भारतियों के लिए असुरक्षित होता कनाडा

भारत में चुनावी राजनीति में लोग एक -दूसरे के छक्के छुड़ाने में लगे हैं उधर सात समंदर  पार कनाडा भारतीयों के लिए दूसरा पाकिस्तान बनता नजर आ रहा है। भारत ने कनाडा के ब्रैम्पटन में एक हिंदू पूजा स्थल पर खालिस्तान समर्थकों की तरफ से हमला करने  के घटनाक्रम ने भारत और कनाडा के आपसी रिश्तों को भयंकर झटका दिया है।  कनाडा में  18 लाख भारतीय मूल के लोग और 1 लाख एनआरआई मौजूद हैं।  ये दुनिया में सबसे बड़े भारतीय प्रवासी समूह में से एक है।  कनाडा की पूरी आबादी में ये हिस्सेदारी करीब 3  प्रतिशत  है।

भारत और कनाडा के रिश्तों में तनातनी की जड़ में खालिस्तानी तत्व हैं। दोनों देशों के प्रधानमंत्री हैं। भारत और कनाडा के आपसी संबंधों का मौजूदा दौर कई सवालों और चिंताओं को जन्म दे रहा है. हरदीप सिंह निज्जर की हत्या सुर्खियों में है, लेकिन दोनों देशों के ताल्लुक पेचीदगियों से भरे है। अच्छी बात ये है की इस समय भारतियों पर कनाडा में हुए ताजा हमले के मुद्दे पर हम सब एक हैं सोशल मीडिया पर जो वीडियो सामने आये हैं उसमें साफ तौर पर दिखता है कि हिंदू मंदिर के सामने पहले खालिस्तान समर्थकों की टोली गाड़ियों से आती है और खालिस्तानी झंडों के साथ वहां एकत्रित लोगों के साथ मारपीट करती है। वहां की पुलिस की बीच-बचाव करती दिखती है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने भी इस हमले मैंने से ही इंकार कर  दिया है ,जबकि स्थानीय पुलिस ने इस मामले  में दो-तीन लोगों की गिरफ्तारी की बात कही गई है।

पूजाघरों में  इस तरह की घटनाएं सिहरन पैदा करतीं हैं । कनाडा में अगले वर्ष आम चुनाव है और कई लोगों भारत के साथ प्रधानमंत्री  ट्रुडो की नीतियों को उनकी राजनीतिक महत्वांकाक्षा से जोड़ कर देखते हैं। टूडो की नजर भारत से अलग पृथक देश  खालिस्तान बनाने का सपना पालने वाले खालिस्तानी संगठनों से जुड़े वोटरों पर है। ऐसे में भारतीय समुदाय पर या धार्मिक स्थलों पर उनका हमला बढ़ने की आशंका है। भारत और कनाडा के बीच फिलहाल जो कड़वाहट घुली है, उसे दोनों देशों के रिश्तों का सबसे निचला स्तर बताया जा रहा है और ये दौर दोनों देशों के मौजूदा नेतृत्व कि क्षमताओं पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े करता है।   ये समझने कि जरूरत है कि अचानक  ऐसा क्या हुआ, जो भारत और कनाडा जैसे दो मित्रदेशों के रिश्ते इतने बुरे दौर में पहुंच गए ?  क्या कनाडा में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में वाकई भारत सरकार का हाथ है  और तीसरा, क्या ट्रूडो का बयान पूरी तरह घरेलू वोटबैंक की राजनीति से प्रेरित है।

  भारत-कनाडा रिश्तों का इतिहास खट्टा-मीठा रहा है।  ये बनते-बिगड़ते रहे है।  अत्तीत में झांककर देखें तो कनाडा-भारत संबंध,कनाडा और भारत गणराज्य के बीच द्विपक्षीय संबंध हैं। माना जाता है कि " लोकतंत्र के लिए आपसी प्रतिबद्धता", " बहुलवाद " और "लोगों के बीच परस्पर संबंधों" पर आधारित हैं।कांग्रेस के शासनकाल में  2009 तक  भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग  4.14 बिलियन डालर का था। वर्षों पहले  एयर इंडिया फ्लाइट 182 में हुए  विस्फोट के  बाद दोनों देशों के रिश्तों  में जो कड़वाहट आई थी उसका असर दो दशकों  रहा। आपको याद होगा कि 23 जून 1985... वो तारीख जब खालिस्तानियों ने एयर इंडिया की एक विमान को निशाना बनाया। इस विमान हादसे में 329 की हुई थी मौत, मरने वालों में 268 कनाडा के नागरिक थे। यह विमानन इतिहास में सबसे घातक आतंकवादी हमला था। खालिस्तानी आतंकियों ने ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए विमान पर हमला किया था। हमले के 39 साल पूरे होने के बाद भी कनाडा पुलिस हादसे की जांच नहीं कर पाई थी।

इस हमले से पहले भी भारत द्वारा  1974 में हुए   परमाणु परीक्षण ने दोनों राष्ट्रों के बीच संबंधों में तल्खी पैदा हुई थी। कनाडा ने तब भारत पर  कोलंबो योजना की शर्तों का उल्लंघन का आरोप लगया था ,हालाँकि 1990 के दशक के अंत में जाँ श्रेतियाँ और रोमियो लब्लैंक दोनों ने भारत की, पोखरण-2 परीक्षणों के बाद, संबंधों को एक बार फिर से अस्थायी रूप से रोक दिया गया था।मुझे याद है कि कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने 2012 में भारत  का दौरा किया था। कनाडा और भारत बड़े पैमाने पर व्यापार करते हैं। भारत मुख्य रूप से कनाडा से दाल  आयात करता है। उच्च शिक्षा के लिए  भारतीय छात्रों के लिए कनाडा एक पसंदीदा स्थान है।इस बीच कनाडा में सिख आतंकवादियों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों में हुए इजाफे के दौरान कनाडा सरकार द्वारा अपेक्षित रोकथाम करने   कथित कमी ने दोनों देशों के बीच तनाव पैदा कर दिया है

 हाल के दशक में कनाडा ने नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान भारत में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन की निंदा कर तनाव के नए बीज बोये ।  भारत ने  इसके जवाब  में  कनाडा को  झिड़की दी और साफ़ शब्दों में कहा कि कनाडा को अपने काम से काम रखना चाहिए और भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।  पिछले साल  2023 में, जी-20 बैठक के बाद, कनाडा की ट्रूडो सरकार ने भारत पर एक कनाडाई सिख कार्यकर्ता, हरदीप सिंह निज्जर, जो खालिस्तान आंदोलन का हिस्सा था, की कनाडा में हत्या करने का आरोप लगाया। तब से अब तक रिश्तों में कड़वाहट इतनी बढ़ी कि दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को देश निकला तक दे दिया। अब स्थिति ये है कि कनाडा ने तमाम हदें लांघते हुए भारत के गृहमंत्री तक पर गंभीर आरोप लगा दिए है। मुमकिन है कि इन आरोपों को लेकर २५ नबंवर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में गहमागहमी रहे।

