7 जनवरी 2025, मंगलवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 07:16 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:38 बजे 

*श्री विक्रमसंवत्-2081* शाके-1946 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण,दक्षिणगोल 

*🌧️ऋतु* : - शिशिर ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज पौष  माह शुक्ल पक्ष *अष्टमी तिथि* 16:26 बजे तक है उसके बाद नवमी तिथि  चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज रेवती नक्षत्र* 17:49 बजे तक फिर अश्वनी नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *शिव* है। 

 *करण*  :-आज *बव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक 17:49 बजे तक है  भद्रा नहीं है।गंडमूल  है।    

*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी  पर  है।

☄️ *दिशाशूल* : आज उत्तर दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 15:03 से 16:21 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:03 बजे से 12:45 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौह*:दुर्गाष्टमी

*मुहूर्त* :-  नहीं है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-धनु, चन्द्र-मीन, मंगल-कर्क, बुध-धनु, गुरु-वृष, शुक्र-कुंभ, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

 *🌞चोघडिया, दिन*

रोग 07:17 - 08:34 अशुभ

उद्वेग 08:34 - 09:52 अशुभ

चर 09:52 - 11:10 शुभ

लाभ 11:10 - 12:28 शुभ

अमृत 12:28 - 13:45 शुभ

काल 13:45 - 15:03 अशुभ

शुभ 15:03 - 16:21 शुभ

रोग 16:21 - 17:39 अशुभ

*🌘चोघडिया, रात*

काल 17:39 - 19:21 अशुभ

लाभ 19:21 - 21:03 शुभ

उद्वेग 21:03 - 22:45 अशुभ

शुभ 22:45 - 24:28*शुभ

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

नेताओं का ' सॉफ्ट टारगेट ' क्यों होती हैं महिलाएं ?

दुनिया की राजनीति में महिलाएं ही ' सॉफ्ट टारगेट ' क्यों होती हैं ? इस यक्ष प्रश्न का उत्तर कोई  दे नहीं पाया है ,यहां तक कि खुद महिलाएं भी। महिलाएं नेताओं की बदजुबानी का रोज शिकार बनतीं हैं लेकिन वे इसका प्रतिरोध नहीं कर पातीं क्योंकि महिलाएं भी एकजुट नहीं हैं। उनका इस्तेमाल ' शो पीस ' से ज्यादा नहीं है।  इस मामले में भारत के तमाम राजनीतिक दल एक से बढ़कर एक हैं। आजकल देश की सबसे ज्यादा संस्कारवान पार्टी महिलाओं  के सम्मान से खिलवाड़ करने में सबसे आगे हैं।  

महिलौओं के सम्मान और अपमान के बारे में सभी राजनीतिक दल समाजवादी हैं ,यानि उनकी  धारणा लगभग एक जैसी है।  जो बात बरसों पहले आरजेडी के लालू प्रसाद यादव ने कही थी वो ही बात आज भाजपा के महाभद्र नेता रमेश बिधूड़ी ने कही है ,इसलिए मुझे न कोई हैरानी हुई और न रंज।  लालू प्रसाद यादव ने पटना  की सड़कों को भाजपा सांसद और स्वप्न सुंदरी रह चुकी हेमामालिनी   के गालों जैसा बनाने की बात कही थी ।  रमेश बिधूड़ी ने इसी काम के लिए प्रियंका वाड्रा का इस्तेमाल किया है।  बिधूड़ी ने कहा कि यदि भाजपा दिल्ली विधानसभा के चुनावों में सत्ता में आयी तो काका जी की सड़कों को प्रियंका के गलों जैसा खूबसूरत  बना देगी। अब ये बात अलग है कि क्या नौ मन तेल होगा और क्या राधा नाचेगी ?

रमेश बिधूड़ी को आपने संसद में सुभाषित भाषा में भाषण देते सुना ही होगा, उन्होंने बसपा सांसदडेनिश अली को क्या कह कर अपमानित किया था ? वो शायद ही कोई भूला हो। रमेश बिधूड़ी अनाड़ी नहीं हैं। पढ़े-लिखे हैं। स्नातक हैं ,विधि स्नातक भी हैं , तीन बच्चों के बाप हैं और तीन बार के विधायक भी। सांसद तो रहे हैं ही इसलिए उनके अनुभव पर मै क्या ,कोई भी ऊँगली नहीं उठा सकता। उन्होंने दिल्ली विश्व विद्यालय और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से कौन सी भाषा सीखी है इसका प्रमाण देने की भी जरूरत नहीं है।  कांग्रेस स्वाभाविक रूप से बिधूड़ी के ब्यान पर उखड़ी हुई है किन्तु मुझे बिधूड़ी पर दया आती है। दया आती है भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर जो बिधूड़ी को झेल रही है ,हालाँकि भाजपा ही वो पार्टी है जो लोकसभा में नारी शक्ति बंदन विधेयक लाती है।

