गए।  उन्होंने भी ९ साल तक संघ कि खूब सेवा कि ,लेकिन उनके कार्ययकल को यादगार नहीं कहा जा सकता।  सुदर्शन जी ने समय रहते अपनी इच्छा से डॉ मोहन भागवत को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। पिछले 14  साल से डॉ मोहन भागवत संघ के अधूरे सपने में रंग भरने कि कोशिश कर रहे  हैं। डॉ भागवत जन्मे तो थे पशुओं कि सेवा के लिए लेकिन वेटनरी डाक्टर बनने के बाद उन्होंने पशुओं कि सेवा करने के बजाय संघ कि सेवा को चुना ।  वे खानदानी संघी है।  ऊके पिता भी संघ के प्रचारक थे। इसलिए उनके लिए संघ बहुत सहज प्लेटफार्म था।

डॉ मोहन भागवत को संयोग से 2014  में एक ऐसा नेता मिला जो सहोदर न होते हुए भी सहोदर जैसा था ।  उस नेता का नाम है नरेंद्र दामोदर दास मोदी।  दोनों हम उम्र हैं।  एक साथ प्रचारक रहे हैं और ये फर्क करना  मुश्किल होता है कि वे दो जिस्म एक जान नहीं है। आप मोदी में मोहन को और मोहन को देख सकते हैं । डॉ मोहन भागवत के मौजूदा 14  वर्ष के कार्यकाल में भाजपा तीसरी बार सत्ता में आयी है। लेकिन इस अवधि में भी डॉ हेडगेवार के सपने में रंग भरने में संघ को कामयाबी नहीं मिली ।  हालाँकि इस काल में संघ के हिस्से में राम जन्म भूमि विवाद का निबटारा,नए राम मंदिर का निर्माण और मंदिर में रामलला कि प्रतिमा कि स्थापना का सुयश दर्ज हो चुका है।

संघ और भाजपा के दो बड़े नेताओं कि ये जोड़ी 2024  के आमचुनाव होते होते बिखरने लगी ।  मोदी कि भाजपा संघ से बड़ी नजर आने लग।  संघ के 98  साल के लम्बे जीवन में पहली बार ' अपनी ही बिल्ली ने ' म्याऊं ' करके दिखाया ।  भाजपा ने पहली बार ही कहा कि उसे अब संघ कि जरूरत नहीं है। संघ प्रमुख डॉ मोहन भगवत अपमान का ये घूँट भी चुपचाप कड़वी दवा समझकर पी गए। उनका सब्र काम आया या नहीं लेकिन इस दौर में वे देश के सबसे पहले असुरक्षित संघ प्रमुख जरूर बन गये ।  उन्हें देश कि सरकार से सुरक्षा हासिल करना पड़ी।

 डॉ भागवत के मौन का सुफल ये हुआ कि केंद्र सरकार ने संघ की गतिविधियों  पर लगी पाबंदी  को हटा दिया। संघ के प्रचारक जहाँ-तहाँ स्थापित कर दिए गए। संघ के हजारों स्वयं सेवक डबल इंजिन की सरकारों   से हर महीने हजारों रूपये का नेमनूक [  पारश्रमिक  ] पा रहे हैं संघ के सौ साल के सफर में संघ के लिए सबसे कठिन दौर अब है ।  संघ के पास अब कोई चमत्कारी उपकरण नहीं हैं ।  संघ  को गैर संघी  मठाधीश योगी आदित्यनाथ के नारे के सहारे आगे का सफर तय करना पड़ रहा है।  ये संघ के लिए शुभ है या अशुभ ये राम ही जाने ।  हम तो इतना जानते हैं कि संघ इस समय भाजपा कि कठपुतली है और उसकी मांग में योगी द्वारा सृजित उधार का सिन्दूर भरा हुआ है। संघ के शतायु होने पर कोटि-कोटि बधाइयाँ ।  मोहन जू को शुभकामनाएं कि वे संघ के प्रथम सुप्रीमो की ही भांति कम से कम 40  साल तक संघ की सेवा करें।

@ राकेश अचल

3 नवंबर 2024, रविवार का पंचांग

 

*सूर्योदय :-* 06:36 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:32 बजे 

*विक्रम संवत-2081* शाके-1946 

*वीरनिर्वाण संवत- 2551* 

*सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन,

दक्षिण  गोल 

*ऋतु* : - हेमंत  ऋतु

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज कार्तिक  माह  शुक्ल पक्ष *द्वितीया तिथि*  22:05 बजे तक फिर तृतीया  तिथि चलेगी।

💥 *नक्षत्र* अनुराधा नक्षत्र दिन रात चलेगा ।

    *योग* :- आज *सौभाग्य  है।  *करण*  :-आज   *बालव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक, भद्रा, गंडमूल नहीं है।

योग:-

*अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पश्चिम दिशा में।

*राहूकाल* :आज  16:11 बजे से 17:33 बजे तक  अशुभ समय है।

*अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:43 बजे से 12:26 बजे तक  शुभ 