कनाडा और भारत के रिश्तों को समझने के लिए हमें बहुत पीछे जाना पडेगा ,इतने पीछे जहाँ कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू खड़े नजर आने लगें ।  नेहरू को सदैव गालियां देने वालों को शायद ये पता नहीं होगा कि भारत और कनाडा के रिश्तों की नीव में नेहरू  ही हैं मोदी नहीं।इतिहास बताता है कि  आजादी के बाद से लेकर  1960 के दशक में कनाडा-भारत संबंधों को भारतीय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और दो वर्षों के दौरान सेवा करने वाले दो कनाडाई प्रधानमंत्रियों लुई सेंट लॉरेंट और लेस्टर बी पियर्सन के व्यक्तिगत संबंधों के कारण बढ़ावा मिला था। ये रिश्ते आज के पुतिन मोदी संबंधों जैसे कहे जा सकते है।  इनकी तुलना नेतन्याहू और मोदी के निजी संबंधों से भी की जा सकती है।

 संयुक्त राष्ट्र और राष्ट्रमंडल में कोरियाई युद्ध और स्वेज संकट जैसे विविध मुद्दों पर, भारत और कनाडा के बीच रुचि और प्रतिबद्धता का एक अनूठा उदाहरण है । । नेहरू के ही कार्यकाल में भारत के लिए कनाडा का सहायता कार्यक्रम 1951 में शुरू हुआ और कोलंबो योजना के तहत काफी बढ़ा। कनाडा ने भारत को खाद्य सहायता, परियोजना वित्तपोषण और तकनीकी सहायता प्रदान की। पिछले पांच दशकों में भारत, कनाडाई द्विपक्षीय सहायता का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा है, जिसकी राशि 3.8 बिलियन से अधिक कनाडाई डॉलर है। नेहरू के कार्यकाल में ही 1960 के दशक में, कनाडा ने कोलंबो योजना के माध्यम से कुंडाह हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर हाउसपरियोजना का समर्थन किया । लेकिन आज दोनों देशों के रिश्तों में इतनी कड़वाहट बढ़ गयी है कि इन्हें  दूर करने में दशकों लग जायेंगे  कम से कम मोदी और टूडो  के रहते तो ये रिश्ते अब सुधरने वाले नहीं है। लौटकर मंदिर में श्रृद्धालुओं पर हुए ताजा हममले पर आते है।  इन हमलों के खिलाफ पूरा भारत एक है । संसद में भी ये एकता दिखाई देना चाहिए।

 दोनों देशों के बीच रिश्तों में कड़वाहट के बीच कनाडा के ब्रैम्‍पटन में हिन्दू मंदिर पर हमले को लेकर  हम मोदी जी कि भूमिका से असहमत होते हुए भी उनके साथ खड़े हैं।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  बेहद सख्‍त लहजे में उन्‍होंने कनाडा की जस्‍ट‍िन ट्रूडो सरकार से कहा क‍ि इस तरह के हमले बर्दाश्त नहीं है।  हमारे हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने की कायरतापूर्ण कोशिशें भी उतनी ही भयावह है।  भगवान से प्रार्थना है कि वो दोनों देशों की सरकारों को सद्बुद्धि दे ताकि कनाडा भारत के लिए दूसरा पाकिस्तान न साबित हो।

@ राकेश अचल

5 नवंबर 2024,मंगलवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:37 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:31 बजे 

*विक्रम संवत-2081* शाके-1946 

*वीरनिर्वाण संवत- 2551* 

*सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन,

दक्षिण  गोल 

*ऋतु* : - हेमंत  ऋतु

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज कार्तिक  माह  शुक्ल पक्ष *चतुर्थी तिथि*  24:17 बजे तक फिर पंचमी  तिथि चलेगी।

💥 *नक्षत्र* ज्येष्ठा नक्षत्र 09:45 बजे प्रातः तक फिर मूल चलेगा।

    *योग* :- आज *अतिगंड है।  *करण*  :-आज   *वणिज* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक नहीं भद्रा11:54 बजे से 24:17 बजे तक है, गंडमूल  है।

योग: 

*अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज उत्तर दिशा में।

*राहूकाल* :आज  14:48 बजे से 16:14 बजे तक  अशुभ समय है।

*अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:43 बजे से 12:26 बजे तक  शुभ 

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहार* :- कोई नहीं 

*मुहूर्त* :  - नहीं है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-तुला, चन्द्र-वृश्चिक, मंगल-कर्क, बुध-वृश्चिक, गुरु-वृष, शुक्र-वृश्चिक, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

 *🌞चोघडिया, दिन*

रोग 06:38 - 07:59 अशुभ

उद्वेग 07:59 - 09:21 अशुभ

चर 09:21 - 10:43 शुभ

लाभ 10:43 - 12:05 शुभ

अमृत 12:05 - 13:26 शुभ

काल 13:26 - 14:48 अशुभ

शुभ 14:48 - 16:10 शुभ

रोग 16:10 - 17:32 अशुभ

*🌓चोघडिया, रात*

काल 17:32 - 19:10 अशुभ

लाभ 19:10 - 20:48 शुभ

उद्वेग 20:48 - 22:27 अशुभ

शुभ 22:27 - 24:05* शुभ

अमृत 24:05* - 25:43* शुभ

 *अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें _मो  9425187186 (अभी तक अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी अक्षरतः सत्य सिद्ध हुई)* *ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रिय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)* 

*हस्तरेखा,जन्म कुंडली,वास्तु विशेषज्ञ*

मप्र के जंगलों में मरते हाथी ,बढ़ते बाघ

मप्र के जंगलों में हाथियों की संख्या कम हो रही है लेकिन बाघों की संख्या घट रही है ।  प्रदेश में पिछले एक हफ्ते में ही अलग-अलग ठिकानों पर 10  हाथियों की रहस्य्मय तरीके  से मौत हो गयी।  मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इस सिलसिले में जंगलात के 2 अफसरों का निलंबन भी किया ।  मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश भी दिए ,लेकिन हाथियों की जान पर खतरे बरकरार हैं। ख़ास बात ये है कि मप्र में बाघों की आबादी में इजाफा हो रहा है।।