देश की सड़कें हेमा मालिनी  के गालों जैसीं बनें या प्रियंका के गलों जैसीं ,इसका निर्धारण तो भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी  कर सकते है।  प्रदेशों में ये काम लोक निर्माण मंत्रियों का है लेकिन इस बारे में कभी किसी सरकार ने कोई नीति निर्धरित नहीं की है ,इसलिए मुझे संदेह है कि रमेश बिधूड़ी का सपना पूरा होगा। लालू यादव का सपना पूरा नहीं हुआ।  देश की और डबल इंजिन की कोई भी सरकार  सड़कों को किसी हीरोइन या नेता के गालों जैसा बनवा ही नहीं सकती। क्योंकि ये असम्भव काम है।  सड़कों की तुलना महिलाओं के गालों से करने वाले महिलाओं का कितना सम्मान और बंदना करते हैं ये बताने की जरूरत नहीं।  

महिलाओं को लेकर हमारे भाग्यविधाताओं के क्या ख्याल हैं ये जानना हो तो अतीत को खंगालिए ।  कोई महिलाओं को एक करोड़ की बार वाला कहता है तो कोई जर्सी गाय। कोई राक्षसी कहता है तो कोई कुछ और।  कांग्रेस के जमाने में महिलाओं को तंदूरी रोटी की तरह जला दिया गया था तो भाजपा के राज में वे हनी ट्रेप के लिए इस्तेमाल की गयीं। महिलाओं को लेकर कबूतरबाजी करने वाले हमारे देश के ही संसद हैं। महिलाओं को अग्नि के सामने सात फेरे लेकर जिंदगी भर भटकने के लिए छोड़ देने वाले नेता भी हमारे अपने देश के हैं ,वे इंग्लैंड या अमेरिका से नहीं आये।

हकीकत ये है कि  एक तो महिलाएं राजनीति में अल्पसंख्यक हैं दूसरे उनका कोई माई-बाप नहीं है। कांग्रेस में श्रीमती इंदिरा गाँधी कैसे प्रधानमंत्री बन गयीं ये हैरानी का विषय है लेकिन किसी दूसरे राजनीतिक दल ने भले ही वो दुनिया का  सबसे बड़ा राजनीतिक   दल ही क्यों न हो किसी महिला को न प्रधानमंत्री बनने दिया और और न  अपनी पार्टी का अध्यक्ष ।  बहन मायावती  और बहन ममता बनर्जी इसका अपवाद हैं क्योंकि वे स्वयंभू है। वे अपने दलों की सुप्रीमो हैं, ये भी दूसरे दलों के नेताओं को नहीं पचता।  भाजपा तो हाथ धोकर इन दोनों  बहनों को मिटटी में मिलने की कोशिश कर रहीं हैं।

मेरा मूल प्रश्न था कि भारत में महिलाएं राजनीति के क्षेत्र में सॉफ्ट टारगेट क्यों हैं ? इसका उत्तर खोजिये।  मिल जाये तो मुझे भी बताइये ,क्योंकि मेरी तो कुछ समझ में नहीं  आ रहा।  मुझे कोई महिला नेत्री भी इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे रही। राजनीति में महिलाएं पहले भी खिलौना थीं  और आज भी खिलौना ही है।  मुमकिन है कि मेरे इस आलेख के बाद तमाम नारीवादी छद्म नेता,लेखक ,पत्रकार मेरे ऊपर राशन- पानी लेकर  पिल पड़ें  ,लेकिन मै अपनी धारणा बदलने वाला नहीं हूं ,क्योंकि मुझे हर राजनीतिक दल में एक न एक बिधूड़ी नजर आ  रहा है। किसी दल में ये संख्या कम है तो किसी में ज्यादा। महिलाओं का सम्मान करते हुए जेल यात्रा  कर चुके अमरमणि त्रिपाठीआज किस  दल में हैं आप खुद पता लगाइये।

महिलाओं के सम्मान के बारे में भाजपा कांग्रेस की नकल करने में नहीं हिचकती ।  कांग्रेस ने एक महिला को लोकसभा का अध्यक्ष बनाया था सो भाजपा  ने भी बना दिय।  कांग्रेस ने एक महिला को राष्ट्रपति बनाया था सो भाजपा ने भी बना दिया। लेकिन भाजपा किसी महिला को प्रधानमंत्री नहीं बना पा रही  ।  किसी को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बना पा रही ।  भाजपा तो छोड़िये, भाजपा को बनाने वाला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पिछले सौ  साल  में एक भी महिला को संघ का सर संघ चालक  नहीं बना पाया ,क्योंकि भाजपा की सनातन सियासी संस्कृति में -'नारी सर्वत्र वर्जते ' सिखाया जाता है।  मनु स्मृति की शिक्षा -यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः' रमेश बिधूडियों  को नहीं दी जाती। ये सिर्फ एक नारा है जो मंचों से लगाया जाता है। अन्यथा सभी दल और सभी दलों के नेता नारी को द्रोपदी समझते है।  सभी में द्रोपदी के चीरहरण की होड़ लगी है।

