डाकुओं और डॉन में जमीन -आसमान का फर्क


मै एक जमाने में दुर्दांत डकैतों के लिए बदनाम चंबल इलाके से आता हूँ ।  मैंने  अपने  पत्रकारिता के कार्यकाल में डाकुओं की जितनी कहानियां बनाई और बेचीं उतनी शायद मुंबई के डॉन की कहानियां भी नहीं बिकी होंगीं। चंबल के डाकू दो दशक पहले हमेशा -हमेशा के लिए समाप्त हो गये।  लेकिन मुंबई के डॉन आज भी ज़िंदा हैं । मुंबई के डॉन और चंबल  के डाकुओं में बहुत फर्क है ।  डाकू कभी किसी की हत्या के लिए सुपारी नहीं लेते थे,लेकिन डॉन सुपारी लेते भी हैं और देते भी हैं।

डाकू हों या डॉन मीडिया के लिए हमेशा ' हाट केक ' की तरह बिकने वाले कथानक रहे है।  आजकल मुंबई में ही नहीं पूरे देश में डाकुओं से ज्यादा डॉन की चर्चा हैं ।  डॉन लारेंस विश्नोई   द्वारा हाल ही में दिल्ली और मुंबई में सुपारी देकर कराई गयी हत्याओं के बाद सुर्ख़ियों में  हैं। भ्रष्ट नेताओं से ज्यादा खूखार डॉन सुर्ख़ियों में है।  विश्नोईयों के बारे में धारणा  है कि वे न केवल पर्यावरण प्रेमी होते हैं बल्कि काले हिरणों के सबसे बड़े संरक्षक भी होते हैं ,लेकिन इस विश्नोई समाज से यदि लारेंस डॉन बनकर निकला है तो हैरानी होती है ।  पता नहीं लारेंस का राजस्थान के विश्नोई समाज से कोई वास्ता है भी या नहीं।

मैंने अपने पत्रकारिता के जीवन में देश के इस सदी के सबसे कुख्यात और ' रॉबिनहुड ' रहे डकैत देखे है।  उनसे मिला हूँ ।  माधौ  सिंह ,मोहर सिंह ,तहसीलदार सिंह, पान सिंह,निर्भय गूजर  से लेकर फूलन देवी तक को मै खूब जानता था,लेकिन कोई इतना नृशंस नहीं था, जितना कि  आजकल के डॉन हैं।  डाकुओं ने हत्याएं   कीं,अपहरण किये, गांव के गांव जलाये लेकिन उनकी करतूतों के पीछे की कहानियां कुछ और हुआ करतीं थीं। उनके मन में हिंसा के साथ  दया-माया भी थी ।  वे रॉबिन हुड की तरह गरीबों की मदद भी करते थे और आततायियों को सबक भी सिखाते थे ।  डाकुओं ने कभी प्रदेश में बैठकर अपने गिरोह  नहीं चलाये लेकिन मोदीकाल के डाकू अमेरिका में बैठकर अपने गिरोह चला रहे है।  बीहड़ों के बजाय वातानुकूलित जेलों में रहकर गिरोह चला रहे है।

बात नए -नए डॉन लारेंस विश्नोई की हो रही थी ।  लारेंस विश्नोई हाल ही में एनसीपी [ अजित गुट ] के नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद सुर्ख़ियों में है।  उसके निशाने पर एक लोकप्रिय अभिनेता सलमान खान के अलावा अनेक खान हैं।  ये महज संयोग है या कोई नियोजित अभियान की लारेंस और सत्तारूढ़ दल के लक्ष्य एक जैसे ही है।  कभी -कभी लगता  है कि  लारेंस ने या तो संघ और भाजपा का एजेंडा चुरा लिया है या वो इन संगठनों और दलों का अंधभक्त बन गया है।  दोनों के निशाने पर अल्पसंख्यक ज्यादा हैं ,दुसरे  लोग भी हैं लेकिन अल्पसंख्यक  सबसे ऊपर है।  कहने को तो बाबा सिद्दीकी जैसे लोग संजय दत्त के भी खैरख्वाह थे।

दरअसल मै अपने नयी पीढ़ी के पाठकों को डॉन और डाकुओं में फर्क बताने की कोशिश कर रहा था ।  डाकू विषम परिस्थितियों में बीहड़ का रास्ता पकड़ते थे और डॉन सुनियोजित तरीके से मुंबई का रुख  करते हैं। डॉन और डाकू पहले छोटी  वारदात  करते  हैं ,बाद में किसी स्थापित  गिरोह में शामिल होते हैं लेकिन बाद में अनुभव हासिल होते ही डॉन अपने स्वतंत्र गिरोह बना लेते हैं। जाति डॉन की भी होती है और डाकू की भी। हाजी मस्तान से लारेंस तक और मान सिंह से लेकर  जगजीवन परिहार तक कहानियां एक जैसी हैं।दोनों कि जीवन पर फ़िल्में भी खूब बनतीं और चलतीं हैं।  लेकिन डाकू दिलेर  होते हैं और डॉन कायर।  डाकू पुलिस  से सीधे मुठभेड़ करते हुए मारे जाते हैं ,लेकिन डॉन कभी पुलिस से सीधे मोर्चा नहीं लेते ।  डाकुओं के गुर्गे नहीं होते लेकिन डॉन के होते हैं। डॉन विलासता का जीवन जीते हैं ,बड़े शहरों और बड़े देशों में रहते हैं किन्तु डाकू बीहड़ों में विषम परिस्थितयों में रहते हैं और उनके जीवन में विलासता भी बड़े ही निम्न स्तर को होती थी।