मप्र में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है। सम्भवत देश के वन क्षेत्र का २१ फीसदी भाग मप्र में आता है। स्टेट ऑफ फारेस्ट रिपोर्ट 2001 के मुताबिक  मध्यप्रदेश में वन विभाग के नियंत्रण में 95221 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल आता है जबकि इसमें वास्तव में 77265 वर्ग किलो मीटर की जमीन पर ही जंगल दर्ज किया गया है। इसका मतलब यह है कि 18 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में जंगल नहीं है फिर भी वन विभाग का उस पर नियंत्रण है। इसमें से भी सघन वन का क्षेत्रफल 44384 वर्ग किलोमीटर ही है। वर्तमान स्थिति में मध्यप्रदेश में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे ज्यादा, 76429 वर्ग किलोमीटर जंगल है। इसके बाद आंध्रप्रदेश में 68019 वर्ग किलोमीटर और छत्तीसगढ़ में 55998 वर्ग किलोमीटर जंगल है।

मप्र में हाथियों की  संख्या  का मुझे कोई सही ज्ञान नहीं हैं ,लेकिन मप्र में हाथी हैं। मप्र में चूंकि सबसे ज्यादा वन क्षेत्र है इसलिए यहां अभ्यारण्यों की संख्या भी 24 है ,किन्तु िनमने हाथियों का अलग से कोई अभ्यारण्य नहीं है। इन  अभ्यारण्यों में अब वन्यप्राणीं भयभीत हैं ,क्योंकि जनगलों के सबसे विशालकाय हाथी ही इनमें  सुरक्षित नहीं हैं। यहां खरमोर से लेकर घड़ियालों  तक  के लिए  अभ्यारण्य हैं किन्तु हाथियों के लिए  नहीं ,इसीलिए शायद मप्र में हठी सुरक्षित नहीं है।  बांधवगढ़ के जंगलों में 10 हाथियों  की मौत का कारण  दूषित कोदो [ एक तरह की खरपतवार ] को माना  गया है लेकिन कोई इसके ऊपर भरोसा करने को तैयार नहीं  है ।

मप्र वैसे भी टाइगर स्टेट है,इसीलिए यहां शायद हाथियों पर ज्यादा गौर नहीं किया जाता।  देश के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश में पहली बार बाघों की संख्या 785 पहुंच गई है। राष्ट्रीय स्तर पर पिछली बार की गणना में मप्र में बाघों की आबादी महज 526 थी लेकिन अखिल भारतीय बाघ गणना जनगणना 2022 के अनुसार इस बार मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या में देश में सर्वाधिक वृद्धि हुई है। सबसे ज्यादा बाघों के साथ मध्यप्रदेश देश में इस बार बहुत आगे निकल गया है। उपेक्षित हठी यदि अचानक न मरते तो शायद इस मुद्दे को लेकर कोई हलचल भी नहींहोती,क्योंकि मप्र में चाहे हतहि हो चाहे अफ़्रीकी चीते मरने के लिए अभिशप्त है।  हाथियों से पहले मप्र के कुँओं अभ्यारण्य में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा छोड़े गए अफ्रीका के १० चीते मर चुके हैं। मप्र में मृत 10 हाथियों में से एक नर और नौ मादा थी. इसके अलावा, मृत दस हाथियों में से 6 किशोर/उपवयस्क और 4 वयस्क थे.

कहा जाता है  कि 13 हाथियों के झुंड ने जंगल के आसपास कोदो बाजरा का फसल खाया था। 10 हाथियों का पोस्टमार्टम पशु चिकित्सकों की टीम ने किया है।  पोस्टमार्टम के बाद विसरा को जांच के लिए बरेली और सागर  की फोरेंसिक लैब में भेजी गयी है। हाथी कोदो और बाजरा खाने पहली बार नहीं निकले थे। अब सवाल ये भी है कि क्या उन्हें शिकारियों ने मारा है या ग्रामीणों ने। हाथी अपने आप तो कम से कम नहीं मरे। हाथियों को उनके दांतों  के लिए मारा जाता है  हालांकि हाथी दांत  की बिक्री भारत समेत दुनिया के सभी देशों में प्रतिबंधित   है. साल 1986 में भारत ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 को संशोधित कर हाथी दांत की घरेलु बिक्री पर भी बैन लगा दिया था.

भारत में ही नहीं बल्कि समूचे एशिया में हाथी खतरे में है। इनकी आबादी  में आश्चर्यजनक रूप से गिरावट हुई है ।  हाथियों की आबादी 50 प्रतिशत तक कम हुई है। मप्र में हाथियों की एक साथ इतनी बड़ी संख्या में हुई मौतों से ये सवाल एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है कि  क्या मप्र सरकार और भारत सरकार को हाथियों की सुरक्षा के लिए अपनी राष्ट्रिय वन्य नीति पर पुनर्विचार  नहीं करना चाहिए ? हमारे यहां  कहने को हाथी पूजनीय है ।  गणेशावतार है ,लेकिन हकीकत ये है कि  भारत में हाथियों और वनवासियों के बीच का टकराव लगातार बढ़ रहा है।  हाथियों के इलाकों में अतिक्रमण हो रहा है ऐसे में जब हाथी आबादी में घुसकर तबाही मचाते हैं तो बदले में उन्हें अपनी जान गंवाना पड़ती है।

मप्र ही नहीं अधिकानाश राज्यों में कमोवेश यही स्थिति है।

हाथी मनुष्य का मित्र है। भले ही जंगल में रहता है किन्तु  आंशिक प्रशिक्षण के बाद वो पालतू बन जाता है।  शाकाहारी प्राणी है हाथी।  पहले सर्कसों में अपने करतब दिखाता था । आज भी जंगलों में मालवाहक है हाथी ।हाथी किराये पर मिलते हैं। हाथी एक जमाने में राजा -महाराजाओं की सेना का एक प्रमुख अंग भीहोते थे ,लेकिन आज हाथ खतरे में हैं।  उनका कोई साथी नहीं है। अब हाथी मेरे साथी वाला कोई आदमी आपकी नजर में हो तो हो। राजेश खन्ना तो हाथी मेरा साथै बनाकर हिट हो गए थे। दुनिया के 20  हजार हाथियों की जिंदगी बचने के लिए अभियान मप्र से ही शुरू किया जाये तो बेहतर है ।

  हाथी की असली कीमत तो मुझे नहीं पता लेकिन हमारे यहां कहावत है कि  मरा हुआ हाथी भी सवा लाख का होता है ।  हाथी पालना आसान नहीं होता,क्योंकि इसकी खुराक बहुत है ।  कुम्भकर्ण है हाथी। हाथी पालना सदैव घाटे का सौदा होता होगा शायद इसीलिए कहावत बनी है ' सफेद हाथी पालने की। कुल जमा मप्र में हाथियों की मौत का जो कलंक मप्र के ऊपर लगा है उसे धोने के लिए मप्र में भी एक हाथी अभ्यारण्य बनाया जाना चाहिए ,लेकिन इसकी पहल मप्र सरकार करेगी ,इसमने मुझे संदेह है।