बहरहाल मै रमेश बिधूड़ी और उन जैसे तमाम नारी विरोधी नेताओं की बुद्धि शुद्धि के लिए यज्ञ -हवन करने कोई जुगत बैठा रहा हूँ ,देखिये मुझे कितनी  कामयाबी मिलती है। ऐसे बदजुबान नेताओं के खिलाफ जनमत न बनाया गया तो महिलाओं के गाल सड़कों की तुलना के लिए कल भी इस्तेमाल किये जाते थे,आज भी किये जा रहे हैं और कल भी किये जायेंगे। महिलाओ जागो,जागो महिलाओ। राजनीति से ऊपर उठकर लालुओं,बिधूडियों का बहिष्कार करो।

@ राकेश अचल

6 जनवरी 2025, सोमवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 07:16 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:37 बजे 

*श्री विक्रमसंवत्-2081* शाके-1946 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण,दक्षिणगोल 

*🌧️ऋतु* : - शिशिर ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज पौष  माह शुक्ल पक्ष *सप्तमी तिथि* 18:23 बजे तक है उसके बाद अष्टमी तिथि  चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज उत्तराभाद्रपद नक्षत्र* 19:05 बजे तक फिर रेवती नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *शिव* है। 

 *करण*  :-आज *बव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक है  भद्रा 07:20 से 18:23 बजे तक,गंडमूल 19:06 से  है।    

*🔥अग्निवास*: आज पाताल में  है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पूर्व दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 08:34 से 09:52 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:03 बजे से 12:45 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौह*:गुरुगोविंद सिंह  जयंती है।

*मुहूर्त* :-  नहीं है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-धनु, चन्द्र-मीन, मंगल-कर्क, बुध-धनु, गुरु-वृष, शुक्र-कुंभ, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

 *🌞चोघडिया, दिन*

अमृत 07:16 - 08:34 शुभ

काल 08:34 - 09:52 अशुभ

शुभ 09:52 - 11:09 शुभ

रोग 11:09 - 12:27 अशुभ

उद्वेग 12:27 - 13:45 अशुभ

चर 13:45 - 15:03 शुभ

लाभ 15:03 - 16:20 शुभ

अमृत 16:20 - 17:38 शुभ

*🌘चोघडिया, रात*

चर 17:38 - 19:20 शुभ

रोग 19:20 - 21:03 अशुभ

काल 21:03 - 22:45 अशुभ

लाभ 22:45 - 24:27*शुभ

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

हत्या के मामले का किया सीन ऑफ़ रिक्रिएशन

 टीकमगढ़ जिला ब्यूरो प्रमोद अहिरवार 

विवेचना हेतु विशेष 6 टीमों का किया गया गठन
टीकमगढ़:- आज पुलिस लाइन टीकमगढ़ में पुलिस अधीक्षक टीकमगढ़ मनोहर सिंह मंडलोई के नेतृत्व में हत्या के घटना स्थल का रिक्रिएशन किया गया।

उक्त रिक्रिएशन में पुलिस की 06 टीमें बनाई गई जिसमे  1. विवेचना टीम  2. एफएसएल टीम  3. साइबर टीम 4.गिरफ्तारी टीम  5.डॉग स्क्वाड  6.फिंगर प्रिंट टीम ।

पुलिस अधीक्षक द्वारा उक्त टीमों को हत्या के घटना स्थल पर पहुंच कर घटना स्थल सुरक्षित करना, घटनास्थल पर एविडेंस एवं फिंगर प्रिंट को सुरक्षित करना, साइबर एवं सीसीटीवी का उपयोग, डॉग स्क्वाड आदि का किस प्रकार सही तरीके से विवेचना में  उपयोग करना हैं बताया गया विवेचना एवं गिरफ्तारी पार्टी को किस प्रकार कार्य करना हैं बताया गया।

उक्त रिक्रिएशन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीताराम, एसडीओपी टीकमगढ़ राहुल कटरे, एफएसएल अधिकारी प्रदीप यादव, रक्षित निरीक्षक विशाल मालवीय, साइबर सेल, फिंगर प्रिंट अधिकारी सहित टीकमगढ़ जिले के समस्त थाना एवं चौकी प्रभारी उपस्थित रहे।

सेप्टिक टैंक में ' बस्तर जंक्शन '

