शनिवार, 5 अप्रैल 2025
ये आग कब बुझेगी मी लार्ड ?
आज मी लार्ड का सम्बोधन किसी न्यायाधीश के लिए नहीं बल्कि कल्कि अवतार उन नेताओं के लिए है जिन्होंने देश में मजहब के नाम पर साम्प्रदायिकता की आग को और हवा दे दी है। कितनी बिडम्वना है कि इस देश में जहाँ सरकार ईद की नामज छतों पर और सड़कों पर पढ़ने से रोकती है वहीं दूसरी और बंगाल में राम नवमी का जुलूस प्रतिबंधित किया जाता है। जाहिर है कि हमारे मुल्क में न राम राज आया है और न अंग्रेजी तथा मुगल राज समाप्त हुआ है। हमारे मुल्क में सभी को कुछ भी करने की आजादी है। हम सचमुच में आजाद हिन्द की फ़ौज हैं।
इधर संसद के दोनों सदनों में विवादास्पद वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पारित हुआ और उधर कुछ हिन्दू अतिवादी संगठन सम्भल में जामा मस्जिद में हवन करने जा धमके। ये हौसला इन संगठनों को कहाँ से मिलता है ,ये बताने की जरूरत नहीं है।
वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 पारित होने के बाद अब जब क़ानून बनेगा तब पता चलेगा कि मुल्क के कितने लाख या करोड़ मुसलमानों का भला होगा,फिलहाल तो राजनीतिक दलों में इसी मसले पर फूट और उत्तरप्रदेश सरकार की तैयारी देखने लायक है। उसने वक्फ सम्पतियों का सर्वे शुरू करा दिया ह। नए वक्फ बोर्ड क़ानून के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन शुरू होगये हैं। लेकिन सरकार बेफिक्र है ,क्योंकि उसने जैसा चाहा था वैसा ही हो रहा है। सरकार इस नए कानून के बहाने मुसलमानों की ताकत का आकलन करना चाहती है।ाल इंडिया मुस्लिम परसनल बोर्ड ने राष्ट्रपति जी से तत्काल मुलाक़ात का समय माँगा है। मुस्लिम परसनल ला बोर्ड को पता नहीं क्यों राष्ट्रपति से कोई उम्मीद है ,जबकि सब जानते हैं की हमारे देश में राष्ट्रपति महोदय केवल दही -मिश्री खिलाने के लिए हैं ,न की सरकार की कान-कुच्ची करने के लिए।
सरकार के फैसले को शिरोधार्य करने के बजाय मुसलमान सड़क पर उतर गए हैं। देश के कोने-कोने में इस संशोधन विधेयक के खिलाफ मुसलमानों ने आंदोलन करना शुरू कर दिया है। कोलकाता, हैदराबादा, मुंबई समेत देश के अलग-अलग स्थानों पर मुसलमानों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल के पास होने पर इसे जम्हूरियत के लिए काला अध्याय और कलंक बताया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि सत्ताधारी लोग ताकत के नशे में मदहोश होकर आगे बढ़ रहे हैं। सरकार ने मु्स्लिमसंगठनों और मुसलमानों की आवाज को नहीं सुना। इसके खिलाफ मुसलमान शांत नहीं बैठेगा और पूरे देश में प्रदर्शन किए जाएंगे।जबाब में दिल्ली के जामिया इलाके में पुलिस ने आज फ्लैग मार्च निकाला। बता दें कि दिल्ली में इस बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होने की संभावना के बीच आरपीएफ ने फ्लैग मार्च निकाली और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है।
वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर सरकार के साथ खड़ी जेडीयू भी अब दो फाड़ होती दिखाई दे रही है । जंयन्त चौधरी की रालोद भी मुश्किल में है। मुश्किल में तो पूरा देश है लेकिन इस मुश्किल से सरकार अनजान बनी हुई है। एक तरफ वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का विरोध और दुसरे तरफ बंगाल में रामनवमी जुलूस पर पाबन्दी से तनाव सरकार के ध्रुवीकरण अभियान के लिए शुभ संकेत दे रहा है। भाजपा और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार शायद चाहती ही ये है कि देश में हिन्दूओं और मुसलमानों के बीच एक विभाजक रेखा खिंच जाये। भाजपा और संघ के अभियान का एक अभिन्न हिस्सा बने मध्यप्रदेश के धीरेन्द्र शास्त्री का हौसला तो देखिये की वे अपने गृहक्षेत्र में एक हिन्दू गांव बसने जा रहे हैं और सरकार कुछ नहीं कह रही। क्या हमारा संविधान इस तरह की मूर्खताओं की इजाजत देता है ?
