मंगलवार, 25 मार्च 2025

होली-रंगपंचमी जैसे पर्व हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं : केंद्रीय मंत्री सिंधिया

 ग्वालियर  ।  होली दिल से दिल मिलने का त्यौहार है। होली पर रंगों में सभी के चेहरे और धर्म छुप जाते हैं। यह बात केन्द्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को ग्वालियर-15 विधानसभा क्षेत्र में ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर द्वारा कोटेश्वर पैलेस में आयोजित होली मिलन समारोह को सम्बोधित करते हुए कही। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कार्यक्रम में मौजूद कार्यकर्ताओं संग गुलाब के फूलों की वर्षा कर होली खेली। इस मौके पर संत कृपाल सिंह, भाजपा जिला अध्यक्ष श्री जयप्रकाश राजोरिया, प्रदेश मीडिया प्रभारी श्री आशीष अग्रवाल, भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य श्री वेदप्रकाश शर्मा, श्री अशोक शर्मा,श्री ओम प्रकाश शेखावत, श्री अरविन्द राय, श्री राजकुमार परमार,श्री राजेश सोलंकी, पूर्व जिलाध्यक्ष श्री अभय चौधरी, श्री कमल माखीजानी, पूर्व विधायक श्रीमती इमरती देवी, पूर्व विधायक श्री रमेश अग्रवाल, श्री मुन्ना लाल गोयल, नगर निगम सभापति श्री मनोज तोमर, भाजपा मंडल अध्यक्ष, पदाधिकारी तथा कार्यकर्ता विशेष रूप से मौजूद रहे। 


केन्द्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा होली और रंग पंचमी ऐसे पर्व है जो हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं। उन्होंने होलिका दहन  की परंपरा का जिक्र करते हुए कहा तमाम कोशिशों के बाद भी हिरण्यकश्यप भक्त प्रहलाद को मारने में कामयाब नहीं हो सका। क्योंकि जो सत्य के रास्ते पर चलते हैं, ईश्वर उनके साथ रहता है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा हमारी संस्कृति और परंपरा भी हमें यही सिखाती है कि सत्य के रास्ते पर चलो। उन्होंने कहा कि होली ऐसा त्यौहार है, जो कई विविधताएं लिए हुए है। ब्रज में अपने ढंग से होली मनाई जाती है, तो कोलकाता में  अपने ढंग से, लेकिन सभी इस पर्व पर दिल से दिल को मिलाते हैं। उन्होंने कहा होली हो या दिवाली देश की सीमाओं को पार कर गए हैं। श्रीलंका बांग्लादेश यूरोप और अमेरिका में भी होली और दिवाली मनाई जाती है। यह भारत की शक्ति का संकेत है, जो विश्व पटल पर उजागर हो रहा है।

इससे पहले होली मिलन समारोह  को संबोधित करते हुए ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, सद्भावना और सांस्कृतिक विरासत को संजोने का पर्व भी है। होली को वसंत महोत्सव, रंगों का त्योहार और प्रेम व भाईचारे का प्रतीक है। यह त्योहार धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर ऊर्जा मंत्री ने पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम के आयोजन की जानकारी दी। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित पार्टी कार्यकर्ताओं को मंच से दंडवत प्रणाम किया। साथ ही केन्द्रीय मंत्री श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया से निवेदन किया कि वह भी फूलों होली खेलें।

*ऊर्जा मंत्री ने किया रासलीला कलाकारों का सम्मान*

इस अवसर पर वृन्दावन से आए रासलीला कलाकारों ने रासलीला का मंचन किया तथा ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने रासलीला कलाकारों को सम्मानित किया।

29 मार्च शनिश्चरी अमावस्या को सूर्य ग्रहण के साथ शनि का परिवर्तन बनाएगा रंक से राजा