लिखते हुए हाथ कांपते नहीं हैं ,दिल में सिहरन जरूर होती है, 'हमपेशा' मुकेश चंद्राकर के बारे में सोचकर।  33  साल के मुकेश चंद्राकर बस्तर के रवीश कुमार थे,हालाँकि उन्हें कोई रमन मेग्सेसे पुरस्कार नहीं मिला था।  उन्हें सच लिखने का ईनाम मिला ,लेकिन मौत की शक्ल में।  मुकेश चंद्राकर  की हत्या कर उनका शव एक सेप्टिक टेंक में डाल दिया गया। लेकिन मुकेश की हत्या लाख कोशिशों के बाद भी छिपाई नहीं जा सकी ,हाँ  अब  मुकेश के हत्यारे को बचाने की कवायद और राजनीति  जरूर हो रही है।

बस्तर में चंद्राकर ही चंद्राकर के कातिल हो सकते हैं ,इसकी कल्पना करना आसान नहीं है ,लेकिन ऐसा हुआ ,क्योंकि सभी चंद्राकर एक जैसे नहीं होते।  सभी चंद्राकर चंदूलाल चंद्राकर नहीं होते,सभी मुकेश चंद्राकर नहीं होते।  मै चंदूलाल चंद्राकर को जानता था।  वे अपने जमाने के एक शालीन पत्रकार थे और हिंदुस्तान जैसे अखबार के सम्पादक रहे ।  कांग्रेसी थे ,लेकिन जमीन से जुड़े थे ,उनकी वजह से ही पृथक छत्तीसगढ़ की नीव पड़ी। इसी छत्तीसगढ़ में मुकेश चंद्राकर भी हुए। वे अपने सीमित साधनों से बस्तर में भय,भ्र्ष्टाचार  और कुशासन के खिलाफ अलख जगाये हुए थे।
मुकेश चंद्राकर 2025 की  पहली रात से ही अपने घर से लापता थे। मुकेश ने  स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर एक नेशनल टीवी चैनल  के लिए काम शुरू किया और साथ में ही वे  यूट्यूब पर अपना   चैनल 'बस्तर जंक्शन' का  संचालन भी करते थे।  इस चैनल पर  बस्तर की अंदरूनी ख़बरें प्रसारित होती थीं,  इसीलिए ये चैनल  लोकप्रिय.भी था। मुकेश केवल पत्रकार ही नहीं थे बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। वे उग्रवादियों में भी विश्वसनीय थे ,ग्रामीणों में भी और पुलिस में भी ,लेकिन वे अलोकप्रिय थे भ्रष्ट नेताओं में ,अफसरों में। और उनका यही रूप उनकी जान का दुश्मन बन गया। मुझे किसी ने बताया कि बस्तर में माओवादियों की ओर से अपह्रत पुलिसकर्मियों या ग्रामीणों की रिहाई में मुकेश ने कई बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुकेश की हत्या का आरोप उनके ही सजातीय ठेकेदार .सुरेश चंद्रकार पर है।  वो कांग्रेस का नेता है ,इसलिए भाजपा के लिए मुकेश की हत्या राजनीति  का औजार बन गयी। मुकेश चंद्राकर के भाई की शिकायत के बाद से ही पुलिस की विशेष टीम बना कर जांच की जा रही थी शुक्रवार की शाम चट्टान पारा बस्ती में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के परिसर में एक सेप्टिक टैंक से मुकेश चंद्राकर का शव बरामद किया गया। पुलिस का कहना है कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर के मोबाइल के अंतिम लोकेशन और फोन कॉल के आधार पर जांच चल रही थी।
मुकेश की हत्या के पीछे कांग्रेस है या भाजपा ,मै इस फेर में नहीं पड़ता ।  मुकेश चंद्राकर की हत्या के  तमाम पहलुओं के बारे में लिखा जा चुका है ,इसलिए मेरे पास इस विषय में आपको चौंकाने वाला कोई शिगूफा नहीं है ,लेकिन मै इतना जानता हूं कि  छत्तीसगढ़ में दो तरह के पत्रकार हैं। एक वे जो मुकेश चंद्राकर जैसे हैं और दूसरे वे जो मुकेश चंद्राकर जैसे नहीं हैं।  छत्तीसगढ़ लुटेरों  की राजधानी है ।  यहां नेता,अफसर,ठेकेदार  और पत्रकार मिलकर संसाधनों की लूट कर रहे है।  पृथक छत्तीसगढ़ बनने के बाद मध्यप्रदेश के ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र तक के अनेक पत्रकार छत्तीसगढ़ पहुंचकर पत्रकारिता करने लगे ।  जिन्हें हमारे यहां ' चुकटिया ' पत्रकार कहते थे वे छत्तीसगढ़ में जाकर सेठ बन गए।
मुकेश की हत्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नेता,अफसर,ठेकेदार और पत्रकारों के नापाक गठबंधन का हमला है।  इसके खिलाफ लोग खड़े हुए हैं लेकिन वैसे नहीं खड़े हुए जैसे निर्भया के मामले में हुए थे ,क्योंकि कोई मुकेश को पत्रकार ही नहीं मान रहा  तो कोई उसे ब्लैक मेलर कहकर लांछित करने से नहीं हिचक रहा। लेकिन हकीकत केवल ऊपर वाला जानता है।  मुकेश यदि झुनझुना बजाने वाला पत्रकार होता तो शायद नहीं मारा जाता।  मारने वाला मुकेश का सजातीय ही नहीं बल्कि दूर का रिश्तेदार भी है।  हत्यारा उसे खरीद सकता था ,किन्तु ऐसा नहीं हुआ। मुकेश को मार दिया गया क्योंकि मुकेश अकेले ठेकेदार सुरेंद्र चंद्राकर के लिए खतरा नहीं था ,बल्कि पूरी व्यवस्था के लिए खतरा था। मुकेश जैसे लोग खतरनाक ही होते हैं ,ऐसे लोगों को कोई बर्दाश्त नहीं करता।
मुकेश की शहादत पर मुझे गर्व है। कभी-कभी मुझे लगता है कि  मै सत्ता प्रतिष्ठान के लिए मुकेश की तरह खतरनाक नहीं बन पाया अन्यथा मुझे भी मुकेश गति प्राप्त हो सकती थी। मुकेश के हत्यारे सजा पाएंगे या छोड़ दिए जायेंगे ये भविष्य के गर्त में है ,लेकिन ये छत्तीसगढ़ के उन असंख्य पत्रकारों के लिए मौक़ा है कि  वे मुकेश के हत्यारों को उनके अंजाम तक पहुँचाने की कोशिश करें ,अन्यथा या तो वे टुकड़खोर कहे जायेंगे या एक दिन मुकेश गति को प्राप्त होंगे। मुकेश के प्रति मेरा मन शृद्धा से भरा है। वो मेरे बच्चों की उम्र का था। वो जहाँ भी रहे ,सच की लड़ाई लड़ता रहे। मुकेश के परिजनों पर क्याबीत रही होगी ,इसकी कल्पना यदि छतीसगढ़ और देश के पत्रकार कर पाएंगे तो वे मुकेश के पीछे खड़े होने में संकोच नहीं करेंगे।
@ राकेश अचल 