पश्चिम बंगाल के हावड़ा में रामनवमी पर जुलूस निकालने को लेकर हिंदू संगठनों और पुलिस प्रशासन के बीच ठन गई थी. पुलिस ने इसकी परमिशन नहीं दी तो संगठन कलकत्ता हाई कोर्ट चले गए. अब कोर्ट ने उन्हें रैली निकालने की सशर्त परमिशन दे दी है. कोर्ट ने इजाजत देते हुए कहा कि रामनवमी पर रैली के दौरान जुलूस के आगे-पीछे पुलिस लगी रहेगी. किसी भी तरह के हथियार ले जाने की परमिशन नहीं होगी. दोपहर 12 बजे तक हर हाल में रैली का समापन कर देना है। बंगाल में न्यायपालिका ठीक वैसे ही काम कर रही है जैसा की उसे करना चाहिए। अदालत ने भी हिन्दू संगठनों को उस तरह से नहीं रोका जिस तरह से उत्तर प्रदेश की सरकार ने मुसलमानों को सड़क पर नमाज करने से रोका था। आखिर अदालत में भी तो हम और आप जैसे ही लोग हैं मी लार्ड ! अब जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है कि वे सौहार्द बिगड़ने न दें।
देश को साम्प्रदायिकता की आग में झुकने के बाद देश के प्रधानमंत्री निश्चिंत होकर विदेश यात्रा पर है। प्रधानमंत्री जी थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में हो रहे बिम्स्टेक (बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फ़ॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन) के छठे शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद श्रीलंका चले गए। बैंकाक में प्रधानमंत्री जी ने बांग्लादेशके अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफ़ेसर मोहम्मद यूनुस की पहली मुलाक़ात में हिंदुओं की सुरक्षा और शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा हावी रहा। संसद में पारित उम्मीद से देश के मुस्लमानोनो को भले कोई उम्मीद न हो किन्तु मुझे उम्मीद है की भारत और बांग्लादेश के बीच का अनबोला तो समाप्त किया ही जा सकता है।
कुलजमा बात ये है कि हमारा देश एक गहन संक्रमण काल से गुजर रहा है। न अंतर्राष्ट्रीय हालात हमारे अनुकूल हैं और न राष्ट्रीय स्थितियां। आने वाले दिनों में क्या होगा ,कहने की नहीं समझने की जरूरत है। अभी भी वक्त है की सरकार हकीकत समझे और उम्मीद क़ानून को वापस ले ले ठीक उसी तरह जैसे की कृषि कानूनों को वापस लिया गया था ।
रविपुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग में 06 अप्रैल को खास संयोग में मनेगी राम नवमी
चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कौशल्या की कोख से पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म हुआ था। भारतीय जीवन में यह दिन पुण्य पर्व माना जाता है। इस दिन पुण्य सलिला सरयू नदी में स्नान करके लोग पुण्य लाभ कमाते हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉक्टर हुकुमचंद जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि इस साल रामनवमी 6 अप्रैल रविवार को मनाई जाएगी और इस दिन सुकर्मा योग, रवि योग, रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि और पुष्य नक्षत्र का संयोग है। रविवार होने के कारण और रविपुष्य नक्षत्र के कारण इस बार रविपुष्य योग बन रहा है। इस लिए इस बार की राम नवमी खास है साथ ही दान और पूजा का बहुत फल मिलेगा। इस साल अष्टमी तिथि 05 अप्रैल शनिवार शाम को 07.26 मिनट तक रहेगी और इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। इसलिए उदया तिथि को नवमी तिथि होने के कारण 06 अप्रैल राम नवमी मनाई जाएगी।
जैन ने कहा नवमी के इस व्रत को करने से हमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र के आदर्शों को अपनाना चाहिए भगवान की गुरु सेवा जाति, पाति का भेदभाव मिटाना शरणागत की रक्षा करना भाइयों का प्रेम मातृ- पितृ भक्त एक पत्नी व्रत, पवनसुत हनुमान तथा अंगद की स्वामी भक्ति गिद्धराज की कर्तव्यनिष्ठता तथा केवट आदि के चरित्रों की महानता को हमें पढ़ना चाहिए और उसका अनुसरण करना चाहिए।
रामनवमी पूजन मुहूर्त :- रामनवमी पूजा अनुष्ठान आदि करने हेतु मध्यान्ह का समय सर्वाधिक शुभ होता है मध्यान काल 06 घटी अर्थात लगभग 02 घंटे 24 मिनट तक रहता है ।
मध्यान के मध्य का समय श्री राम जी के जन्म के क्षण को दर्शाता है तथा मंदिरों में इस क्षण को भगवान श्री राम के जन्म काल के रूप में मनाया जाता है इस दौरान भगवान श्री राम के नाम का जाप और जन्मोत्सव अपने चरम पर होता है पूजन मुहूर्त रामनवमी मध्यान समय में 11:08 बजे से 01:36 बजे तक इसका कुल समय 2 घंटे 28 मिनट।
रामनवमी मध्याह्न का क्षण दोपहर 12:22 पर रहेगा।
5 अप्रैल 2025, शनिवार का पंचांग
*सूर्योदय :-* 06:07 बजे
*सूर्यास्त :-* 18:40 बजे
*श्रीविक्रमसंवत्-2082* शाके-1947
*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551*
*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल
*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु
*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* -
आज चैत्र माह शुक्ल पक्ष *अष्टमी तिथि* 19:36 बजे तक फिर नवमी तिथि चलेगी।
💫 *नक्षत्र आज* पुनर्वसु नक्षत्र 29:31 बजे तक फिर पुष्य नक्षत्र चलेगा।
*योग* :- आज *अतिगंड* है।
*करण* :-आज *विष्टि* हैं।
💫 *पंचक* :- पंचक, गंडमूल नहीं भद्रा 07:44 बजे तक है।
*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।
☄️ *दिशाशूल* : आज पूर्व दिशा में।
*🌚राहूकाल* :आज 09:16 से 10:50 बजे तक अशुभ समय है।
*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:00 बजे से 12:50 बजे तक शुभ है।
प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।
*पर्व त्यौहा*: दुर्गा अष्टमी, अशोकाष्टमी
*मुहूर्त* : वाहन क्रय विक्रय है अन्य कोई नहीं
🪐 *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-
सूर्य-मीन, चन्द्र-मिथुन, मंगल-कर्क बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-मीन, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन
हर्षल-मेष में आज है।
*🌞चोघडिया, दिन*
काल 06:08 - 07:42 अशुभ
शुभ 07:42 - 09:16 शुभ
रोग 09:16 - 10:50 अशुभ
उद्वेग 10:50 - 12:24 अशुभ
चर 12:24 - 13:58 शुभ
लाभ 13:58 - 15:32 शुभ
अमृत 15:32 - 17:06 शुभ
काल 17:06 - 18:40 अशुभ
*🌘चोघडिया, रात*
लाभ 18:40 - 20:06 शुभ
उद्वेग 20:06 - 21:32 अशुभ
शुभ 21:32 - 22:58 शुभ
अमृत 22:58 - 24:23*शुभ
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)
जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।
मो . 9425187186
शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025
भारत सिंह पर कृपा कीजिये महाराज
आप भारत सिंह को नहीं जानते । भारत सिंह कुशवाह ग्वालियर के साँसद हैं। ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं,लेकिन मप्र विधानसभा के सदस्य और मंत्री रह चुके है। पेशे से किसान हैं और मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की वजह से राजनीति में अपनी पहचान बना पाए हैं। भारत सिंह कुशवाह की किस्मत देखिये की वे 2023 में विधानसभा का चुनाव हार गए लेकिन 2024 में लोकसभा का चुनाव 70 हजार वोटों से जीत गए । भारत सिंह कुशवाह की तकलीफ ये है कि ग्वालियर के साँसद होते हुए भी उन्हें एक साँसद की तरह न काम करने दिया जा रहा है और न विकास का मसीहा बनने दिया जा रहा।
आप ये जानकर हैरान होंगे किभारत सिंह कुशवाह के रास्ते में आड़े आ रहे हैं गुना के सांसद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया। सिंधिया भले ही गुना के साँसद हैं लेकिन वे आधे मध्यप्रदेश को [यानि पुरानी सिंधिया रियासत के भू-भाग को ] अपनी रियासत ही समझते हैं। वे अकेले गुना के लिए नहीं बल्कि भिंड,मुरैना और ग्वालियर के लिए भी काम करते है। उन्हें विदिशा,उज्जैन जैसे इलाकों की भी फ़िक्र रहती है। उन्हें लगता है कि वे आज भी पुरानी ग्वालियर रियासत के महाराज हैं, इसलिए उन्हें इस पूरे इलाके की फ़िक्र करना चाहिए।
इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि भारत सिंह कुशवाह के मुकाबले ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीतिक विरासत सौ गुना ज्यादा है । भारत सिंह के पुरखे भी शायद सिंधिया रियासत की रियाया रहे होंगे ,किन्तु भारत सिंह तो आजाद भारत के भारत सिंह हैं और स्वयं सांसद भी हैं ठीक उसी तरह जैसे की ज्योतिरादित्य सिंधिया है। भारत सिंह की मुश्किल ये है कि वे हिम्मत कर ग्वालियर के लिए केंद्र से जिन तमाम योजनाओं के लिए भागदौड़ करते हैं उनके स्वीकृत होते ही वे सब योजनाएं सिंधिया अपने खाते में दर्ज करा देते हैं। जाहिर है कि सिंधिया का आभा मंडल है। उनकी दादी ,पिता ,बुआ तक सांसद रहीं हैं । वे किसी भी केंद्रीय मंत्री ही क्या प्रधानमंत्री जी से भी आसानी से मिल सकते हैं और किसी भी योजना को स्वीकृत भी करा सकते हैं ,लेकिन उन्हें भारत सिंह को भी तो कुछ करने देना चाहिए।
ग्वालियर का जिला प्रशासन भी भारत सिंह को एक सांसद की तरह महत्व नहीं देता ,खासतौर पर तब ,जब महाराज यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद मैदान में हों। स्थिति ये बन गयी है कि अक्सर भारत सिंह कुशवाह को सरकारी बैठकों में ,कार्यक्रमों में आमंत्रित ही नहीं किया जाता। अब खुद भारत सिंह उन कार्यक्रमों से कन्नी काटने लगे हैं जिनमें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद होते हैं। कायदे से तो सिंधिया को वरिष्ठ होने के नाते भारत सिंह को अपने साथ रखकर उनका रास्ता आसान करना चाहिए था किन्तु वे श्रेय में किसी को भागीदार नहीं बनाते,बेचारे भारत सिंह कुशवाह की तो हैसियत ही क्या है ?