डॉन और डाकूओं  में महिलाओं  का प्रतिशत  बहुत कम  रहा है।  गुजरात  की लेडी डॉन की तरह एक जमाने में चंबल की महिला डाकू पुतली बाई एक किवदंती बन गयी थी।  फूलन तो डाकू जीवन से मुक्त होकर संसद तक पहुंची।  एक डाकू सरगना  मलखान सिंह भी फूलन  का अनुशरण   करते हुए विधानसभा में पहुँचने के लिए बार-बार चुनाव लड़ा लेकिन कामयाब नहीं हुआ।  डॉन भी किवदंती बने हैं ,लेकिन शायद ही कोई डॉन हो जो संसद तक पहुंचा हो,हालाँकि हाजी मस्तान ने डॉन बनने के बाद गाँधी  टोपी पहनकर नेतागीरी की थी लारेंस को भविष्य में कोई हिंदूवादी पार्टी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में टिकिट दे दे तो मै जानता नहीं। हाँ डाकुओं कि मंदिर हैं लेकिन डॉन कि नहीं।

लोकतंत्र के लिए डाकू और डॉन समान  रुप से उपयोगी रहे है।  मै ऐसे तमाम नेताओं को जानता हूँ जो एक जमाने में चुनावों के वक्त  चंबल में डाकुओं के प्रभाव का ,आतंक का इस्तेमाल खुलेआम करते थे।  चंबल की ये कहानी  मै महाराष्ट्र ,गुजरात और देश के हर हिस्से में दुहराते हुए देख रहा हू।  अब हर राज्य में कोई न कोई डॉन किसी न किसी नेता को चुनाव जितने के लिए अपने प्रभाव    और आतंक   का इस्तेमाल करता  है। डॉन और डाकू आतंक के कारण  ही समाज में ज़िंदा हैं। अब डॉन और डाकुओं ने अपनी   वर्दी बदल ली है।  वे खादी से लेकर 'हुडी'  तक पहनने लगे हैं।

डाकुओं के समर्पण के लिए विनोबा भावे  और जयप्रकाश नारायण से लेकर अर्जुन सिंह तक ने अथक प्रयास किये थे लेकिन डॉन को समाज की मुख्यधारा में लाने का काम किसी नेता ने किये हो तो मुझे मालूम नहीं।  डॉन आज भी सुपारी ले और दे रहा है।  हत्याएं करा रहा है। चौथ वसूली कर रहा है। डाकू ये सब छोड़ चुके हैं। वे या तो खेती कर रहे हैं  या राजनीति या समाजसेवा।  दुर्भाग्य कहूँ या सौभाग्य कि  मुझे आजतक किसी डॉन से मिलने का सौभाग्य नहीं मिला,हालाँकि  हमारे पूर्वज कहें या अग्रज स्वर्गीय वेद प्रताप वैदिक सीमा पर जाकर पाकिस्तान के डॉन हाफिज सईद से मिल आये थे। उनका और हाफिज जी का इंटरव्यू ठीक उसी तरह से सुर्खियां  बना था जैसा की एक जमाने में फूलन  और निर्भय के इंटरव्यू ।

बहरहाल डाकुओं की कहानी तो लगभग समाप्त हो चुकीहै किन्तु डॉन की फिल्म खत्म होने का नाम नहीं ले रही ।  डॉन की कहानी ने ' सीक्वल ' का रुप ले लिया है।  एक जाता है तो दूसरा आ जाता है।  ये तब तक चलेगा जब तक सियासत चाहेगी ।  जिस दिन सियासत और डॉन का रिश्ता दरकेगा डॉन की कहानी भी उसी तरह समाप्त हो जाएगी जैसे की डाकुओं की हुई है। डॉन ,डाकू और डाकिया तंत्र लोकतंत्र के लिए अभिशाप है।  इनका खात्मा जितनी जल्द हो उतना अच्छा है। अन्यथा न मुंबई चैन से रह पायेगी और न दिल्ली।

@ राकेश अचल

 


18 अक्टूबर 2024, शुक्रवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:25 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:46 बजे 

*विक्रम संवत-2081* शाके-1946 

*वी.नि.संवत- 2550* 

*सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन,

उत्तर  गोल 

*ऋतु* : शरद  ऋतु

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज कार्तिक  माह कृष्ण पक्ष *प्रतिपदा* तिथि 13:15 बजे तक फिर द्वितीया तिथि चलेगी।

💥 *नक्षत्र* अश्वनी नक्षत्र 13:25 बजे तक  फिर भरणी नक्षत्र रहेगा।

    *योग* :- आज *वज्र*  है।  *करण*  :-आज   *कैलाब* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा नहीं  गण्डमूल 13:25 बजे तक  है।

*अग्निवास*: आज आकाश  में  है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पश्चिम दिशा में।

*राहूकाल* :आज 10:41 बजे से 12:06 बजे तक  अशुभ समय है।

*अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:47बजे से 12:35 बजे तक  शुभ 