5 जनवरी 2025,रविवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 07:16 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:37 बजे 

*श्री विक्रमसंवत्-2081* शाके-1946 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण,दक्षिणगोल 

*🌧️ऋतु* : - शिशिर ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज पौष  माह शुक्ल पक्ष *षष्ठी तिथि* 20:15 बजे तक है उसके बाद सप्तमी तिथि  चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र* 20:17 बजे तक फिर उत्तराभाद्रपद नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *वरियान* है। 

 *करण*  :-आज *कौलव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक है  भद्रा,गंडमूल नहीं है।    

*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी पर  है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पश्चिम दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 16:20 से 17:35 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:03 बजे से 12:45 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौह*:  नहीं है।

*मुहूर्त* :-  नहीं है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-धनु, चन्द्र-कुंभ, मंगल-कर्क, बुध-धनु, गुरु-वृष, शुक्र-कुंभ, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

*🌞चोघडिया, दिन*

उद्वेग 07:16 - 08:34 अशुभ

चर 08:34 - 09:51 शुभ

लाभ 09:51 - 11:09 शुभ

अमृत 11:09 - 12:27 शुभ

काल 12:27 - 13:44 अशुभ

शुभ 13:44 - 15:02 शुभ

रोग 15:02 - 16:20 अशुभ

उद्वेग 16:20 - 17:37 अशुभ

*🌘चोघडिया, रात*

शुभ 17:37 - 19:20 शुभ

अमृत 19:20 - 21:02 शुभ

चर 21:02 - 22:44 शुभ

रोग 22:44 - 24:27*अशुभ

 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

विकास कार्यों की जानकारी उपलब्ध कराई जाए : महापौर

महापौर डॉ शोभा सतीश सिंह सिकरवार ने  शनिवार को विभागीय कार्यों की समीक्षा 

ग्वालियर  । महापौर डॉ शोभा सतीश सिंह सिकरवार ने शनिवार को विभागीय कार्यों की समीक्षा करते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि नगर निगम ग्वालियर द्वारा नगर निगम निधि एवं मौलिक निधि के जो भी कार्य किया जा रहे हैं उनके विस्तार से जानकारी दें तथा जनप्रतिनिधि द्वारा जो भी कार्य बताए जाते हैं उनको प्राथमिकता से करें।

बैठक में महापौर डॉक्टर सिकरवार ने जनकार्य विभाग की समीक्षा करते हुए क्षेत्र की समस्या के निराकरण हेतु दिए गए विभिन्न पत्रों पर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी।