शनि ग्रह का नाम सुनते ही अच्छे-अच्छे लोगों के पसीने छूटने लगते हैं। किंतु शनि ग्रह इतना अशुभ नहीं है जितना कि उसे लोगों ने मानव रखा है। शनि ग्रह कर्मों का हिसाब किताब करने वाला न्याय प्रिय ग्रह कहा गया है अगर व्यक्ति की कुंडली में या हस्तरेखा में शनि ग्रह बलसाली है तो वह व्यक्ति को रंग से राजा बना देता है जितने भी उच्च पदों पर पहुंचे हैं वह सभी या तो शनि की साढ़ेसाती में या शनि की महादशा- अंतर्दशा में उच्च पदों पर पहुंचे हैं ।


ग्वालियर शहर के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी देते हुए बताया की शनि ग्रह एक राशि में ढाई वर्ष अर्थात 30 महीने रहता है।

 अभी शनि ग्रह अपने ही घरों में मकर राशि में ढाई वर्ष फिर कुंभ राशि में ढाई वर्ष चला इस प्रकार कुल 5 वर्ष शनि अपने ही घरों में रहा था इस समय जगत के लिए कई उतार-चढ़ाव कोरोना जैसी महामारी से भी जूझना पड़ा था ।

अब शनि गुरु की मीन राशि में 29 मार्च शनिवार को रात्रि 09:41 बजे  कुंभ राशि से निकल कर शनिवार ,शनिश्चरी अमावस्या के दिन मीन राशि में प्रवेश करेगा और वह ढाई वर्ष इसी गुरु की मीन राशि में रहेगा।

इस दिन से मकर राशि पर से शनि की साडेसाती साढ़ेसात वर्षों से चल रही थी वह समाप्त हो जाएगी और कुंभ राशि वालों की आखिरी  साढ़ेसाती चलेगी। मीन राशि वाले पर की हृदय पर बीच की साढ़ेसाती मेष राशि वालों पर शिर से आती साढ़ेसाती साढ़ेसात वर्ष चलेगी।

 जैन ने कहा कि  इसी के साथ वृश्चिक राशि  और कर्क राशि वालों से शनि की ढैया समाप्त होगी उनके स्थान पर सिंह राशि, धनु राशि वालों पर शनि की ढैया प्रारंभ होगी।

 शनि न्याय प्रिय ग्रह है। यदि जन्मपत्री में या हस्तरेखा में शुभ स्थिति में बैठा है तो निश्चित ही व्यक्ति को अपनी साढ़ेसाती ,ढैया या महादशा में रंक से राजा बना देता है और यदि खराब स्थिति में बैठा हो तो वह व्यक्ति के पूर्व जन्मों के कर्मों का हिसाब किताब कर उसे काफी दुःखी करता है ,बेचैन करता है, अशांत करता है, निर्धन बना देता है और यहां तक की राजा से रंग तक बना सकता है जेल और बंधन करा सकता है।

शनि ग्रह की सभी ग्रहों से धीमी चाल होने के कारण  एक राशि में ढाई वर्ष रहने के कारण यह अपना अच्छा और बुरा खास असर व्यक्ति के जीवन पर छोड़ता है। धीमी अर्थात मंद गति से चलने के कारण इसका नाम शनिश्चर पड़ा ।

जैन ने बताया 29 मार्च शनि अमावस्या के दिन इस बार सूर्य ग्रहण भी है। यह ग्रहण मीन राशि में पड़ेगा और शनि भी मीन राशि में प्रवेश करेगा शनि का साढ़ेसाती भी मीन, कुंभ और मेष राशि वालों का रहेगा। इसलिए इस दिन कुंभ मीन और मेष राशि वालों को विशेष ग्रहण वाले दिन पूजा, पाठ, स्नान, दान करना चाहिए ।

हालांकि यह सूर्य ग्रहण यूरोप, उत्तरी रूस, उत्तरी पश्चिमी अफ्रीका में दिखाई देगा भारतीय स्टैंडर्ड समय के अनुसार दोपहर 2:21 बजे पर स्पर्श 4:17 बजे पर मध्य और 6:14 बजे पर ग्रहण का मोक्ष होगा किंतु है भारत में दिखाई ना देने के कारण इसके सूतक पातक और धार्मिक मान्यता नियम मान्य नहीं है।