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*त्योहार* जैन अनंत  नाथ जी गर्भ कल्याणक

*मुहूर्त* :  नहीं है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-तुला, चन्द्र-मेष, मंगल-मिथुन, बुध-तुला, गुरु-वृष, शुक्र-वृश्चिक, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष मे

 *🌞चोघडिया, दिन*

चर 06:25 - 07:50 शुभ

लाभ 07:50 - 09:16 शुभ

अमृत 09:16 - 10:41 शुभ

काल 10:41 - 12:06 अशुभ

शुभ 12:06 - 13:31 शुभ

रोग 13:31 - 14:56 अशुभ

उद्वेग 14:56 - 16:22 अशुभ

चर 16:22 - 17:47 शुभ

*🌓चोघडिया, रात*

रोग 17:47 - 19:22 अशुभ

काल 19:22 - 20:57 अशुभ

लाभ 20:57 - 22:31 शुभ

उद्वेग 22:31 - 24:06*अशुभ

*अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें _मो  9425187186 (अभी तक अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी अक्षरतः सत्य सिद्ध हुई)* *ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रिय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)* 

*हस्तरेखा,जन्म कुंडली,वास्तु विशेषज्ञ*

यूनिकोड न्याय की गांन्धारी की आँखों से पट्टी का हटना सुखद


कहते हैं की जो होता है सो अच्छा ही होता है।  भारत में न्यायपालिका का प्रतीक चिन्ह आँखों पर पट्टी बंधे हाथ में तलवार लिए एक स्त्री का चित्र था ।  इसे न्याय की देवी कहा और माना जाता है ,क्योंकि न्याय देने का काम शायद देवता नहीं कर पाते हैं। न्याय की देवी की आँखों पर पट्टी शायद इसलिए बंधी गयी होगी ताकि वो नीर-क्षीर विवेक से न्याय कर सके,हाथ में तलवार शायद इसीलिए दी गयी होगी ताकि वो निर्ममता से दंड दे सके,लेकिन अब उसकी आँखों से पट्टी भी हटा दी गयी है और हाथ से तलवार भी छीन ली गयी है ।  न्याय की देवी के हाथों में उस संविधान की प्रति पकड़ा दी गयी है जो हाल के आम चुनाव में कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी और बाकी का विपक्ष लेकर घूम रहा था।

कहते हैं कि न्याय के प्रतीक को बदलने की सारी कवायद के पीछे देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ हैं।   उनके निर्देशों पर न्याय की देवी में बदलाव कर दिया गया है।  न्याय कि देवी कि नयी प्रतिमा  सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई है।   पहले जो  न्याय की देवी की मूर्ति होती थी. उसमें उनकी दोनों आंखों पर पट्टी बंधी होती थी. साथ ही एक हाथ में तराजू जबकि दूसरे में सजा देने की प्रतीक तलवार होती थी। ये बदलाव हालाँकि सांकेतिक ही है लेकिन है अच्छा।  इस फैसले पर मौजूदा सरकार की सोच भी परिलक्षित होती है। आपको याद होगा कि हमारी मौजूदा सरकार को आजकल सब कुछ बदलने का भूत सवार है ।  शहरों,स्टेशनों के नाम ही नहीं बल्कि अंग्रेजों के जमाने के तमाम क़ानून भी बदले गए हैं। ऐसे में न्यायपालिका क्यों पीछे रहे ? इसीलिए  अब भारतीय न्यायपालिका  ने भी ब्रिटिश काल  को पीछे छोड़ते हुए नया रंगरूप अपनाना शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का ना केवल प्रतीक बदला है बल्कि सालों से न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी भी हट गई है।  जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश को संदेश दिया है कि अब ' कानून अंधा' नहीं ह।  क़ानून को अंधा होना भी नहीं चाहिए ।दुर्भाग्य से देश में आज भी तमाम क़ानून अंधे हैं।  

मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य नयायधीश को ये विचार या प्रेरणा पिछले दिनों गणेशोत्स्व पर प्रधानमंत्री जी के साथ गणेश पूजन के बाद मिली।  शुरुआत अच्छी है। हम सब इसका स्वागत करते है ।  इस समय जिस भी  व्यवस्स्था की आँखों पर पट्टी बंधी हो उसे हटाने की जरूरत है। आँखों पर पट्टी का बंधा होना जहाँ नीर-क्षीर विवेक का प्रतीक माना जाता रहा है वहीं इसे जानबूझकर आखें बंद करने का प्रतीक भी माना जाता है।  द्वापर में गांधारी ने अपनी आँखों पर पट्टी अपने पति प्रेम के चलते बाँधी थी ,लेकिन उसका क्या परिणाम हुआ ,पूरी दुनिया जानती है ।  दुनिया न भी जानती हो , लेकिन भारत का बच्चा -बच्चा  जानता  है। सुप्रीम कोर्ट के इस नवाचार का हम दिल खोलकर स्वागत करते हैं और चाहते हैं कि अब देश में न्यायप्रणाली की ऑंखें न सिर्फ खुलीं हों बल्कि गंगाजल से धुली भी हो।  अभी तक भारतीय न्यायपालिका में देश का भरोसा कायम है यद्द्पि न्यायपालिका तमाम आधे-अधूरे  फैसलों की वजह से संदिग्ध हुई है तथापि उसे अनेक फैसलों की वजह से पूरा सम्मान भी हासिल है।