इसके साथ ही बैठक के दौरान महापौर डॉक्टर सिकरवार ने पार्क विभाग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहे कार्यों की जानकारी ली तथा आवश्यक दिशा निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। साथ ही 15वें वित्त आयोग के तहत डाली गई पानी की लाइन एवं सीवर की लाइनों की जानकारी ली

बैठक में यह भी निर्देश दिए कि जो जानकारियां अभी उपलब्ध नहीं है ,उनको तत्काल बनवाकर विधानसभा बार विकास कार्यों की जानकारी उपलब्ध कराई जाए।

बड़ी मात्रा में अवैध शराब जब्त

 ग्वालियर । आबकारी विभाग की टीम ने  बड़ी कार्रवाई की है। बड़ी मात्रा में अवैध शराब जब्त करने के साथ आरोपियों के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किए गए हैं।जिले में अवैध मदिरा के निर्माण, परिवहन, संग्रह और विक्रय को रोकने के लिए जिला प्रशासन के निर्देश पर चलाई जा रही मुहिम के तहत शनिवार को आबकारी विभाग की टीम ने  बड़ी कार्रवाई की है। बड़ी मात्रा में अवैध शराब जब्त करने के साथ आरोपियों के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किए गए हैं।



फिल्म स्टार सांसद कंगना रनौत ने दतिया के माँ पीतांबरा पीठ में पूजा-अर्चना की

दतिया l भारतीय फिल्म जगत की मशहूर अभिनेत्री और हाल ही में सांसद बनीं कंगना रनौत ने आज मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध शक्तिपीठ माँ पीतांबरा पीठ में दर्शन किए उन्होंने यहाँ विधिवत पूजा अर्चना की और महाभारत कालीन वनखंडेश्वर महादेव का जलाभिषेक भी किया

कंगना की इस आध्यात्मिक यात्रा ने उनके प्रशंसकों और स्थानीय लोगों में उत्सुकता का माहौल पैदा कर दिया सुबह के समय कंगना माँ पीतांबरा पीठ मंदिर पहुँचीं पारंपरिक परिधान में सजी कंगना ने पूरे भक्ति भाव के साथ पूजा की I स्थानीय पुजारियों और मंदिर प्रबंधन ने कंगना का मंदिर में स्वागत किया पुजारियों ने उन्हें विधिपूर्वक पूजा विधि समझाई और मंदिर के इतिहास के बारे में बताया I 

लफंगा कौन ,कुमार या सैफ अली ?

 

मै लेखक हूँ इसलिए मुझे हर पक्ष पर लिखने की आजादी है ।  यदि मै नेताओं,न्यायाधीशों,अभिनेताओं,खिलाडियों पर लिख सकता हूँ तो लफंगों पर भी लिख सकता हूँ ,हालांकि लफंगे  इस काबिल नहीं होते की उनके बारे में कुछ लिखा जाये ।  लफंगे आखिर लफंगे होते हैं ,लेकिन लफंगों की पहचान करना आसान काम नहीं  है।  लफंगे किस रूप में मिल जाएँ ,कोई नहीं जानता ?

लफंगा  ' संज्ञा ' है या सर्वनाम,क्रिया है विशेषण ये आप तय करें ,मै तो इतना जानता हूँ कि ये शब्द चुभने वाला है। लफंगा शब्द का इस्तेमाल  अक्सर लंपट , व्यभिचारी , दुश्चरित्र ,शोहदा , आवारा , और कुमार्गी के लिए  कुमार्गी के लिए किया जाता है ।आम बोलचाल का शब्द है लफंगा । इस शब्द का इस्तेमाल पहले संसद में भी हो चुका है ,किन्तु अब इसे असंसदीय घोषित कर दिया गया है ,इसलिए ये शब्द संसद में सुनाई नहीं देता । सड़क पर इस शब्द का इस्तेमाल सरे-आम किया जाता है और आम आदमी ही इसका इस्तेमाल करता है।  ख़ास आदमी इस शब्द को अपनी जबान पर भी नहीं लाते।

लफंगा शब्द मुझे भी चुभता  है इसलिए मै भी किंचित इसका इस्तेमाल नहीं करता,किन्तु मुझे मजबूर कर दिया है एक प्रोफेसर ने,एक कवि ने ,एक प्रवचनकर्ता ने कि मै इस शब्द पर लिखूं ।  लफंगे शब्द का इस्तेमाल करने वाले महापुरुष का नाम है कुमार विश्वास।  कुमार विश्वास को अपने ही नाम पर विश्वास नहीं था इसलिए उसने अपना मूल नाम विश्वास कुमार शर्मा  को बदलकर कुमार विश्वास कर लिया। कुमार विश्वास के पिता चंद्रपाल शर्मा चूंकि व्याख्याता थे सो कुमार भी इंजीनियर बनने के बजाय व्यख्याता बन गए। वे क्या बनना चाहते थे ,ये उन्हें भी पता नहीं ,लेकिन आजकल वे किसी को भी लफंगा कहने लगे हैं।