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहार* :- भाई दूज,यम 2,चित्रगुप्त पूजा,श्री विश्वकर्मा पूजा,जैन भगवान पुष्प दंत ज्ञान 

*मुहूर्त* : - सगाई,व्यापार  है  अन्य नहीं है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-तुला, चन्द्र-वृश्चिक, मंगल-कर्क, बुध-वृश्चिक, गुरु-वृष, शुक्र-वृश्चिक, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

*🌞चोघडिया, दिन*

उद्वेग 06:36 - 07:58 अशुभ

चर 07:58 - 09:20 शुभ

लाभ 09:20 - 10:42 शुभ

अमृत 10:42 - 12:04 शुभ

काल 12:04 - 13:27 अशुभ

शुभ 13:27 - 14:49 शुभ

रोग 14:49 - 16:11 अशुभ

उद्वेग 16:11 - 17:33 अशुभ

*🌓चोघडिया, रात*

शुभ 17:33 - 19:11 शुभ

अमृत 19:11 - 20:49 शुभ

चर 20:49 - 22:27 शुभ

रोग 22:27 - 24:05*अशुभ

 *अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें _मो  9425187186 (अभी तक अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी अक्षरतः सत्य सिद्ध हुई)* *ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रिय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)* 

*हस्तरेखा,जन्म कुंडली,वास्तु विशेषज्ञ*

सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में अन्नकूट महोत्सव , श्रद्धा भाव के साथ हुई गोवर्धन जी की पूजा

 रविकांत दुबे

ग्वालियर। शहर के प्रसिद्ध ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में शनिवार को दिवाली की पड़वा पर भक्तिभाव एवम श्रद्धा से भगवान गोवर्धन जी की पूजा अर्चना की गई। इसके साथ ही अन्नकूट महोत्सव भी मनाया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवम धर्मप्राण नागरिक उपस्थित हुए।

दीपावली पर्व के तहत पड़वा पर गोवर्धन पूजनोत्सव व अन्नकूट महोत्सव का विधान है। काशी, मथुरा-वृंदावन समेत देश भर में इसका किया जाता है। इसी क्रम में श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में शाम 4 बजे से अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया।

शाला परिसर में स्थित गौशाला में आज गाय के गोबर से भव्य गोवर्धन बनाए गए। इसे शिखरयुक्त पुष्पादि से सुशोभित गया।भव्य झांकी देखते ही बनती थी। आचार्य मंगल दास आचार्यत्व में शाला के महत्वपूर्ण वैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवकदास जी महाराज के सानिध्य में शाला के संत समाज एवम श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से भगवान गोवर्धन जी का दुग्ध दही से अभिषेक किया। आज गोवर्धन की पूजा में स्वाति नक्षत्र का अदभुत संयोग था सो आज की पूजा विशेष फलदाई थी। 


251 सब्जियों से बने रामभाजा का लगा भोग

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अन्नकुउत लिए शाला में 251 सब्जियों का रांभाजा बनाया गया। महंत रामसेवकदास जी ने गोवर्धन महाराज एवम भगवान विष्णु जी को यह प्रसाद अर्पण किया। इसके पश्चात महा आरती की गई। 

कार्यक्रम में श्रीदास जी, अयोध्यादास जी, रामदास जी, रामकिशन दास जी समाजसेवी श्रीमती ममता कटारे, सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवम भक्तजन उपस्थित थे। अंत में सभी ने अन्नकूट की प्रसादी ग्रहण की।

2 नवंबर 2024,शनिवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:35 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:33 बजे 

*विक्रम संवत-2081* शाके-1946 

*वी.नि.संवत- 2551* 

*सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन,

उत्तर  गोल 

*ऋतु* : - हेमंत  ऋतु

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज कार्तिक  माह  शुक्ल पक्ष *प्रतिपदा तिथि*  20:21 बजे तक फिर द्वितीया  तिथि चलेगी।

💥 *नक्षत्र* विशाखा नक्षत्र  29:58 बजे तक पश्चात अनुराधा  नक्षत्र चलेगा ।

    *योग* :- आज *आयुष्मान  है।  *करण*  :-आज   *किशधुन* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक, भद्रा, गंडमूल नहीं है।

योग:- अमृत, त्रिपुष्कर 

*अग्निवास*: आज आकाश में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पूर्व दिशा में।

*राहूकाल* :आज  09:20 बजे से 10:42 बजे तक  अशुभ समय है।

*अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:43 बजे से 12:26 बजे तक  शुभ 

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहार* :-  गोवर्घन  पूजा,अन्नकूट,वीर निर्वाण संवत  2551 प्रारंभ 

*मुहूर्त* : -  सगाई, भूमि पूजन,नींव,व्यापार आरम्भ,वाहन क्रय है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-तुला, चन्द्र-तुला, मंगल-कर्क, बुध-वृश्चिक, गुरु-वृष, शुक्र-वृश्चिक, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