 शनि के मीन राशि में प्रवेश करने से महंगाई बढ़ेगी गेहूं ,चना, जो, चावल आदि अनाजो, तुअर,मूंग, मोठ, उड़द, आदि दालवाना, तिल,सरसों,मूंगफली आदि तेलवाना और सोने, चांदी, तांबा आदि धातुएं में महंगाई चरम पर होंगी।

जिन राशि वालों व्यक्तियों को शनि की साढ़ेसाती ,ढैया, महादशा  चलेगी वे शनि ग्रह से पीड़ा की शांतियार्थ इस अमावस्या को उपाय अवश्य कर करे।

एक विदूषक से घबड़ाती राजसत्ता

क्या जमाना आ गया है कि राजसत्ता एक अदने से विदूषक से घबड़ाने लगी है। मुंबई में कुणाल कामरा नाम के एक विदूषक की पैरोडी के बाद एक वर्णसंकर  सियासी दल के कार्यकर्ताओं ने कुणाल के दफ्तर में जिस तरह से तबाही मचाई उसे देखकर लगता है कि  राजसत्ता कितनी कमजोर और असहिष्णु है। कुणाल ने किसी का नाम नहीं लिया । किसी को गाली नहीं दी ,लेकिन कहते हैं न कि-' चोर की दाढ़ी में तिनका ' होता है ,सो चोरों ने कुणाल को निशाने पर ले लिये। अब महाराष्ट्र की पूरी राजसत्ता कुणाल के खिलाफ राजदंड लिए खड़ी है। 

कोई माने या न माने किन्तु ये कटु सत्य है कि  भाजपा जब से सत्ता में आयी है तभी से देश में असहिष्णुता ,साम्प्रदायिकता,संकीर्णता और बेसब्री सीमा से ज्यादा बढ़ गयी है।  भाजपा सनातन की बात करती है ,भारतीय शिक्षा और संस्कारों की बात करती है लेकिन इसके बारे में शायद जानती कुछ भी नहीं है ।  यदि जानती होती तो कुणाल कामरा के शो को लेकर तालिबानों की तरह उसके ऊपर टूट न पड़ती। कामरा के शो को लेकर बवाल शिव सेना [एकनाथ शिंदे ]ने किया है। शिंदे के बारे में कुणाल ने जो कहा वो कटु सत्य है कि  शिंदे ने न सिर्फ मूल शिव सेना से गद्दारी की बल्कि अपना सियासी बल्दियत भी बदली। बस यही वो दुखती रग थी जिसके ऊपर हाथ रखने से एकनाथ के कार्यकर्ता गुंडई पर उतर ए और उन्होंने कुणाल को सजा देने का दुस्साहस दिखा दिया। 

शिवसेना हो या भाजपा या कांग्रेस जब भी सत्ता में आते हैं तब उनका चरित्र लगभग एक जैसा हो जाता है। कांग्रेस चूंकि लम्बे समय तक सत्ता में रही इसलिए इसने सब्र करना भी सीखा और हास्य बोध   भी पैदा किया ,अन्यथा कांग्रेस के राज में लक्ष्मण,शंकर,सुधीर तैलंग  या काक जैसे मशहूर व्यंग्य चित्रकार पनप न पाते।  न राग दरबारी लिखी जा सकती थी और न हरिशंकर परसाई जैसे लेखक जीवित रह पाते ।  परसाई जी को भी संघियों ने मारने की कोशिश की थी लेकिन वे अपनी कमर टूटने के बाद भी दशकों तक अपना काम करते रहे। शिवसेना को शायद ये पता नहीं है कि  शिवसेना का ट्रीटमेंट हो   या  संघ का ट्रीटमेंट ,किसी विदूषक को,किसी व्यंग्यकार को किसी हास्य कलाकार को उसका काम करने से रोक नहीं सकता। 