 कुमार कवि बने, फ़िल्मी गीतकार बने,अभिनेता बने ,किन्तु टिके नहीं रह पाए । उनकी आत्मा भटकते हुए आम आदमी पार्टी में आ गयी  ।  वे केजरीवाल बनना चाहते थे ,लेकिन वे कुछ भी नहीं बन पाए ।  कविता के मंच पर शृंगार के नाम पर फूहड़ता परोसने वाले कुमार जब कविता से ऊब गए तो आसाराम पथ पर चलते हुए धर्म प्रवाचक बन गये ।  हिन्दू बन गए और यहीं से उन्होंने देश के एक ख्यातिनाम अभिनेता के बेटे के नाम को लेकर लफंगा शब्द का इस्तेमाल करते हुए अपनी टीआरपी बढ़ाने की नाकाम कोशिश की। वे मुरादाबाद के एक कवि सम्मेलन में कविता पढ़ने गए थे और वहां उन्होंने कविता पढ़ने के बजाय सैफ-करीना  के बेटे तैमूर के नाम को लेकर अपनी भड़ास निकाल दी।

कुमार की देह में शायद किसी हिन्दू उग्रवादी नेता की आत्मा ने प्रवेश किया और कुमार बोल उठे-तुम्हे  हीरो-हीरोइन बनाएं हम और तुम शादी कर जो बच्चे पैदा करो उनका नाम किसी विदेशी आक्रमणकारी के नाम पर रखोगे  तो ये सब नहीं चलेगा।  कुमार को तैमूर के नाम से नफरत है। उनका कहना है कि नए भारत में आप किसी बच्चे का नाम उस लफंगे के नाम पर नहीं रख सकते। अब भारत जाग गया है। लगता है कि कुमार की अंतरात्मा भी 55 साल बाद जगी  है। कुमार को मै भी पसंद नहीं करता लेकिन मैंने कभी उन्हें लफंगा नहीं कहा,क्योंकि ये मेरे संस्कारों का हिस्सा नहीं है ।  मै किसी को लफंगा कहकर या लिखकर सुर्खियां बटोरना नहीं चाहता। कुमार ऐसा कर रहे है। वे कुछ भी कर सकते हैं ,क्योंकि उनकी आत्मा भटक रही है।

आपको पता है कि कुमार विश्वास आमतौर पर सॉफ्ट हिंदुत्व वाली लाइन लेकर ही चलते रहे हैं. उनके भाजपा में जाने की चर्चाएं होती रही हैं पर वो कभी नेहरू या इंदिरा गांधी के  खिलाफ नहीं बोलते हैं।  राहुल गांधी को भी एक अच्छा व्यक्ति मानते हैं।  मौका पड़ने पर बीजेपी-आरएसस की भी चुटकी ले चुके हैं।  पर अब उन्होंने कट्टर हिंदुत्व वाला रास्ता पकड़ लिया है। उन्हें लगता है कि वे प्रवीण तोगड़िया या साध्वी  ऋतम्भरा की तरह मुसलमानों पर आक्रमण कर हीरो बन जायेंगे।  किन्तु वे भूल जाते हैं कि इन अग्निमुखी  हिन्दू नेताओं का आज नामलेवा भी कोई नहीं है।  कुमार जाने-अनजाने हिंदी कविता के मंच को राजनीति का ,हिंदुव का अखाड़ा बनाना चाहते हैं। लेकिन ऐसा हो नहीं पायेगा। देश एक दिन उन्हें भी ख़ारिज कर देगा,क्योंकि देश जानता है कि असली लफंगा कौन है ?

हिंदी के महा  लफंगे कवि कुमार विश्वास ने पीएचडी की उपाधि तो हासिल कर ली किन्तु वे ' तैमूर ' का अर्थ नहीं जान पाए। जान भी गए होंगे तो वे इससे जानबूझकर अनजान बने हुए हैं। उन्हें जानना चाहिए कि तैमूर शब्द  नाम का मतलब बहादुर मजबूत, एक प्रसिद्ध राजा, आयरन होता है।और हर कोई अपनी संतान को बहादुर तथा मजबूत देखना चाहता है। अब कुमार को ऐसा करना पसंद नहीं है तो कोई क्या कर सकता है ?वे चाहें तो अपने बच्चों का नाम ' लंगूर ' रख लें । उन्हें किसी ने क्या ,ईश्वर ने भी इतनी ताकत नहीं दी कि वे सैफ-करीना के बेटे तैमूर का नाम बदलकर कुछ और रख दें। मै ईश्वर से प्रार्थना करूंगा कि वे कुमार विश्वास  को सद्बुद्धि दें ताकि वे तंगदिली से बाहर निकल आएं ।  मै  सैफ और करीना से भी दरख्वास्त करूंगा कि वे कुमार की टिप्पणी को दिल पार न लें क्योंकि लफंगा ही लफंगे की भाषा समझ सकता है। सैफ और करीना नहीं।  दोनों के परिवार की एक विरासत है और वे किसी भी तरह से लफंगे नहीं है । मै कवि सम्मेलनों के आयोजकों और कुमार के साथ मंच साझा करने वालों से भी कहूंगा कि वे कुमार का बहिष्कार करें अन्यथा उन्हें भी उसी पाप का भागीदार समझा जाएगा जिसके दोषी कुमार विश्वास साहब हैं।  