*🌞चोघडिया, दिन*

काल 06:35 - 07:58 अशुभ

शुभ 07:58 - 09:20 शुभ

रोग 09:20 - 10:42 अशुभ

उद्वेग 10:42 - 12:04 अशुभ

चर 12:04 - 13:27 शुभ

लाभ 13:27 - 14:49 शुभ

अमृत 14:49 - 16:11 शुभ

काल 16:11 - 17:34 अशुभ

*🌓चोघडिया, रात*

लाभ 17:34 - 19:11 शुभ

उद्वेग 19:11 - 20:49 अशुभ

शुभ 20:49 - 22:27 शुभ

अमृत 22:27 - 24:05*शुभ

 *अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें _मो  9425187186 (अभी तक अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी अक्षरतः सत्य सिद्ध हुई)* *ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रिय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)* 

*हस्तरेखा,जन्म कुंडली,वास्तु विशेषज्ञ*

मुख्यमंत्री डॉ. यादव 2 नवम्बर को ग्वालियर में दो स्थानों पर गोवर्धन पूजा में होंगे शामिल

 

लाल टिपारा गौशाला में करेंगे गोवर्धन पूजा और मध्यप्रदेश स्थापना दिवस कार्यक्रम में भाग लेंगे 

पूर्व मंत्री श्री पवैया के निवास पर भी गोवर्धन पूजा में होंगे शामिल 

लाल टिपारा कार्यक्रम में गोवर्धन पूजा के साथ होंगे रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम 

कार्यक्रम की तैयारियों का कलेक्टर एवं एसपी ने लिया जायजा 

 ग्वालियर /  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शनिवार 2 नवम्बर को ग्वालियर एवं चंबल संभाग के प्रवास पर आयेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव इस दिन पहले श्योपुर जिले के प्रवास पर जायेंगे। इसके बाद अपरान्ह लगभग 3.30 बजे वायु मार्ग द्वारा ग्वालियर पहुँचेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ग्वालियर में दो स्थानों पर गोवर्धन पूजा कार्यक्रम में शामिल होंगे। ज्ञात हो मुख्यमंत्री डॉ. यादव की पहल पर राज्य सरकार द्वारा पूरे प्रदेश के हर जिले की गौशालाओं में गौ-संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से गोवर्धन पूजा व गौ-पूजन करने का निर्णय लिया गया है।

प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री डॉ. यादव श्योपुर जिले के प्रवास से लौटने के बाद ग्वालियर में भगतसिंह नगर स्थित पूर्व मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया के निवास पर पहुँचकर गोवर्धन पूजा में शामिल होंगे। इसके बाद लाल टिपारा स्थित आदर्श गौशाला जायेंगे और वहाँ पर गोवर्धन पूजा एवं मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के जिला स्तरीय समारोह में शामिल होंगे। 

 भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा के अनुसार मुख्यमंत्री डॉ. यादव लाल टिपारा गौशाला में गौ-पूजन एवं गोवर्धन पूजा कर प्रदेश की खुशहाली की कामना करेंगे। इस अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम व प्रतियोगितायें होंगी। कार्यक्रम स्थल पर मक्खन व श्रीखण्ड तथा गोबर शिल्प, जैविक खाद व सीएनजी सहित पंचगव्य से निर्मित 11 प्रकार के उत्पादों की प्रदर्शनी लगेगी। 

लाल टिपारा गौशाला में गोवर्धन पूजा एवं मध्यप्रदेश स्थापना दिवस समारोह में मथुरा के कलाकारों द्वारा लोकनृत्य व भजन प्रस्तुत किए जायेंगे। साथ ही इस अवसर पर चित्रकला, फैंसी ड्रेस, लोकगीत व पारंपरिक खेल सितौलिया प्रतियोगिता भी होगी। कृष्ण, राधा व ग्वाला – ग्वालिनों के रूप में सजे-धजे बच्चे भी कार्यक्रम के प्रमुख आकर्षण होंगे। 

पूर्व मंत्री श्री पवैया के निवास पर पहुँचकर तैयारियाँ देखीं 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ग्वालियर प्रवास के दौरान भगतसिंह नगर स्थित पूर्व मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया के निवास पर गोवर्धन पूजा कार्यक्रम में शामिल होंगे। कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान एवं पुलिस अधीक्षक श्री धर्मवीर सिंह ने शुक्रवार की शाम भगतसिंह नगर पहुँचकर इस कार्यक्रम के संबंध में पूर्व मंत्री श्री पवैया से चर्चा की और कार्यक्रम की तैयारियों की जानकारी ली। साथ ही संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसी व्यवस्था बनाएँ, जिससे स्थानीय निवासियों को कोई दिक्कत न हो। साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. यादव सहित अन्य अतिथिगण व श्रद्धालु गोवर्धन पूजा स्थल पर सुविधाजनक तरीके से पहुँच सकें। 

निरीक्षण के दौरान नगर निगम आयुक्त श्री अमन वैष्णव, अपर कलेक्टर श्री टी एन सिंह, अपर आयुक्त नगर निगम श्री मुनीष सिकरवार, एसडीएम श्री अशोक चौहान व श्री अतुल सिंह सहित अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद थे। 


1 नवंबर 2024, शुक्रवार का पंचांग


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