मप्र में हाथियों की मौत का सच कभी सामने आ पायेगा ये भी कहना कठिन  है । हाथियों की कोई राजनितिक पार्टी नहीं होती इसलिए उनकी मौत को लेकर न कहीं कोई धरना देता है और न प्रदर्शन करता है  ,किन्तु  वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने मामले में सीबीआई जांच की मांग की है और आरोप लगाया है कि अधिकारियों ने समय पर कदम नहीं उठाए, जिससे हाथियों की मौत को रोका नहीं जा सका। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत के मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सख्त कार्रवाई की है. इस मामले में टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर गौरव चौधरी और एसडीओ फतेसिंह निनामा को निलंबित कर दिया गया है. मुख्यमंत्री ने वन विभाग को प्रदेश में हाथी टास्क फोर्स बनाने के निर्देश भी दिए हैं

@  राकेश अचल

केंद्रीय मंत्री ने किया लोकार्पण पुलिस लाइन में आयोजित हुआ कार्यक्रम

 प्रमोद अहिरवार जिला ब्यूरो टीकमगढ़ म.प्र.

टीकमगढ़ । केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डाॅ. वीरेन्द्र कुमार ने 04 नवंबर 2024 सोमवार के दिन सी.एस.आर. फण्ड के तहत पुलिस लाइन परिसर में नवनिर्मित लॉन टेनिस ग्राउंड, वॉलीबॉल, बैडमिंटन तथा बास्केटबॉल कोर्ट का लोकार्पण किया। इस अवसर पर अमित नुना, विवेक चतुर्वेदी, अनुराग वर्मा, अन्य जनप्रतिनिधि, कलेक्टर अवधेश शर्मा, एसपी मनोहर सिंह मंडलोई सहित संबंधित अधिकारीगण उपस्थित तथा खिलाड़ी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि संसदीय क्षेत्र के सांसद एवं केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार खटीक ने जिला मुख्यालय पर स्थित स्थानीय पुलिस परेड ग्राउंड में विभिन्न खेलों को लेकर कोर्ट का लोकार्पण किया इस मौके पर उनके साथ जिला कलेक्टर अवधेश शर्मा सहित तमाम जन प्रतिनिधि और खेल प्रेमी,खिलाड़ी मौजूद रहे।

4 नवंबर 2024, सोमवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:36 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:32 बजे 

*विक्रम संवत-2081* शाके-1946 

*वीरनिर्वाण संवत- 2551* 

*सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन,

दक्षिण  गोल 

*ऋतु* : - हेमंत  ऋतु

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज कार्तिक  माह  शुक्ल पक्ष *तृतीया तिथि*  23:24 बजे तक फिर चतुर्थी  तिथि चलेगी।

💥 *नक्षत्र* अनुराधा नक्षत्र 08:03बजे प्रातः तक फिर ज्येष्ठा चलेगा।

    *योग* :- आज *शोभन  है।  *करण*  :-आज   *तैतिल* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक, भद्रा नहीं है, गंडमूल 08:03 बजे से है।

योग: सर्वार्थ सिद्धि है।

*अग्निवास*: आज पाताल में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पूर्व दिशा में।

*राहूकाल* :आज  07:59 बजे से 09:21 बजे तक  अशुभ समय है।

*अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:43 बजे से 12:26 बजे तक  शुभ 

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहार* :- कोई नहीं 

*मुहूर्त* : भूमि पूजन/ नींव , वाहन,नाम कारण , अन्नप्राशन है अन्य नहीं है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-तुला, चन्द्र-वृश्चिक, मंगल-कर्क, बुध-वृश्चिक, गुरु-वृष, शुक्र-वृश्चिक, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

 🌞 *चोघडिया, दिन*

अमृत 06:37 - 07:59 शुभ

काल 07:59 - 09:21 अशुभ

शुभ 09:21 - 10:43 शुभ

रोग 10:43 - 12:04 अशुभ

उद्वेग 12:04 - 13:26 अशुभ

चर 13:26 - 14:48 शुभ

लाभ 14:48 - 16:10 शुभ

अमृत 16:10 - 17:32 शुभ

*🌓चोघडिया, रात*

चर 17:32 - 19:10 शुभ

रोग 19:10 - 20:49 अशुभ

काल 20:49 - 22:27 अशुभ

लाभ 22:27 - 24:05*शुभ

 *अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें _मो  9425187186 (अभी तक अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी अक्षरतः सत्य सिद्ध हुई)* *ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रिय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)* 

*हस्तरेखा,जन्म कुंडली,वास्तु विशेषज्ञ*

रूस से राजयोगिनी संतोष दीदी ग्वालियर आ रहीं है


 रविकांत दुबे

विभिन्न विषयों पर प्रवचन देंगी

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता एवं सेंट पीटर्सबर्ग रशिया केन्द्र की निदेशिका राजयोगिनी बीके संतोष दीदी पांच दिवसीय प्रवास पर 4 नवंबर को दोपहर 12 बजे ग्वालियर पहुंच रही है। बीके संतोष दीदी पहली बार ग्वालियर आ रही है। 
कार्यक्रम की आयोजक  ब्रह्मकुमारीज लश्कर केन्द्र की मुख्य संचालिका बीके आदर्श दीदी एवं बीके प्रहलाद ने आज पत्रकारों को बताया कि ब्रह्मकुमारी संस्थान इसी वर्ष ग्वालियर में आध्यात्मिक शिक्षा एवं जन सेवा के 63 वर्ष पूर्ण कर रहा है। इस उपलक्ष्य में ग्वालियर केन्द्र लश्कर केन्द्र की डायमंड जुबली हीरक जयंती मनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि बीके संतोष दीदी 4 नवंबर को दोपहर 12 बजे एयरपोर्ट पर पहुंचेंगी । वहां संस्थान के सदस्यों द्वारा उनका स्वागत किया जाएगा। तत्पश्चात दीदी सीधा ब्रह्मकुमारी के प्रभु उपहार भवन माधवगंज केन्द्र पहुंचेंगी। दीदी बीके संतोष पांच नवंबर से विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगी। 