आपको बता दें कि सिंधिया ने भारत सिंह से पहले ग्वालियर के साँसद रहे विवेक नारायण शेजवलकर को भी आत्मनिर्भर सांसद नहीं बनने दिया। हालाँकि विवेक नारायण शेजवलकर भारत सिंह के मुकाबले ज्यादा पढ़े लिखे [ इंजीनियर ] साँसद थे । उनके पिता भी सांसद रहे। । विवेक नारायण शेजवलकर तो महापौर भी रहे ,लेकिन शेजवलकर ने सिंधिया का लिहाज किया ,पर सिंधिया ने शेजवलकर का लिहाज नहीं किया । शेजवलकर से पहले नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर के साँसद थे,लेकिन उनका कद पार्टी में इतना बड़ा था कि सिंधिया तोमर को अपनी छाया के अधीन नहीं कर पाए। तोमर ने भी सिंधिया को उतने समय ही महाराज माना जितने समय कि दिखाने के लिए जरूरी था।
अब भारत सिंह कुशवाह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच की बढ़ती खाई का मामला पार्टी हाईकमान के साथ ही आरएसएस तक भी पहुँच चुका है। पर मजा देखिये कि पार्टी है कमान और संघ परिवार भी भारत सिंह के साथ खड़े होने के लिए राजी नहीं हैं। अब बेचारे भारत सिंह कुशवाह अपनी लड़ाई अकेले कब तक लड़ें ? भारत सिंह कुशवाह के राजीनतिक गुरु विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमार भी खुलकर सिंधिया का विरोध करने की स्थिति में नहीं हैं। सिंधिया आखिर सिंधिया है। उन्हें विकास का मसीहा बनने से कौन रोक सकता है ?
भारत सिंह कुशवाह और सिंधिया में तनातनी नई नहीं है।कुछ समय पहले भी जीवाजी विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री सिंधिया, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और राज्यपाल मांगूबाई पटेल ने प्रतिमा का अनावरण किया था। इस दौरान सांसद मौजूद नहीं थे। तब भी यह बात निकलकर आई थी कि उन्हें बुलाया ही नहीं गया था। वहीं, रविवार को भी केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने भी जब बजट को लेकर प्रेसवार्ता की तो उसमें भी सिंधिया समर्थक ऊर्जा मंत्री तोमर और अन्य समर्थक तो नजर आए लेकिन जिलाअध्यक्ष तक नजर नहीं आए।
भारत सिंह कुशवाह ने जब ज्यादा असंतोष जताया तो कुछ समय के लिए सिंधिया ने ग्वालियर में अपनी सक्रियता कम की किन्तु वे ज्यादा दिन ग्वालियर से दूर नहीं रह पाये । अब वे फिर सक्रिय हैं और पूरी तरह सक्रिय हैं। सिंधिया की छाया से अकेले भारत सिंह कुशवाह ही परेशान नहीं है अपितु कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य अशोक सिंह भी दुखी है। वे सिंधिया की वजह से ग्वालियर में अपनी सांसद निधि से ऐसा कोई काम हाथ में नहीं ले पाए जोउन्हें एक साँसद के तौर पर पहचान दिला दे। अशोक सिंह के पिता स्वर्गीय राजेंद्र सिंह और पितामह डोंगर सिंह कक्का सिंधिया परिवार के विरोधी रहे ,लेकिन बाद में अशोक सिंह ने हथियार डाल दिए और 2007 ,2009 ,2014 और 2019 में ग्वालियर से ॉक्सभा का चुनाव ग्वालियर सीट से लड़ा जरूर किन्तु सिंधिया ने न उन्हें चुनाव जिताया और न जीतने दिया। अशोक सिंह कांग्रेस में दिग्विजय सिंह खेमे से आते हैं।
अब देखना ये है कि सिंधिया की छत्र छाया से ग्वालियर के भाजपा साँसद भारत सिंह कुशवाह और कांग्रेस के राज्य सभा सांसद अशोक सिंह कितने दिन तक बचे रह सकते हैं ? इन दोनों में सिंधिया का मुकाबला करने की क्षमता हालांकि है नहीं। फिर भी समय किसने देखा है। वैसे भी सिंधिया के पास झंडावरदारी के लिए उनकी अपंनी पुरानी कांग्रेसियों की टीम है ही,उसमें अब कुछ भाजपाई भी शामिल हो गए हैं।
@ राकेश अचल
आरकेएल गॅलेक्सी स्कूलचा विद्यार्थी ओजासवी गांधी यांनी 2 डी डिझाइन स्पर्धेत राजा रवी वर्माचा पुरस्कार जिंकला
देशाच्या मुलींनी हे सिद्ध केले आहे की जर एखादी इच्छा असेल तर कोणतेही काम कठीण नाही आणि जर कोणतेही काम खरे समर्पण आणि कठोर परिश्रम करून केले गेले तर कोणताही अडथळा ध्येय थांबवू शकत नाही. हे सिद्ध झाले आहे की ग्वाल्हेरमध्ये जन्मलेल्या आणि पुण्यात शिकलेला ओजासवी गांधी.
पुणे मेट्रोपॉलिटन नगरपालिका बालगंधर्व रंगमंदिर येथे आयोजित तिसर्या राष्ट्रीय स्तरावरील कलाकृती प्रदर्शन, आरकेएल गॅलेक्सी स्कूलचे 7th व्या वर्गातील विद्यार्थी ओजस्वी गांधी यांनी 2 डी डिझाइन स्पर्धेत महान कलाकार राजा रवी वर्मा 2 वेळा पुरस्कार जिंकून हे सिद्ध केले.
ओजासवी गांधी यांनी त्यांची आई निकिता गांधी आणि वडील कमल गांधी यांना हे श्रेय दिले आहे.