दुर्भाग्य ये है कि इस समय देश में कार्यपालिका हो या विधायिका,सभी की आँखों पर पट्टी और हाथों में तलवार है ।  पक्षपात की तलवार । अदावत की तलवार।  हमारी सरकार के नियंत्रण में सब कुछ है ।  न्यायपालिका भी ,क्योंकि इस अंग की नियुक्ति,वेतन-भत्तों तक की व्यवस्था सरकार करती है। सरकार भी अपनी आँखों पर पट्टी बांधकर काम करती है ।  वो जिस मंजर   को नहीं देखना चाहती उसे नहीं देखती ।  वो जहाँ तलवार चलाने की जरूरत होती है वहां तलवार को हाथ भी नहीं लगाती और जहाँ तलवार नहीं चलना होती वहां तलवार भी चलाती है और आँखों पर बंधी पट्टी भी हटा लेती है।  इस बात के उदाहरण नहीं दूंगा,इसका विश्लेषण आपको  भी करना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश माननीय चंद्रचूड़ का मानना है  कि अंग्रेजी विरासत से अब आगे निकलना चाहिए।  कानून कभी अंधा नहीं होता।  वो सबको समान रूप से देखता है।  इसलिए  न्याय की देवी का स्वरूप बदला जाना चाहिए।  साथ ही देवी के एक हाथ में तलवार नहीं, बल्कि संविधान होना चाहिए; जिससे समाज में ये संदेश जाए कि वो संविधान के अनुसार न्याय करती हैं।  न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ साहब  का मानना है कि तलवार हिंसा का प्रतीक है।  जबकि, अदालतें हिंसा नहीं, बल्कि संवैधानिक कानूनों के तहत इंसाफ करती हैं।  दूसरे हाथ में तराजू सही है कि जो समान रूप से सबको न्याय देती है।

हमें उम्मीद करना चाहिए की जिस तरह से माननीय मुख्य न्यायाधीश ने अपनी सेवा निवृत्ति से कुछ दिन पहले न्यायपालिका के प्रतीक को बदला है उसी तरह वे जाते-जाते उन सभी संवैधानिक संस्थाओं की आँखों पर बंधी पट्टी और हाथों   में ली गयी दृश्य और अदृश्य तलवारों को हटवाने का भी इंतजाम कर जायेंगे।   ईडी हो,सीबीआई हो या केंद्रीय चुनाव आयोग हो सबकी आँखों पर पट्टी और हाथों में तलवार है । आज का युग आँखों पर पट्टी बांधकर काम करने का है भी नही।  आज के युग में तलवार हाथ में लेकर दुनिया को नहीं चलाया जाता ।  आज कीदुनिया के हाथों में तलवार की जगह विनाशकारी बम आ गए हैं, मिसाइलें आ गयीं हैं  ,जो सामूहिक नरसंहार कर रहे हैं।

हमारे क़ानून के शिक्षक स्वर्गीय गोविंद अग्रवाल साहब हमें पढ़ते वक्त बताया करते थे कि -न्याय की देवी की वास्तव में यूनान की प्राचीन देवी हैं, जिन्हें न्याय का प्रतीक कहा जाता है. इनका नाम जस्टिया है. इनके नाम से जस्टिस शब्द बना था।  इनके आंखों पर जो पट्टी बंधी रहती है, उसका मतलब है कि   न्याय की देवी हमेशा निष्पक्ष होकर न्याय करेंगी।  किसी को देखकर न्याय करना एक पक्ष में जा सकता है।  इसलिए इन्होंने आंखों पर पट्टी बांधी थी। वैसे आपको भी पता है और मुझे भी पता है कि आँखों पर पट्टी बांधकर मोटर साइकल चलाना और चित्र बनाना जादूगरों का काम है,न्यायधीश ये नहीं कर सकते । नेता जरूर कर सकते हैं,कर भी रहे हैं। । बहरहाल मुख्य न्यायाधीश को इस तब्दीली के लिए तहेदिल से बधाई। कम से कम सेवनिवृर्ति से पहले वे भी एक नया इतिहास लिखकर जो जाने वाले हैं। अब पुरानी हिंदी फिल्मों में दिखाए जाने वाले अदालतों के इस प्रतीक चिन्ह का क्या होग। राम जाने ?