@ राकेश अचल

नए साल में सबसे पहला बड़ा पर्व लोहड़ी और मकर संक्रांति 13 व 14 जनवरी को

 

 इस बार पौष पूर्णिमा के दिन मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर 13 जनवरी सोमवार को लोहड़ी पर्व बड़े धूम धाम से मनाया जाएगा।इसी के साथ माघ स्नान प्रारंभ हो जाएगा।

वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया लोहड़ी और मकर संक्रांति के बाद से  ही रातें छोटी होने लगती है और दिन बड़े होने लगते हैं दिन तिल तिल कर बड़े होते हैं। सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण गति प्रारंभ कर देता है। और छः माह तक उत्तरायण रहता है । 

लोहड़ी का  त्यौहार  अधिकतर मकर संक्रांति से एक दिन पहले उसकी पूर्वसंध्या पर हर्षोउल्लास के साथ मनाते है।पंजाब प्रांत से लोहड़ी पर्व विशेष रूप से महत्व रखता है।

पारंपरिक तौर से ये त्यौहार फसल की बुआई और कटाई से जुड़ा हुआ है और इसे लोग संध्या के समय अग्नि के चारों तरफ नाचते-गाते मनाते हैं। लोहड़ी की अग्नि में गुड़, तिल, रेवड़ी, गजक आदि डालने के बाद इन्हे अपने परिवार एवं रिश्तेदारों के साथ बांटने की परंपरा है, साथ ही तिल के लड्डू भी बांटे जाते हैं। 

पंजाब में फसल की कटाई के दौरान लोहड़ी को मनाने का विधान रहा है और यह मूल रूप से फसलों की कटाई का उत्सव है। इस दिन रबी की फसल को आग में समर्पित कर सूर्य देव और अग्नि का आभार प्रकट  करने की परंपरा  है  किसान फसल की उन्नति की कामना करते हैं।

लोहड़ी का पर्व मनाने के पीछे मान्यता है कि आने वाली पीढियां अपने रीति-रिवाजों एवं परम्पराओं को आगे ले जा सकें। जनवरी माह में काफ़ी ठंड होती है ऐसे में आग जलाने से शरीर को गर्मी मिलती है वहीं गुड़, तिल, गजक, मूंगफली आदि के खाने से शरीर को कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं।

 जैन ने बताया सूर्य 14 जनवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे इसी मकर में प्रवेश  को यानी संक्रमण को मकर संक्रांति कहा जाता है।ऐसे में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2025 मंगलवार के दिन मनाया जाएगा।तिथि को लेकर कोई झमेला नहीं है 

14 जनवरी  मंगलवार के दिन संक्रांति का पुण्य काल सुबह 09:03 बजे से शाम 05:47 बजे तक चलता रहेगा इस का कुल समय 08 घंटे 43 मिनट रहेगा।

और महा पुण्य काल सुबह 09:03 बजे से 10:50 बजे तक श्रेष्ठ  समय रहेगा । इस की कुल अवधि 01 घंटा 47 मिनट होगी।

दान पुण्य पूरे दिन भर चलेगा

जैन ने कहा ज्योतिष शास्त्र व अन्य शास्त्रों में मकर संक्रांति का महत्व काफी ज्यादा है। महाभारत काल में भीष्म पितामह जब बाणों की शैय्या पर लेटे हुए थे तब उन्होंने मकर संक्रांति तक अपने प्राणों को बचाकर रखा था। उन्होंने अपना देह त्यागने के लिए उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा की थी। मकर संक्रांति पर उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए थे। ऐसा मान्यता है कि जो कोई भी मकर संक्रांति यानी उत्तरायण के दिन देह त्यागता है। दरअसल, गीता में बताया गया है कि उत्तरायण के छह महीने में जो शुक्ल पक्ष की तिथि में जो व्यक्ति देह का त्याग करता है वह जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है और मोक्ष का प्राप्त करता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव की राशि यानी मकर में पूरे एक महीने के लिए रहते हैं। दरअसल, सूर्य और शनि के बीच शत्रुता के संबंध है। ऐसे में इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि, इस दिन पिता और पुत्र का मिलन हुआ था

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