स्मृति शेष : मनोज कुमार यानि भारत
हम लोग उस पीढ़ी से आते हैं जिसने राष्ट्रवाद का पाठ किसी संघ,जनसंघ या भाजपा से नहीं सीखा । हमारी पीढ़ी को राष्ट्रवाद और भारतीयता का पाठ पढ़ाया था एक शर्मीले से लम्बे और खूबसूरत अभिनेता ने ,जिसका नाम मनोज कुमार था। भारत देश का बच्चा-बच्चा मनोज कुमार को जानता था,उनसे मोहब्बत करता था और उनकी फिल्मों के गीत गुनगुनाते हुए भविष्य के सपने देखता था। मनोज मुमार जन्म से मनोज कुमार नहीं थे । उनका नाम हरिकृष्णा गिरी गोस्वामी था।
मनोज कुमार यदि मनोज कुमार न बनते तो कथा वाचक बनते,क्योंकि उनके पास लोगों को आकर्षित करने का हुनर था । मनोज कुमार उसी दिल्ली के रहने वाले थे जिस दिल्ली में ग़ालिब हुए,बहादुरशाह जफर हुए। मेरे जन्म से दो साल पहले 1957 में फिल्म फैशन से फ़िल्मी दुनिया में कदम रखने वाले मनोज कुमार 1967 में उपकार बनाकर हर भारतीय के दिल पर छा गए । ' मेरे देश की धरती सोना उगले -उगले हीरा मोती ' हर भारतीय की जुबान पर था। वे आदर्श किसान थे उस फिल्म में। संघर्ष उनकी पहचान था। जो आज आधी सदी के बाद भी अमित है।
भारत कुमार यानी मनोज कुमार ने भरी -पूरी जिंदगी पायी ।
वे 87 साल के होकर चुपचाप बिना किसी विवाद के इहलोक से विद्दा हुए हैं। उनके ऊपर कोई ऐसा दाग-धब्बा नहीं है की लोग मनोज कुमार से घृणा करे । मनोज कुमार केवल और केवल मोहब्बत के लायक थे। मनोज कुमार का फ़िल्मी सफरधीमी गति के समाचारों जैसा था । वे साल में एक फिल्म बना लें तो बहुत है। उन्हें सुपर स्टार या जुबली कुमार बनने की जल्दी शायद कभी नहीं रही। वे खरामा-खरामा अपना काम करते थ।। उनके काम करने के तरिके से आप शायद सहमत न भी हों ,लेकिन ये उनका अपना अंदाज था।
मनोज कुमार ने 1957फैशन,1958 सहारा और पंचायत में काम किया लेकिन पहचाने नहीं गए । 1960 में हनीमून भी उनके काम नहीं यी लेकिन 1961 में रेशमी रूमाल और कांच की गुड़िया के जरिये वे चर्चा में आये। इसी साल सुहाग सिन्दूर ने उन्हें पहचान दिलाई। 1962 में शादी ,नकली नबाब ,डाक्टर विद्या ,बनारसी ठग, अपना बना के देखो और मान बेटा के साथ ही हरियाली और रास्ता ने मनोज कुमार की सफलता का रास्ता खोला । उन्हें कामयाब बनाने में गीत -संगीत की अपनी भूमिका थी। मुझे याद है की 1963 में मनोज कुमार गृहस्थी में नजर आये ,इसी साल उन्होंने घर बसा के देखो में काम किया। 1964 में फूलों की सेज और अपने हुएपराये ने दर्शकों को रुलाया भी और हसाया भी। लेकिन 1964 में ही आयी एक मिस्त्री फिल्म 'वो कौन थी ' ने उन्हें हीरो के रूप में स्थापित कर दिया। गुमनाम ने उन्हें नया मुकाम दिया। 1965 में बेदाग और 1965 में ही शहीद ने उन्हें जो मुकाम दिया उसे वे ताउम्र भुनाते रहे।
मनोज कुमार ने हर विषय पर फ़िल्में लीन और अभिनय किया । शहीद के बाद पूनम की रात, से कहीं ज्यादा ' हिमालय की गोद में फिल्म ने मनोज कुमार को चमकाया । इस फिल्म का गीत ' चाँद सी मेहबूबा हो मेरी कब ऐसा मायने सोचा था। आज भी ज़िंदा है। सावन की घटा,पिकनिक,और दो बदन को कौन भूल सकता है । हम लोगों ने उस समय दो बदन स्कूल से गोत लगाकार देखीं थी । पत्थर के सनम ने मनोज के अभिनय का लोहा मनवा लिया । उपकार तो ब्लाक बस्टर और मील का पत्थर फिल्म साबित हुई। मनोज कुमार की फिल्म अनीता और आदमी जिसने भी देखी होगी वो इसे शायद ही कभी भुला पा। जब मैं कक्षा 8 का छात्र था तब मनोजकुमार की फिल्म नीलकमल को देखने लवकुशनगर [ लौंडी] से महोबा तक साइकल से गया था। उनकी फिल्म साजन,पहचान,यादगार के बाद पूरब और पश्चिम ने मनोज कुमार को जो छवि दी वो आजन्म उनके सतह चिपकी रही। उन्होंने मेरा नाम जोकर में भी काम किया।
आम आदमी के सरोकारों को लेकर बनी फिल्मों में काम करने के लिए जाने जाने वाले मनोज कुमार की फिल्म शोर ने जो शोर मचाया उसकी प्रतिध्वनि आज भी सुनाई देती ह। बाकी कुछ बचा तो महगाई मार गयी ,पानी रे पानी को कौन भूल सकता है ? बेईमान,रोटी कपड़ा और मकान तथा सन्यासी को हमारी पीढ़ी कभी नहीं भुला सकती। दस नंबरी ,अमानत,जैसी फ़िल्में बनाने वाले मनोज कुमार ने शिरडी के साइन बाबा जैसी फ़िल्में बनाने का काम भी किया। वे जाट पंजाबी भी बना सके,लेकिन क्रांति और कलियुग की रामायण तथा संतोष जैसी फ़िल्में बनाने का दुस्साहस भी मनोज कुमार जैसे हीरो ही कर सकते थे।