@ राकेश अचल


 

17 अक्टूबर 2024, गुरुवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:24बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:47 बजे 

*विक्रम संवत-2081* शाके-1946 

*वी.नि.संवत- 2550* 

*सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन,

उत्तर  गोल 

*ऋतु* : शरद  ऋतु

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज आश्विन  माह शुक्ल पक्ष *पूर्णिमा* तिथि 16:55 बजे तक फिर प्रतिपदा तिथि चलेगी।

💥 *नक्षत्र* रेवती नक्षत्र 16:19 बजे तक  फिर अश्वनी नक्षत्र रहेगा।

    *योग* :- आज *हर्षण*  है।  *करण*  :-आज   *विष्टि* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक 16:19 बजे तक भद्रा 06:48 बजे से है गण्डमूल दिन रात  है।

*अग्निवास*: आज आकाश  में  है।

☄️ *दिशाशूल* : आज  दक्षिण दिशा में।

*राहूकाल* :आज 13:32 बजे से 14:57 बजे तक  अशुभ समय है।

*अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:47बजे से 12:35 बजे तक  शुभ 

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*त्योहार* अश्विनी  पूर्णिमा,श्री बाल्मीकि जयंती

*मुहूर्त* : अन्नप्राशन  है अन्य कोई नहीं है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-तुला, चन्द्र-मीन, मंगल-मिथुन, बुध-तुला, गुरु-वृष, शुक्र-वृश्चिक, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

*🌞चोघडिया, दिन*

शुभ 06:24 - 07:50 शुभ

रोग 07:50 - 09:15 अशुभ

उद्वेग 09:15 - 10:41 अशुभ

चर 10:41 - 12:06 शुभ

लाभ 12:06 - 13:32 शुभ

अमृत 13:32 - 14:57 शुभ

काल 14:57 - 16:22 अशुभ

शुभ 16:22 - 17:48 शुभ

*🌓चोघडिया, रात*

अमृत 17:48 - 19:23 शुभ

चर 19:23 - 20:57 शुभ

रोग 20:57 - 22:32 अशुभ

काल 22:32 - 24:06*अशुभ

*अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें _मो  9425187186 (अभी तक अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी अक्षरतः सत्य सिद्ध हुई)* *ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रिय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)* 

*हस्तरेखा,जन्म कुंडली,वास्तु विशेषज्ञ*

अब प्रियंका की संसद से होगी कुड़माई

पूर्व प्रधानमंत्री  श्रीमती इंदिरा गाँधी की पौत्री और राजीव गाँधी की बेटी श्रीमती प्रियंका वाड्रा ने आखिर ना ना करते हुए भी चुनावी राजनीति में कदम रख ही दिया ।  अब अगले माह उनकी संसद से कुड़माई होगी ।  दो बच्चों की माँ और परिपक़्व राजनेता बन चुकी प्रियंका वायनाड से लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बनाई गयीं हैं। कांग्रेसजनों के लिए ये खुशखबरी और सत्तारूढ़ दल के लिए ये एक और मुद्दा होगा

हम  प्रियंका  के संसदीय राजनीति में आने का स्वागत करते हैं।  वर्तमान में वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी हैं।प्रियंका न राजनीति के लिए नई हैं और न देशवासियों के लिए। उनके पास राजनीति की एक लम्बी विरासत भी है और अनुभव भी। कांग्रेसी ही नहीं अपितु आम भारतीय प्रियंका में स्वर्गीय इंदिरा गांधी का अक्श देखता है। अक्श और वस्तविक्ता में फर्क होता है ,लेकिन हम और आप अपने पूर्वजों के अक्श के अलावा और हैं भी क्या ?प्रियंका को कांग्रेस ने वायनाड की एक ऐसी सीट से चुनाव मैदान में उतारा है जो शायद कांग्रेस के लिए बेहद सुरक्षित और आसान है ,लेकिन बेहतर होता कि वे पांच महीने पहले हुए आम चुनाव के वक्त अमेठी की अपनी अघोषित रूप से पुश्तैनी संसदीय सीट से लड़तीं।

प्रियंका के लिए सक्रिय और संसदीय राजनीति  में प्रवेश करना पार्टी की जरूरत है या उनकी अपनी विवशता ? इस विषय पर बहस हो सकती है ,लेकिन इस बात में कोई विवाद नहीं हो सकता कि वे एक धीर-गंभीर राजनेता के रूप में देश और पार्टी के लिए नयी नहीं हैं। उन्होंने चुनाव लड़ने में जानबूझकर देर की ,ये सब जानते है।  वे चाहतीं तो 20  साल पहले 2004  में ही संसदीय यात्रा शुरू कर सकतीं थीं ,लेकिन उन्होंने आम भारतीय परिवारों की तरह अपने परिवार की सियासी विरासत सम्हालने के लिए अपने से उम्र में दो साल छोटे भाई राहुल को ही आगे किया। ये प्रियंका का भाई के प्रति स्नेह है या त्याग कहना कठिन है ।  क्योंकि दोनों के बीच जो रिश्ता है वो सभी आशंकाओं,कुशंकाओं से परे खून का रिश्ता है।

कांग्रेस में प्रियंका को कमान देने की मांग समय -समय पर उठती रही हैं ।  राहुल गांधी से असहमत और नाउम्मीद कांग्रेसी ये मांग करते रहे हैं ,किन्तु प्रियंका  ने कभी इसमें कोई रूचि नहीं दिखा।  वे पिछले दो दशक से अपने भाई को राजनीति  में प्रतिष्ठित करने के लिए साये की तरह सक्रिय हैं आलोचनाओं की परवाह किये बिना। राहुल गांधी जब भी अकेले पड़े,लड़खड़ाए तो प्रियंका उन्हें सम्हालने में सबसे आगे रहीं। राहुल के ऊपर जितने सियासी हमले हुए ,उन सबके जबाब में प्रियंका ने जबाबी हमले भी किये और ढाल भी बनकर खड़ी दिखाई दीं। उनके और राहुल के बीच एक ही फर्क है कि वे राजनीयति का शालीन चेहरा मानी जाती हैं जबकि राहुल आक्रामक चेहरा।