बीके आदर्श ने बताया कि बीके संतोष दीदी 5 नवंबर को माधवगंज केन्द्र पर 9 से एक बजे तक तथा शाम को 5 बजे से 07 30 बजे तक संस्थान से जुडे भाई बहनों के लिए आयोजित ध्यान साधना शिविर को संबोधित करेंगी। 
6 नवम्बर सुबह 10 बजे से 1 बजे तक महाराजपुरा गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर में भोपाल ज़ोन के विभिन्न जिलों की टीचर्स बहनों से मुलकात एवं कार्यक्रम में हिस्सा लेंगी। तत्पश्चात शाम 5 बजे से 7:30 बजे तक माधवगंज केंद्र पर युवाओं के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करेंगी।
7 नवम्बर को दूसरे ग्रुप के लिए माधवगंज केंद्र पर श्रद्धालुयों के लिए आयोजित ध्यान साधना शिविर को संबोधित करेंगी।
8 नवम्बर को प्रातः 7:30 बजे 9 बजे तक “भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान के सभागार” में शहर के सम्मानीय नागरिको के लिए “ईश्वरीय शक्तियों से चुनौतियों का सामना” विषय पर प्रेरक उद्बोधन एवं मेडिटेशन का कार्यक्रम रहेगा।
एवं ब्रह्माकुमारीज केंद्र के 63 वर्ष पूर्ण होने पर 8 नवम्बर शाम को 5.00 से 7.30 बजे तक भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान के सभागार में ही हीरक जयंती समारोह का कार्यक्रम आयोजित होगा। जिसमें ब्रह्माकुमारीज भोपाल ज़ोन की क्षेत्रीय निदेशिका राजयोगिनी बीके अवधेश दीदी एवं शहर के विभिन्न गणमान्य नागरिक शामिल होंगे । 
राजयोगिनी बीके संतोष दीदी का जीवन परिचय 
बी.के. संतोष दीदी जी का जन्म 1964 में दिल्ली, में शिक्षित और धार्मिक परिवार में हुआ था। 1977 में, अपने माता-पिता के साथ आप ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के संपर्क में आये। प्रारंभ से ही दीदी जी की आध्यात्मिकता में रूचि रही तथा ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के संपर्क द्वारा राजयोग ध्यान के नियमित अभ्यास से आपने कई दिव्य अनुभूतियाँ की । कुशल नेतृत्व की कला से सम्पन्न दीदी जी की बाल्यकाल से ही सामाजिक सेवाओं में अधिक रूचि रही तथा इस विशेषता ने आपको ईश्वरीय सेवाओं की ओर आकर्षित किया। अपनी सक्रिय सामाजिक जीवन और पढ़ाई के बावजूद, वह आध्यात्मिक सत्य के अपने अनुभव को गहरा करने की आवश्यकता महसूस कर रही थीं और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक होने के तुरंत बाद उन्होंने ब्रह्माकुमारी शिक्षक के रूप में आध्यात्मिक अध्ययन और ईश्वरीय सेवाओं के लिए आपने वर्ष 1983 में अपना सम्पूर्ण जीवन ईश्वरीय सेवाओं में समर्पित कर दिया।
1983 से 1989 तक उन्होंने भारत में, विशेष रूप से दिल्ली और संबंधित क्षेत्रों में आध्यात्मिक सेवाएं दी। 1989 में, ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान को रूसी विज्ञान अकादमी द्वारा आमंत्रित किया गया और बीके संतोष को रूस में सेवाएं शुरू करने के लिए नियुक्त किया गया। मार्च 1990 में आप मास्को (रशिया) गये वहां से सेंट पीटर्सबर्ग तथा रूस, बाल्टिक क्षेत्र, जॉर्जिया और सीआईएस सहित यूक्रेन, बेलारूस, आर्मेनिया और अज़रबैजान में केंद्र खोलने और आध्यात्मिक सेवाओं को आपके मार्गदर्शन में संचालित किया जा रहा हैं। उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन, यूएसए, कनाडा, श्रीलंका, मध्य और दक्षिण अमेरिका में भी अपनी ईश्वरीय सेवाएं प्रदान की।
वर्तमान समय में आप क्षेत्रीय सांस्कृतिक और शैक्षिक गैरसरकारी संगठन "सेंट पीटर्सबर्ग ब्रह्मा कुमारी केंद्र" के निदेशक, रूस, सीआईएस और बाल्टिक क्षेत्र में ब्रह्मा कुमारी सेवाओं के संयुक्त क्षेत्रीय समन्वयक, "दिव्य प्रकाश" कला और सांस्कृतिक समूह के निदेशक के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं।

पलेरा थाना पुलिस द्वारा दुष्कर्म के आरोपी को 12 घण्टे के अन्दर किया गिरफ़्तार

 प्रमोद अहिरवार जिला ब्यूरो टीकमगढ़ म.प्र.

टीकमगढ़:-  थाना पलेरा अंतर्गत निवासरत 18 वर्षीय युवती ने थाना पलेरा मे आकर रिपोर्ट किया कि दिनांक 02.11.24 को नन्दू उर्फ़ निरपत पुत्र वीरेंद्र जादौन उम्र 22 वर्ष निवासी ग्राम पडुआ थाना पलेरा जिला टीकमगढ़ द्वारा फरयादिया के खेत पर जबरदस्ती उसके साथ दुष्कर्म किया है। आवेदिका की रिपोर्ट पर थाना पलेरा पर अपराध क्रमांक 366/24 धारा  64,(1) बीएनएस का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुये पुलिस अधीक्षक टीकमगढ़ श्री मनोहर सिंह मण्डलोई IPS द्वारा आरोपी को गिरफ्तार करने हेतु  अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री सीताराम एवं एसडीओपी जतारा श्री अभिषेक गौतम के मार्गदर्शन में थाना पलेरा पुलिस द्वारा आरोपी नन्दू उर्फ़ निरपत  जादौन को 12 घण्टे के अन्दर ग्राम पडुआ थाना पलेरा जिला टीकमगढ़ से गिरफ्तार किया  गया।

 पुलिस टीम का सराहनीय योगदान

उक्त कार्यवाही में थाना प्रभारी पलेरा निरीक्षक मनीष मिश्रा, उनि. जयेंन्द्र गोयल , आरक्षक ग्यान सिंह सेंगर, लक्षमन पटेल, भास्कर मिश्रा, रामकृष्ण कुर्मी, महिला आरक्षक महलका फरहीन की सराहनीय भूमिका रही।

महेवा के रतनगढ़ माता मंदिर पर मेला व भंडारा* *सांप बिच्छू आदि के काटने पर भाईदूज पर लगाते हैं झाड़ा

 प्रमोद अहिरवार जिला ब्यूरो टीकमगढ़ म.प्र.