मुझे याद आता है कि मनोज कुमार ने 1995 की फिल्म मैदान-ए-जंग में काम करने के बाद उन्होंने अभिनय छोड़ दिया । उन्होंने अपने बेटे कुणाल गोस्वामी को 1999 की फिल्म जय हिंद में निर्देशित किया , जो देशभक्ति की थीम पर आधारित थी। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही और कुमार ने जिस आखिरी फिल्म में काम किया, वह थी।
चार दशक से अधिक के फ़िल्मी योगदान के लिए उन्हें 1999 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
मनोज कुमार को जितने सम्मान मिले उतने ज्यादा नहीं हैं लेकिन वे इन पुरस्कारों के पीछे भगे नही। उन्होंने किसी का पिछलग्गू बनना पसंद नहीं किया। वे किस का माउथपीस नहीं बने । बने भी तो आम आदमी के प्रवक्ता। लेकिन दूसरों की तरह मनोज कुमार भी आखरी वक्त में हिन्दू बन गए। मनोज कुमार ने भी रिटायरमेंट के बाद राजनीति में प्रवेश करने का फैसला किया।मुझे याद है कि 2004 के आम चुनाव से पहले, मनोज कुमार आधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। लेकिन ये उनकी गलती थी या नहीं ये वे जाने । मैं तो उनका सम्मान एक भावुक,संवेदनशील ,शांत अभिनेता के रूप में याद करता हूँ। विनम्र श्रृद्धांजलि।
@ राकेश अचल
आरकेएल गैलेक्सी स्कूल की छात्रा ओजस्वी गांधी ने 2डी डिजाइन प्रतियोगिता में जीता राजा रवि वर्मा का पुरस्कार
देश की बेटियों ने हर क्षेत्र में यह साबित कर दिखाया है कि यदि चाह हो तो कोई काम मुश्किल नहीं है और यदि सच्ची लगन और परिश्रम से कोई भी काम किया जाए तो कोई भी बाधा लक्ष्य हासिल करने से नहीं रोक सकती। यह साबित कर दिखाया है ग्वालियर में पैदा हुई और पुणे में अध्ययनरत ओजस्वी गांधी ने ।
पुणे महानगर पालिका बालगंधर्व रंगमंदिर में अयोजित तीसरी राष्ट्रीय स्तरीय कलाकृति प्रदर्शनी आरकेएल गैलेक्सी स्कूल की 7वीं कक्षा की छात्रा ओजस्वी गांधी ने 2डी डिजाइन प्रतियोगिता में 2 बार महान कलाकार राजा रवि वर्मा का पुरस्कार जीतकर यह साबित कर दिया ।
ओजस्वी गांधी ने इसका श्रेय अपनी माँ निकिता गांधी और पिता कमल गांधी को दिया है ।
4 अप्रैल 2025, शुक्रवार का पंचांग
*सूर्योदय :-* 06:08 बजे
*सूर्यास्त :-* 18:39 बजे
*श्रीविक्रमसंवत्-2082* शाके-1947
*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551*
*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल
*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु
*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* -
आज चैत्र माह शुक्ल पक्ष *सप्तमी तिथि* 20:12 बजे तक फिर अष्टमी तिथि चलेगी।
💫 *नक्षत्र आज* आद्रा नक्षत्र 29:19 बजे तक फिर पुनर्वसु नक्षत्र चलेगा।
*योग* :- आज *शोभन* है।
*करण* :-आज *गर* हैं।
💫 *पंचक* :- पंचक, गंडमूल नहीं भद्रा 20:12 बजे से है।
*🔥अग्निवास*: आज पाताल में है।
☄️ *दिशाशूल* : आज पश्चिम दिशा में।
*🌚राहूकाल* :आज 10:50 से 12:24 बजे तक अशुभ समय है।
*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:00 बजे से 12:50 बजे तक शुभ है।
प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।
*पर्व त्यौहा*: कोई नहीं
*मुहूर्त* : नामकरण, अन्नप्राशन , यज्ञोपवित है अन्य कोई नहीं
🪐 *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-
सूर्य-मीन, चन्द्र-मिथुन, मंगल-कर्क बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-मीन, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन
हर्षल-मेष में आज है।
*🌞चोघडिया, दिन*
चर 06:06 - 07:40 शुभ
लाभ 07:40 - 09:13 शुभ
अमृत 09:13 - 10:47 शुभ
काल 10:47 - 12:20 अशुभ
शुभ 12:20 - 13:54 शुभ
रोग 13:54 - 15:27 अशुभ
उद्वेग 15:27 - 17:01 अशुभ
चर 17:01 - 18:34 शुभ
*🌘चोघडिया, रात*
रोग 18:34 - 20:01 अशुभ
काल 20:01 - 21:27 अशुभ
लाभ 21:27 - 22:53 शुभ
उद्वेग 22:53 - 24:20*अशुभ
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)
जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।
मो . 9425187186
गुरुवार, 3 अप्रैल 2025
जन-गण-मन,अधिनायक जय हे
हमारे राष्ट्रगान की उक्त पंक्तियों को मैं कभी नहीं भूलता,क्योंकि इसमें भारतीय जनतंत्र की ,भारतीय गणतंत्र ,की और भारतीय मानसिकता की जय के साथ-साथ उस अधिनायक की भी जय बोली गयी है जो अदृश्य है। भारतीय जनतंत्र और गणतंत्र के बीच छिपकर बैठा ये अधिकानायक हमेशा बहुमत के रूप में हमारे सामने प्रकट होता रहता है । इसका चेहरा कभी स्त्री का होता है तो कभी पुरुष का और कभी अर्धनारीश्वर का। अधिनायक की पहचान अक्सर संसद में किसी विधेयक पर मत विभाजन के समय होती है । वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 पर मत विभाजन के समय भी ये अधिनायकत्व खुलकर सामने आया है।
वक्फ बोर्ड की सम्पत्तियों पर मौजूदा सरकार की नजर शुरू से थी लेकिन उसे कोई मौक़ा नहीं मिल रहा था,किन्तु हाल ही में महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में मिली जीत ने बैशाखी सरकार को इतना हौसला दिया कि वो मुसलमानों की टोपी जमकर उछाले। सरकार ने ऐसा किया भी। वक्फ बोर्ड क़ानून में संशोधन कर अपने लिए बोर्ड में घुसपैठ करने की गुंजायश निकाल ही li। पूरा विपक्ष मिलकर भी इसे रोक नहीं पाया। रोक भी नहीं सकता था क्योंकि संख्या बल उसके पास नहीं था। अब ये विधेयक राजयसभा में भी आसानी से पारित होने के बाद क़ानून का रूप ले लेगा। अब विपक्ष इसे न कानून बनने से रोक सकता है और न इस पर अमल करने से।
लोकसभा में इस विवादास्पद विधेयक पर पूरे 12 घंटे बहस चली । मुमकिन है कि आप में से बहुत कुछ ने ये पूरी बहस देखी हो ,लेकिन मैंने इसे पूरा देखा,सुना। इसलिए मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि सत्ता के लालच में टीडीपी और जेडीयू जैसे कथित धर्मनिरपेक्ष दलों ने जहां अपना दीन-ईमान बेच दिया वहीं उद्धव ठाकरे की शिव सेना और तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे लोग बिना लाभ-हानि की फ़िक्र किये विधेयक के विरोध में डटे रहे।अब पूरी मोदी सेना विपक्षी सांसदों को काफिर ठहराने पर लगी है। यानी मुसलमानों का समर्थन करना काफिर होना है और विरोध करना सनातनी होना है।
भारत की आजादी के पहले के और बाद के इतिहास में किसी एक बिरादरी के साथ इस तरह के दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा बर्ताव कभी नहीं हुआ। मुगलों के जमाने में तो ऐसे बर्ताव का सवाल ही नहीं उठता लेकिन अंग्रेजों ने भी ये जुर्रत नहीं की जो आज की जा रही है। सरकार की रीती,नीति और कार्यक्रम न जाने क्यों अचानक मुसलमान विरोधी हो गए हैं। सरकार अपने कार्यक्रमों और नीतियों के जरिये मुसलमानों को मुसलमान बना देने पर आमादा है। लेकिन ऐसा होगा नहीं। सरकार के मुस्लिम विरोधी रवैये से मुसलमान को अपने शुभचिंतक चुनने में पहले के मुकाबले ज्यादा आसानी होगी।
अभी तक राजनीतिक दलों पर मुसलमानो को तुष्ट करने का आरोप लगता था किन्तु अब मुसलमानों के हाथ में ये मौक़ा आया है की वे अपनी पसंद के राजनीतिक दलों को तुष्ट और पुष्ट करें। मुसलमान किस दल के साथ रहना चाहते हैं ये तय करने वाले हम और आप कोई नहीं हैं किन्तु हम लोकतंत्र में अधिनायक की पहचान में सबकी मदद कर सकते है। मुसलमानों की भी और हिन्दुओं की भी। आज से पचास साल पहले हम और इशाक भाई एक साथ एक क्लास में पढ़ते थे,खाते थे,खेलते थे । हमारी माँ और फ़रीदा बेगम में बहुत फर्क नहीं था । दोनों के आंचल की छांव एक जैसी थी ,लेकिन अब सब बदल चुका है। न इशाक हमारे साथ और न फ़रीदा बेगम। सियासत ने सभी को पराया बना दिया है। कोई डर की वजह से पराया हुआ है तो कोई सियासत की वजह से ।