मुझे वर्ष 1999  में प्रियंका का बीबीसी को दिया वो साक्षात्कार याद है जिसमें उन्होंने कहा था कि -मेरे दिमाग में यह बात बिलकुल स्पष्ट है कि राजनीति शक्तिशाली नहीं है, बल्कि जनता अधिक महत्वपूर्ण है और मैं उनकी सेवा राजनीति से बाहर रहकर भी कर सकती हूँ। तथापि उनके औपचारिक राजनीति में जाने का प्रश्न परेशानीयुक्त लगता है: "मैं यह बात हजारों बार दोहरा चुकी हूँ, कि मैं राजनीति में जाने की इच्छुक नहीं हूँ।'यानि आप कह सकते हैं कि प्रियंका बेमन से राजनीति में आयन थीं लेकिन अब उनका मन राजनीति में रम गया है।  प्रियंका किसी रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते हुए राजनीति   में नहीं आयीं ।  उनके पिता राजीव गाँधी, माँ श्रीमती सोनिया गाँधी ,दादी श्रीमती इंदिरा गाँधी, दादा फिरोज गाँधी ,और उनसे भी पहले पंडित जवाहर लाल नेहरू देश की राजनीति के महत्वपूर्ण अंग रहे हैं।  उनके लिए राजनीति न अपरिचित क्षेत्र है और न जरूरी।

मुझे लगता है कि प्रियंका के लिए राजनीति के जरिये देश सेवा करने का ये उचित समय है ।  उनके बच्चे भी बड़े हो गए हैं ,वे तमाम पारिवारिक जिम्मेदारियों से भी लगभग फारिग हो चुकीं है।  उनके पास अपनी माँ और भाई के चुनाव प्रबंधन का लंबा अनुभव भी है ।  2007  के उप्र विधानसभा चुनावों में उन्होंने जमकर मेहनत भी की थी। बहुत से लोग नहीं जानते होंगे कि प्रियंका मनोविज्ञान में स्नातक भी हैं इसलिए वे देश की जनता के मन को भी भलीभांति समझती हैं। संसदीय राजनीयति में उनके प्रवेश से कांग्रेस को लाभ मिलेगा या नुक्सान होगा ये कांग्रेस आकलन कर चुकी है।  प्रियंका की मौजूदगी से अब कांग्रेस में एक नए अध्याय का आगाज होग।  संसद के भीतर भी और संसद के बाहर सड़क पर भी। जो लोग राहुल से असहमत हैं वे प्रियंका से सहमत हो सकते हैं। उनके साथ  खड़े होकर काम कर सकते है।  प्रियंका राहुल के लिए चुनौती  नहीं बल्कि एक मजबूती साबित होंगी।

पिछले दो दशक में राहुल गांधी प्रधानमंत्री तो नहीं बन पाए लेकिन उन्होंने लोकसभा में विपक्ष के नेता का स्थान तो हासिल कर ही  लिया है।  संसद में अब वे अकेले नहीं होंगे।  उनकी मदद के लिए उनकी बहन भी साथ होंंगी बाशर्त कि वे वायनाड से चुनाव जीतकर आ जाएँ। भाजपा प्रियंका को शायद ही संसद में आने से रोक पाये ।  भाज पा के लिए संसद में प्रियंका का प्रवेश रोकने से ज्यादा महत्वपुर्ण महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव हैं।  झारखण्ड के चुनाव है।  इन दो राज्यों को बचाने में उलझी भाजपा शायद ही प्रियंका के सामने कोई चुनौती खड़ी कर पाए।  बेहतर तो ये हो कि भाजपा वायनाड से चुनाव लड़े ही न और एक नई नजीर पेश कर नारी शक्ति वंदन की ,लेकिन ऐसा होगा नहीं। भाजपा का दिल इतना बड़ा नहीं है। भाजपा कोशिश करेगी  कि प्रियंका  को संसद में आने से रोका जाये ,क्योंकि प्रियंका का संसद में आना उसके लिए समस्याएं ही पैदा करने वाला होगा।  

आपको याद होगा कि प्रियंका गांधी ने 1999 में राजनीति में प्रवेश किया था  , जब वो अपनी मां सोनिया गांधी के लिए चुनाव प्रचार करने उतरी थीं। इस दौरान उन्होंने पहली बार राजनीतिक मंच से भाजपा  उम्मीदवार अरुण नेहरू के खिलाफ प्रचार था। प्रियंका और प्रियंका जैसे  और भी युवा यदि राजनीति में अपनी जगह बनाते हैं तो मुमकिन  है कि राजनीति का चेहरा-मोहरा कुछ बदले ।  राजनीति अदावत के विष से मुक्त हो।

@ राकेश अचल



 