टीकमगढ़:- चंदेरा के नजदीकी ग्राम महेवा चक्र नंबर दो में गोवर्धन पूजा भाई दूज के दिन रतनगढ़ माता मंदिर परिसर में मेला लगाकर सांप बिच्छू काटने वाले झाड़ा लगवाने आते हैं।

जैसा कि सभी को विदित है की दतिया जिले में माता रतनगढ़ के मंदिर पर भाई दूज के दिन ही वर्ष भर में जिन लोगों को सांप बिच्छू ने काटा था और वहां से आराम लग गया था उसी के चलते यह मेले का आयोजन किया जाता है आसपास के तमाम दर्शनार्थी अपनी मन्नतें लेकर मंदिर पहुंचते हैं। ग्रामीणों की माने तो कभी किसी को किसी जहरीले जानवर द्वारा सताया जाता है तो वहां की भभूति लगाकर तुरंत आराम मिल जाता है किंतु इस दिन जिनको आराम लगा था वह सभी इकट्ठे होकर इस आयोजान में शामिल होकर कार्यक्रम को सफल बनाते हैं। और मां रतनगढ़ के भाई के नाम विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है जिसमें क्षेत्रीय लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस मौके पर मंदिर की पुजारी पण्डा कालीचरण एवं सांसद प्रतिनिधि अरविंद यादव कैलाश यादव पूर्व जनपद सदस्य रामगोपाल शिक्षक अरविंद यादव जनपद सदस्य मुन्ना सरपंच अभय यादव मनीष गुप्ता कल्लू यादव शेर सिंह यादव राजू यादव रवि यादव पूर्व जनपद सदस्य पुराने ढीमर एवं अन्य ग्रामीण और क्षेत्रवासी मौजूद रहे।

स्मृति शेष : प्रभात आर्य यानि एक शांत झील

 


बार बार सोचता हूँ कि अब कभी   भी अतीत की स्मृतियों को नहीं कुरेदूँगा ,लेकिन हर बार ये संकल्प धरा का धरा रह  जाता है।  इस बार आधी सदी पुराने पड़ौसी श्रीप्रभात आर्य रुलाकर चले गए। कोई 73   साल के प्रभात जी से परिचय की आधी सदी हो चुकी है ।  मैंने उन्हें शुरू से एक शांत और गहरी झील की तरह देखा।  वे अध्यापन के अध्यवसाय से जुड़े थे और प्रधानाचार्य के पद से सेवा निवृत्त  हुए थे। उनकी सहधर्मिणी श्रीमती काडमबरी आर्य भी शिक्षक ही  हैं ।

 बात उन दिनों की है जब मै कम्पू में रहता था ।  प्रभात जी मेरे घर के पीछे महाडिक की गोठ में तंग गलियों में बने एक पुराने मकान में रहते थे। यानि वो साल 1975  का रहा होगा। मै नवोदित साहित्यसेवी था और वे शिक्षक के साथ ही अंशकालिक साहित्यिक पत्रकार।  प्रभात जी आर्य थे  या अनार्य ये जानने की कोशिश मैंने कभी नहीं की,क्योंकि मुझे ये जानने  की जरूरत ही नहीं पड़ी। वे सदैव अपने चेहरे से एक स्निग्ध मुस्कान चस्पा कर अपने घर से निकलते थे। उनकी ये मुस्कान आजीवन उनके साथ रही।

प्रभात जी संघ  की पृष्ठभूमि से आते थे ,इसलिए उन्होंने दैनिक स्वदेश को अपनी सेवाएं देना पसंद किया ।  सरकारी नौकरी में होते हुए भी वे अंशकालिक पत्रकार थे,साहित्यिक पत्रकार। उनकी धर्मपत्नी भी साहित्यकार थीं सो यदा-कदा गोष्ठियों में मिलना होता ही था और पड़ौसी होने की वजह से हम लोग अक्सर मिलते-जुलते रहते थे ।  कभी किसी सब्जी वाले के यहां तो कभी किसी किराने की दूकान पर। प्रभात जी सदैव मुझे संघीय संस्कारों की वजह से अचल जी कहते थे जबकि मै उनसे  छोटा था।  उनका बड़प्पन ही सामने वाले को उनके सामने बौना बना देता था।

प्रभात जी की सक्रियता उनकी धर्मपत्नी की सक्रियता से एकदम अलग थी ।  आदरणीय कादंबरी जी जितनी बेलौस और मुंहफट हैं, प्रभात जी इसके ठीक विपरीत  मितभाषी और संकोची स्वभाव के थे ।  कम से कम नैने  तो उन्हें कभी गुस्से में नहीं देखा। न घर में और न दफ्तर में। उनके स्वदेश में रहते हुए मेरी कविताएं खूब छपी।   वे साहित्य  के सधे हुए सम्पादक थे ।  उस समय  स्वदेश के सम्पादक श्री राजेंद्र शर्मा हुआ करते थे। जयकिशन शर्मा थे, महेश खरे थे ,प्रशिक्षु के रूप में हरिमोहन शर्मा जैसे अनेक युवा थे ।  तब प्रभात झा का उदय नहीं हुआ था । लेकिन प्रभात आर्य जी की न किसी से पर्तिस्पर्धा   थी और न किसी से अदावत।  आप कह सकते हैं कि  वे अजातशत्रु थे। वे समय  पर स्कूल जाते थे तो समय पार ही स्वदेश में। वे चाहते तो स्वदेश उन्हें सम्पादक भी बना सकता था किंतु वे अपनी सरकारी नौकरी से खुश थे । उन्होंने कभी कोई बड़ी  महत्वाकांक्षा नहीं पाली। जबकि उनके साथ कि महेश खरे स्वदेश में अपनी उपेक्षा से परेशान होकर स्वदेश छोड़ गए थे। प्रभात जी हमेशा स्वदेश में रहे।

सन1990  के आसपास मै कम्पू से निकलकर थाटीपुर आ गया और प्रभात जी ने भी अपना नया घरोंदा बना लिया।  लेकिन समय-समय पर हमारा मिलना जुलना जारी रहा ।  पिछले अनेक वर्षों से वे  ज्यादा सक्रिय नहीं थे ,किन्तु संघ के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों  में वे पार्श्व में मौजूद दिखाई देते थे। औसत कद-काठी के मालिक प्रभात जी का ललाट उन्नत था। पिछले कुछ दिनों से उनका स्वास्थ्य गड़बड़ था ।  दिल ने हरकत की तो उन्होंने उसकी मरम्मत भी कराई लेकिन उन्हें  कोई और धोखा नहीं दे पाया सिवाय दिल के ।  वे दिल के धोखे का ही शिकार हुए ,और जैरे इलाज चलते बने।