संख्या बल के चलते वक्फ बोर्ड विधेयक राजयसभा में भी आसानी से पारित होगा,इसलिए वहां इस विधेयक पर बहस करने का कोई मतलब नहीं है। बहुमत के बूटों से अक्लियत का कुचला जाना अकलियत के लोगों की नियति बन चुकी है। फिर भी उम्मीद है कि बी भारत में जैसे हिलमिलकर हम सब रहते थे वैसे ही आगे भी रहेंगे। नहीं रहेंगे तो सब बर्बाद हो जायेंगे। हमारा भी वही हाल होगा जो किसी जमाने में महाराणा प्रताप का हुआ,छत्रपति शिवाजी का हुआ। छत्तरसाल का हुआ,लक्ष्मीबाई का हुआ। बंटा हुआ समाज कभी देश की ताकत नहीं हो सकता। बंधी हुई मुठ्ठी ही लाख की होती है,खुल गयी तो ये मुठ्ठी ख़ाक की हो जाती है। मैं न काफिर हूँ और न मुसलमान ,लेकिन मैं भी उसी तरह सनातनी भारतीय हूँ जिस तरह इस देश के सनातनी मुसलमान हैं। उनका भाग्य बैशाखी लगाकर सरकार चलने वाले तय नहीं कर सकते। किन्तु दुर्भाग्य है कि वे ऐसा कर रहे हैं।
ऐसे मौकों पर मुझे ' मेरे महबूब 'फिल्म का वो गीत अक्सर याद आता है जिसे शकील बदायूनी ने लिखा था। -कोई देखे या न देखे ,अल्ला देख रहा है। ' हमारी सरकार अल्लाह की सरकार नहीं है । वो राममजी की सरकार है इसलिए अल्लाह से डरती नहीं है । उसके लिए ईश्वर,अल्लाह तेरो ही नाम नहीं है। वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक से हमारा कुछ बनना और बिगड़ना नहीं है । जिनका बनना और बिगड़ना है ,उन्हें तय करना है कि वे इस मसले पर कैसे अपनी प्रतिक्रिया दें। उनके सामने दोनों विकल्प हैं। वे चाहें तो सरकार के सामने घुटने टेकेन और न चाहें तो सरकार को घुटे टेकने पर विवश करें। सरकार को न अदालत रोक सकती है और न अल्ला। सरकार को केवल और केवल वोट रोक सकता है। जो वोट की ताकत नहीं जानते,वे कुछ नहीं जानते।
इस देश में रामजी कि सरकार कभी हिन्दू मंदिरों के न्यासों के घपलों के बारे में कभी गंभीर नहीं हो सकती । कभी ये नहीं कहने वाली कि सौ साल पहले हिन्दू मंदिरों की आय कितनी थी और आज कितनी है । सौ साल पहले हिन्दू मंदिरों कि सम्पत्ति कितनी थी और आज कितनी है ?ये सरकार कभी ये देखना और जानना या रोकना पसंद नहीं करेगी कि हिन्दू मंदिरों के ट्रस्टों कि आड़ में देश के राजे-महाराजाओं ने अपनी कितनी सम्पत्ति कराधान से बचा रखी है ? अकेले ग्वालियर में एक ही राज परिवार के 19 ट्रस्ट इसी तरह से करचोरी के धंधे में लगे हैं। हरि अनंत ,हरि कथा अनंता ।
@ राकेश अचल
3 अप्रैल2025, गुरुवार का पंचांग
*सूर्योदय :-* 06:10 बजे
*सूर्यास्त :-* 18:38 बजे
*श्रीविक्रमसंवत्-2082* शाके-1947
*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551*
*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल
*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु
*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* -
आज चैत्र माह शुक्ल पक्ष *षष्ठी तिथि* 21:41 बजे तक फिर सप्तमी तिथि चलेगी।
💫 *नक्षत्र आज* रोहिणी नक्षत्र 07:01 बजे तक फिर मृगशिरा नक्षत्र चलेगा।
*योग* :- आज *सौभाग्य* है।
*करण* :-आज *कौलव* हैं।
💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा, गंडमूल नहीं है।
*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।
☄️ *दिशाशूल* : आज दक्षिण दिशा में।
*🌚राहूकाल* :आज 13:58 से 15:32 बजे तक अशुभ समय है।
*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:00 बजे से 12:50 बजे तक शुभ है।
प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।
*पर्व त्यौहा*: स्कंधषष्ठी व्रत,यमुना जयंती,भगवान संभव नाथ जी मोक्ष
*मुहूर्त* : नामकरण, वाहन है अन्य कोई नहीं
🪐 *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-
सूर्य-मीन, चन्द्र-वृष,मंगल-मिथुन, बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-मीन, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन
हर्षल-मेष में आज है।
*🌞चोघडिया, दिन*
शुभ 06:10 - 07:44 शुभ
रोग 07:44 - 09:17 अशुभ
उद्वेग 09:17 - 10:51 अशुभ
चर 10:51 - 12:25 शुभ
लाभ 12:25 - 13:58 शुभ
अमृत 13:58 - 15:32 शुभ
काल 15:32 - 17:05 अशुभ
शुभ 17:05 - 18:39 शुभ
*🌘चोघडिया, रात*
अमृत 18:39 - 20:05 शुभ
चर 20:05 - 21:31 शुभ
रोग 21:31 - 22:58 अशुभ
काल 22:58 - 24:24*अशुभ
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)
जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।
मो . 9425187186
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