16अक्टूबर 2024, बुधवार का पंचांग



टीकमगढ़ में नवागत पुलिस अधीक्षक मनोहर सिंह मंण्डलोई ने संभाला पदभार

 टीकमगढ़ जिला ब्यूरो प्रमोद अहिरवार

टीकमगढ़। नावागत पुलिस अधीक्षक मनोहर सिंह मंण्डलोई ने 15 अक्टूबर 2024 मंगलवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पहुंचकर अपना पदभार ग्रहण किया और कामकाज शुरू कर दिया। उल्लेखनीय है कि अभी तक टीकमगढ़ जिले के पुलिस अधीक्षक का पदभार रोहित काशवानी संभाल रहे थे जिनको स्थानांतरित किया गया है रोहित काशवानी को जिला विदिशा का पुलिस अधीक्षक बनाया गया है और सेनानी 29वीं वाहिनी बिसबल दतिया से मनोहर सिंह मंण्डलोई को टीकमगढ़ के लिए पुलिस अधीक्षक के रूप में स्थानांतरित किया गया जहां श्री मंण्डलोई ने टीकमगढ़ जिले का पदभार एसपी के रूप में संभाल लिया है।



16 अक्टूबर को सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहेगा चंद्रमा शरद पूर्णिमा व्रत इसी दिन

इस बार मुख्य त्योहारों वाले दिन सुबह या शाम को तिथियों बदलने से त्योहारों को किस दिन मनाए यह जनमानस में भ्रम बना हुआ है।

अब शरद पूर्णिमा को लेकर है 16 को मनाए या 17 अक्टूबर को वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने कहा कि 16 अक्टूबर बुधवार  को पूर्णिमा तिथि रात्रि 08:40 बजे से प्रारंभ होकर 17 अक्टूबर शाम को 04:55 बजे पर समाप्त हो जायेगी। ऐसी स्थिति में शरद पूर्णिमा व्रत 16 अक्टूबर बुधवार का रखा जाएगा चंद्रोदय शाम 05:02 बजे पर हो जायेगा ।

जैन ने कहा   शरद पूर्णिमा सभी पूर्णिमाओं में एक ही ऐसी पूर्णिमा है जब चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर निकलता है सोलह कलाओं से आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण होता है। श्री कृष्ण जी को सोलह कलाओं से परिपूर्ण अवतार माना जाता है।

इसलिए आश्वनि शुक्ल पूर्णिमा को चंद्र देव की व्रत उपवास रख कर पूजा की जाती है जो नव विवाहिता पूर्णमासी का व्रत करने  का संकल्प लेती है उन्हे इसी दिन से व्रत का आरंभ करना चाहिए।

इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ अपनी धवल किरणों द्वारा अमृत की  वर्षा करता है जिससे व्यक्ति स्वस्थ्य,दीर्घायु रहता है इसी लिए इस रात्रि को गाय के दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की खुली रोशनी में मलमल के वस्त्र से ढक कर रखी जाती है इस मीठी खीर में चंद्रमा की किरणों से औषधि गुण आजाते है फिर प्रातः काल इस खीर का प्रसाद के रूप में सेवन किया जाता है।

ब्रज क्षेत्र में शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है इसी दिन श्री कृष्ण ने आध्यात्म /अलौकिक प्रेम का नृत्य प्रत्येक गोपियों के साथ किया था इस रात्रि को श्री कृष्ण जी ने आलौकिक रूप से ब्रह्मा की एक रात्रि के बराबर कर दिया था ।इस शरद पूर्णिमा को भारत के अलग अलग क्षेत्र में कोजागरा पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है और पूरे दिन व्रत/ उपवास रखा जाता है इस व्रत का अन्य नाम कौमुदी व्रत भी है।

इस दिन 16 अक्टूबर पूर्णिमा को चंद्रोदय  शाम 05:02 बजे हो जायेगा।

15 अक्टूबर 2024, मंगलवार का पंचांग

 


*सूर्योदय :-* 06:22 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:52 बजे 

*विक्रम संवत-2081* शाके-1946 

*वी.नि.संवत- 2550* 

*सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन,

उत्तर  गोल 

*ऋतु* : शरद  ऋतु

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज आश्विन  माह शुक्ल पक्ष *त्रयोदशी* तिथि 24:19 बजे तक फिर चतुर्दशी तिथि चलेगी।

💥 *नक्षत्र*पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र 22:08 बजे तक  फिर उत्तराभाद्रपद नक्षत्र रहेगा।

    *योग* :- आज *वृद्धि*  है।  *करण*  :-आज   *कौलव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक है गण्डमूल ,भद्रा नहीं है।

*अग्निवास*: आज आकाश  में  है।

☄️ *दिशाशूल* : आज  उत्तर दिशा में।

*राहूकाल* :आज 14:58 बजे से 16:25 बजे तक  अशुभ समय है।

*अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:47बजे से 12:35 बजे तक  शुभ 

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*त्योहार* भौम प्रदोष व्रत 

*मुहूर्त* :-  नहीं है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-कन्या, चन्द्र-कुंभ, मंगल-मिथुन, बुध-तुला, गुरु-वृष, शुक्र-वृश्चिक, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

 *🌞चोघडिया, दिन*

रोग 06:23 - 07:49 अशुभ

उद्वेग 07:49 - 09:15 अशुभ

चर 09:15 - 10:41 शुभ

लाभ 10:41 - 12:07 शुभ

अमृत 12:07 - 13:32 शुभ

काल 13:32 - 14:58 अशुभ

शुभ 14:58 - 16:24 शुभ

रोग 16:24 - 17:50 अशुभ

*🌓चोघडिया, रात*

काल 17:50 - 19:24 अशुभ

लाभ 19:24 - 20:58 शुभ

उद्वेग 20:58 - 22:33 अशुभ

शुभ 22:33 - 24:07*शुभ

 *अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें _मो  9425187186 (अभी तक अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी अक्षरतः सत्य सिद्ध हुई)* *ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रिय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)* 