प्रभात जी के जाने से उनके चाहने वाले दुखी होंगे ही। परिवार के लिए उनका जाना किसी वज्रपात से कम नहीं है ,लेकिन उन्होंने अपने लिए कोई ऐसा स्थान नहीं बनाया जिसको पूरा करने की बात कही जा सके।  उनका जाना हम मित्रों   की निजी क्षति है ।  राष्ट्रवादी विचारों वाले परिवार की क्षति है। वे जिस तरह  एक ठहरी झील की तरह जिए उसी तरह शांति से अनंत यात्रा पर निकल भी गए। चुपचाप। बिना किसी से कुछ कहे-सुने। प्रभात जी ने सोशल  मीडिया पर अपने चार-पांच खाते खोल रखे थे लेकिन  उनकी सक्रियता बड़ी सीमित थी ।  वे न अपने आप से असहमत लोगों से कभी उलझे और न सहमत लोगों के सामने कभी बिछे।  उन्होंने सहमति और असहमति के बीच हमेशा एक संतुलन बना कर रखा। वे हमारी मित्र मण्डली के विदा लेने वाले एक और आर्य हो गए हैं।  उनसे पहले श्री ओमप्रकाश आर्य गए। दिवाकर   विद्यालंकार जी गए।  प्रभात जी हमारी स्मृतियों में लम्बे समय तक मौजूद रहने वाले है।  विनम्र श्रृद्धांजलि।

@ राकेश अचल

जैन समाज ज्योतिषगौरव की उपाधि से सम्मानित हुए ज्योतिषाचार्य डॉ जैन

   


मैंने कभी सोचा भी ना था कि कोई ऐसा भी क्षण आएगा जब मुझे आचार्य भगवन विद्यासागर जी द्वारा दीक्षित संघस्थ किसी संत का इतना बड़ा आशीर्वाद धर्म सभा में  मिलेगा यह कहना है ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन का वो क्षण आज आया  परम पूज्य 105 आर्यिका पूर्णमति माताजी के श्री विद्यापूर्ण चातुर्मास  निष्ठापन  गौरवमय तरीके से  ग्वालियर में 03 नवंबर 2024 के दिन चातुर्मास स्थल पर चल रहा था उस समय श्री विद्यापूर्ण वर्षायोग समिति ने सदन  में उपस्थित जनसमूह में परमपूज्य पूर्णमति माता जी का  बातसल्यमय आशीर्वाद प्रदान किया इस अवसर पर श्री  विद्यापूर्ण वर्षा योग समिति मुरार ने ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन को उनके तीन दशक से ज्योतिष के क्षेत्र में लगातार कार्य करते रहने पर "जैनसमाज ज्योतिषगौरव" की उपाधि से सम्मानित किया।

संघ ' की मांग में ' उधार का सिन्दूर '

 

आज के आलेख का शीर्षक पढ़कर आप मुझे संघ यानि आरएसस का विरोधी न समझ लें ।  मै संघ से असहमत हो सकता हूँ लेकिन उसका धुर विरोधी नहीं। दुनिया में मेरे अनेक संघी मित्र हैं और मित्र ही नहीं, अभिन्न मित्र हैं ,क्योंकि वे गुरु गोलवलकर की तरह जखड्डी नहीं बल्कि रज्जू भैया की तरह उदार हृदय हैं। संघ यानि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अगले साल 25  सितंबर को अपने 100  वर्ष पूरे कर लेगा ,लेकिन इस शताब्दी को छूते-छूते संघ अनेक मामलों में सम्पन्न होते-होते विपन्न हो गया है। यहां तक कि अब उसके पास अपने नारे तक नहीं बचे हैं। संघ ने मजबूरन अपनी मांग में उधार का सिन्दूर भरना शुरू कर दिया है।

संघ आजकल अपने नए नारे ' बंटोगे तो कटोगे ' को लेकर सुर्ख़ियों में है ,लेकिन ये नारा संघ की अपनी खोज नहीं है ।  इस नारे के जनक गैर-संघी  हिंदूवादी नेता और उत्तरप्रदेश के उत्तरदायी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं।  योगी जी ने ये नारा आम चुनाव के बाद 2024  में भाजपा की अप्रत्याशित पराजय के बाद गढ़ा और 4  जून 2024  के बाद देश में हुए अनेक राज्यों के विधानसभा चुनावों में इसका इस्तेमाल किया।  योगी जी का नारा कट्टर हिन्दुओं के सिर चढ़कर बोलता दिखा तो धीरे से संघ ने इस नारे को सिन्दूर समझकर अपनी मांग में भर लिया।  संघ के बड़े नेता दत्तात्रय होसबोले ने सबसे पहले इस नारे का समर्थन किया और आज न केवल संघ बल्कि पूरी भाजपा इस नारे के सहारे देश में साम्प्रदायिकता की नई इबारत लिखने में जुटी हुई है।

' बंटोगे तो कटोगे ' का नारा सिहरन पैदा करने वाला है।  इस नारे से सबसे ज्यादा सिहरन उत्तर प्रदेश में देखी जा रही है ।  उत्तर प्रदेश में ही भाजपा को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की युति की वजह से लोकसभा में धूल चाटना पड़ी थी।  संघ और योगी के इस नारे के जबाब में कांग्रेस ने तो कोई नारा नहीं गढ़ा  किन्तु समाजवादी पार्टी ने एक नारा जरूर गढ़ लिया कि -'जुड़ोगे तो जीतोगे ' इस नारे से सिहरन नहीं होती।  ये नारा उम्मीदों का नारा लगता है। समाजवादी पार्टी  ने इस नारे से पहले पीडीए का फार्मूला इस्तेमाल किया था और सपा का नया नारा भी इसी फार्मूले का परिष्कृत संस्करण है।  अब इसी महीने ऊपर में होने वाले विधानसभा के उप चुनावों में इन दोनों नारों का परीक्षण भी हो जाएगा। मेरे हिसाब से ये नारे नहीं बल्कि सियासी मिसाइलें हैं। देखना है कि कौन सी मिसाइल ,कितनी मारक साबित होती है ?

बात संघ की मांग में उधार के सिन्दूर की है ।  संघ की सम्पन्नता और विपन्नता को जानने के लिए आपको मेरे साथ संघ  के 99  साला सफर का विंहगावलोकन करना होगा। आप सभी जानते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर सन् 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ॰ केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी।ये वो दौर था जब देश दासता कि बेड़ियों में जकड़ा था और इससे मुक्ति के लिए छटपटा रहा था। संघ का मकसद  प्रारंभिक प्रोत्साहन हिंदू अनुशासन के माध्यम से चरित्र प्रशिक्षण प्रदान करना था और हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए हिंदू समुदाय को एकजुट करना था।जबकि उसी दौर में महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी उस समय के पीडीए के फार्मूले पर पूरे देश को एकजुट कर नया भारत बनाने के लिए प्रयास कर रहे थे। जीत गांधी की हुई । हेडगेवार का सपना पूरा नहीं हो सका।  भारत आजाद हुआ तो पाकिस्तान की तरह धार्मिक राष्ट्र नहीं बना बल्कि  एक ऐसा प्रभुता सम्पन्न देश बना जिसमें सभी धर्मों के लिए समान अवसर और सम्मान हासिल था। संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार लगातार 15  साल तक अपने उद्देश्य की पूर्ती के लिए कोशिश करते रहे और हिन्दू  राष्ट्र का अधूरा सपना लिए ही चल बसे।  उनके बाद माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ने संघ कि कमान सम्हाली।