*हस्तरेखा,जन्म कुंडली,वास्तु विशेषज्ञ*

14 अक्टूबर 2024, सोमवार का पंचांग*

 


*सूर्योदय :-* 06:22 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:52 बजे 

*विक्रम संवत-2081* शाके-1946 

*वी.नि.संवत- 2550* 

*सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन,

उत्तर  गोल 

*ऋतु* : शरद  ऋतु

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज आश्विन  माह शुक्ल पक्ष *एकादशी* तिथि 06:41 बजे तक फिर द्वादशी तिथि चलेगी।

💥 *नक्षत्र* शतभिषा नक्षत्र 24:42 बजे तक  फिर पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र रहेगा।

    *योग* :- आज *ध्रुव*  है।  *करण*  :-आज   *गर* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक है गण्डमूल नहीं भद्रा 06:41 तक है।

*अग्निवास*: आज पताल  में  है।

☄️ *दिशाशूल* : आज  पूर्व दिशा में।

*राहूकाल* :आज 07:48 बजे से 09:14 बजे तक  अशुभ समय है।

*अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:47बजे से 12:35 बजे तक  शुभ 

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*त्योहार* श्री पापांकुशा एकादशी व्रत वैष्णव

*मुहूर्त* :- नाम करण है अन्य नहीं अन्य नहीं है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-कन्या, चन्द्र-कुंभ, मंगल-मिथुन, बुध-तुला, गुरु-वृष, शुक्र-वृश्चिक, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष मे

 *🌞चोघडिया, दिन*

अमृत 06:23 - 07:49 शुभ

काल 07:49 - 09:15 अशुभ

शुभ 09:15 - 10:41 शुभ

रोग 10:41 - 12:07 अशुभ

उद्वेग 12:07 - 13:33 अशुभ

चर 13:33 - 14:59 शुभ

लाभ 14:59 - 16:25 शुभ

अमृत 16:25 - 17:51 शुभ

*🌓चोघडिया, रात*

चर 17:51 - 19:25 शुभ

रोग 19:25 - 20:59 अशुभ

काल 20:59 - 22:33 अशुभ

लाभ 22:33 - 24:07*शुभ

 *अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें _मो  9425187186 (अभी तक अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी अक्षरतः सत्य सिद्ध हुई)* *ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रिय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)* 

*हस्तरेखा,जन्म कुंडली,वास्तु विशेषज्ञ*

13 अक्टूबर 2024, रविवार का पंचांग


*सूर्योदय :-* 06:21 बजे  

*सूर्यास्त :-* 17:53 बजे 

*विक्रम संवत-2081* शाके-1946 

*वी.नि.संवत- 2550* 

*सूर्य -* सूर्यदक्षिणायन,

उत्तर  गोल 

*ऋतु* : शरद  ऋतु

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज आश्विन  माह शुक्ल पक्ष *दशमी* तिथि 09:08 बजे तक फिर एकादशी तिथि चलेगी।

💥 *नक्षत्र* धनिष्ठा नक्षत्र 26:51 बजे तक  फिर 4शतभिषा नक्षत्र रहेगा।

    *योग* :- आज *शूल*  है।  *करण*  :-आज   *गर* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक 15:43 से प्रारंभ,भद्रा 19:59 बजे से ,गण्डमूल नहीं  है।

*अग्निवास*: आज पृथ्वी  पर  है।

☄️ *दिशाशूल* : आज  पश्चिम दिशा में।

*राहूकाल* :आज 16:26 बजे से 17:53 बजे तक  अशुभ समय है।

*अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:47बजे से 12:35 बजे तक  शुभ 

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*त्योहार* श्री माधवाचार्ज जयंती, पापांकुशा एकादशी

*मुहूर्त* :- वाहन क्रय विक्रय अन्य नहीं है।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-कन्या, चन्द्र-मकर, मंगल-मिथुन, बुध-तुला, गुरु-वृष, शुक्र-तुला, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-वृष में

 *🌞चोघडिया, दिन*

उद्वेग 06:22 - 07:48 अशुभ

चर 07:48 - 09:15 शुभ

लाभ 09:15 - 10:41 शुभ

अमृत 10:41 - 12:07 शुभ

काल 12:07 - 13:33 अशुभ

शुभ 13:33 - 14:59 शुभ

रोग 14:59 - 16:26 अशुभ

उद्वेग 16:26 - 17:52 अशुभ

*🌓चोघडिया, रात*

शुभ 17:52 - 19:26 शुभ

अमृत 19:26 - 20:59 शुभ

चर 20:59 - 22:34 शुभ

रोग 22:34 - 24:07*अशुभ

 *अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें _मो  9425187186 (अभी तक अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी अक्षरतः सत्य सिद्ध हुई)* *ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रिय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)* 

*हस्तरेखा,जन्म कुंडली,वास्तु विशेषज्ञ*

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