गुरु गोलवलकर के नाम से लोकप्रिय माधवराव सदा शिवराव ने संघ को लगातार 33  साल तक अपने खून-पसीने से सींचा और वे 1940  से 1973  तक संघ के सर्व सम्मत मुखिया रहे।  ये दौर आजादी के बाद  नेहरू,शास्त्री और इंदिरा गाँधी का दौर था।  इन तीनों प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में संघ का प्रसार खूब हुआ । पाबंदियां भी लगीं रहीं किन्तु संघ का सपना पूरा नहीं हुआ।  अनेक सपने ऐसे होते हैं जो आसानी से पूरे नहीं होते ।  गुरु गोलवलकर भी डॉ हेडगेवार की तरह भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने में नाकाम रहे और चल बसे। गुरु गोलवलकर के बाद  एक और माधवराव आये उनका पूरा नाम माधवराव दत्तात्रय देवरस था।

 देवरस का संघ भी ठीक वैसा ही संघ था जैसा हेडगेवार साहब चाहते थे ।  देवरस साहब ने लगातार 21  साल १९७३ से 1994 तक देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने के अधूरे सपने को पूरा करने में अपना पसीना बहाया,लेकिन वे भी कामयाब नहीं हुये । हाँ देवरस के काल  में संघ को तत्कालीन  प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल का सामना करना पड़ा ।  ये समय संघ की सक्रियता का एक तरह से नया युग था ।  इस 19 महीने के काले समय में संघ के स्वयंम सेवकों ने भूमिगत रहकर देश में हिंदुत्व का रंग भरने कि भरपूर कोशिश  की। संघ को इसका प्रतिफल भी मिला लगभग 50  साल के  प्रतीक्षा के बाद 1996  में संघ के प्रचारक माननीय अटल बिहारी बाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने।लेकिन तब तक  देवरस काल समाप्त हो चुका था। 1994  में ही देवरस संघ के लिए उपलब्ध नहीं रह पाए ।  उनकी जगह रज्जु भैया ने संघ की कमान  सम्हाल  ली थी ,इसलिए सत्ता के शीर्ष तक पहुँचने का सुयश रज्जू भय के खाते में दर्ज हुआ। रज्जू भैया 1994  से 2000 तक संघ के सर्वे-सवा रहे।  ये रज्जू भैया  की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। बावजूद उन्हें अल्पकाल में ही संघ कि कमान छोड़ना पड़ी।

संघ के नए प्रमुख 2000  में किसी सुदर्शन बनाये गए।  उन्होंने भी ९ साल तक संघ कि खूब सेवा कि ,लेकिन उनके कार्ययकल को यादगार नहीं कहा जा सकता।  सुदर्शन जी ने समय रहते अपनी इच्छा से डॉ मोहन भागवत को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। पिछले 14  साल से डॉ मोहन भागवत संघ के अधूरे सपने में रंग भरने कि कोशिश कर रहे  हैं। डॉ भागवत जन्मे तो थे पशुओं कि सेवा के लिए लेकिन वेटनरी डाक्टर बनने के बाद उन्होंने पशुओं कि सेवा करने के बजाय संघ कि सेवा को चुना ।  वे खानदानी संघी है।  ऊके पिता भी संघ के प्रचारक थे। इसलिए उनके लिए संघ बहुत सहज प्लेटफार्म था।

डॉ मोहन भागवत को संयोग से 2014  में एक ऐसा नेता मिला जो सहोदर न होते हुए भी सहोदर जैसा था ।  उस नेता का नाम है नरेंद्र दामोदर दास मोदी।  दोनों हम उम्र हैं।  एक साथ प्रचारक रहे हैं और ये फर्क करना  मुश्किल होता है कि वे दो जिस्म एक जान नहीं है। आप मोदी में मोहन को और मोहन को देख सकते हैं । डॉ मोहन भागवत के मौजूदा 14  वर्ष के कार्यकाल में भाजपा तीसरी बार सत्ता में आयी है। लेकिन इस अवधि में भी डॉ हेडगेवार के सपने में रंग भरने में संघ को कामयाबी नहीं मिली ।  हालाँकि इस काल में संघ के हिस्से में राम जन्म भूमि विवाद का निबटारा,नए राम मंदिर का निर्माण और मंदिर में रामलला कि प्रतिमा कि स्थापना का सुयश दर्ज हो चुका है।

संघ और भाजपा के दो बड़े नेताओं कि ये जोड़ी 2024  के आमचुनाव होते होते बिखरने लगी ।  मोदी कि भाजपा संघ से बड़ी नजर आने लग।  संघ के 98  साल के लम्बे जीवन में पहली बार ' अपनी ही बिल्ली ने ' म्याऊं ' करके दिखाया ।  भाजपा ने पहली बार ही कहा कि उसे अब संघ कि जरूरत नहीं है। संघ प्रमुख डॉ मोहन भगवत अपमान का ये घूँट भी चुपचाप कड़वी दवा समझकर पी गए। उनका सब्र काम आया या नहीं लेकिन इस दौर में वे देश के सबसे पहले असुरक्षित संघ प्रमुख जरूर बन गये ।  उन्हें देश कि सरकार से सुरक्षा हासिल करना पड़ी।

 डॉ भागवत के मौन का सुफल ये हुआ कि केंद्र सरकार ने संघ की गतिविधियों  पर लगी पाबंदी  को हटा दिया। संघ के प्रचारक जहाँ-तहाँ स्थापित कर दिए गए। संघ के हजारों स्वयं सेवक डबल इंजिन की सरकारों   से हर महीने हजारों रूपये का नेमनूक [  पारश्रमिक  ] पा रहे हैं संघ के सौ साल के सफर में संघ के लिए सबसे कठिन दौर अब है ।  संघ के पास अब कोई चमत्कारी उपकरण नहीं हैं ।  संघ  को गैर संघी  मठाधीश योगी आदित्यनाथ के नारे के सहारे आगे का सफर तय करना पड़ रहा है।  ये संघ के लिए शुभ है या अशुभ ये राम ही जाने ।  हम तो इतना जानते हैं कि संघ इस समय भाजपा कि कठपुतली है और उसकी मांग में योगी द्वारा सृजित उधार का सिन्दूर भरा हुआ है। संघ के शतायु होने पर कोटि-कोटि बधाइयाँ ।  मोहन जू को शुभकामनाएं कि वे संघ के प्रथम सुप्रीमो की ही भांति कम से कम 40  साल तक संघ की सेवा करें।

@ राकेश अचल

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