भारतीय ज्ञान परमपरा की वक़ालत करने वाले संघी और शिवसैनिक शायद भारतीय ज्ञान परंपरा को जानते ही नहीं है।  उन्हें पता  ही नहीं है कि  साहित्यमें ,नाटक में कितने रस होते हैं ? वे यदि ये सब जानते तो खुद अपने पुरखों की कला का सम्मान करते ।  शिवसेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे खुद  एक व्यग्यकार यानि विदूषकों की बिरादरी से आते थे।  व्यंग्य के लिए कलम हो,कूची हो या मंच हो एक सशक्त माध्यम होता है। हास्य कलाकर हिंदुस्तान में भी होते हैं और पाकिस्तान में भी।इंग्लैंड  में भी होते हैं और अमरीका में भी। जीवन में यदि हास्य और व्यंग्य न हो तो जीवन न सिर्फ नीरस हो बल्कि नर्क बन जाये ।  हास्य-व्यंग्य कलाकार या लेख जीवन को सरस् बनाता है। कटु सत्य को शक्कर में पागकर आपके सामने पेश करता है और ऐसा करना दुनिया के किसी भी मुल्क में अपराध नहीं है । केवल तालिबानी संस्कृति में हसने,व्यंग्य करने पर स्थाई रोक होती है। 

भारत की राजनीती में हास्य बोध   लगभग मर चुका है ,हमारे नेता अब व्यंग्य करने वले को,व्यंग्य लिखने वाले को अपना दुश्मन मानने लगे हैं यही वजह है कि  पिछले एक दशक में कुणाल कामरा हों या कीकू सभी को धमकियों का समाना करना पड़ता है ,जेल जाना पड़ता है। लेकिन परसाई के वंशज कभी हार नहीं मानते ।  कुणाल ने भी हार नहीं मानी है। उसे हार मानना भी  नहीं चाहिए। भाजपाई और शिवसेना के कार्यकर्ता शायद न चार्ली चैप्लिन को जानते   हैं और न हमारे यहां के बीरबल को ।  वे मुल्ला नसरुद्दीन को भी नहीं जानते उन्होंने मुंगेरीलाल के बारे में भी पढ़ा और सुना नहीं है। वे तो यदि कुछ सीखे हैं तो तालिबानियों से सीखे हैं / भाजपा को मुसलमानों से नफरत   है तो शिवसेना को बिहारियों और गैर मराठियों से। दोनों कानून को अपने हाथ में लेने में कोई संकोच नहीं करते,खासतौर पर वहां ,जहां उनकी अपनी सरकार हो। कुणाल कि हाथ में संविधान की प्रति देख उन्हें लगा की मंच पर कुणालंहिं राहुल गाँधी खड़े हैं। 

हमारे यहां जो तमाम शब्द लोकभाषा में प्रचलित और स्वीकार्य शब्द थे उन्हें भाजपा ने सत्ता में आते ही असंसदीय घोषित कर दिया। अर्थात आप उनका इस्तेमाल संसद के भीतर नहीं करसकते,किन्तु संसद  के बाहर सड़क या किसी और मंच पर इनका इस्तेमाल न अपराध है और न इन्हें प्रतिबंधित किया गया है।  कुणाल ने जिस ' गद्दार ' शब्द का इस्तेमाल अपने गीत में किया वो भी सरकार की नजर में असंसदीय है ।  संसद  की बुकलेट में ‘गद्दार’, ‘घड़ियाली आंसू’, ‘जयचंद’, ‘शकुनी’, ‘जुमलाजीवी’, ‘शर्मिंदा’, ‘धोखा’, ‘भ्रष्ट’, ‘नाटक’, ‘पाखंड’, ‘लॉलीपॉप’, ‘चाण्डाल चौकड़ी’, ‘अक्षम’, ‘गुल खिलाए’ और ‘पिठ्ठू’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल अब लोकसभा और राज्यसभा में अब असंसदीय माना गया है। मेरा तो एक उपन्यास ही ' गद्दार ' नाम से है।गनीमत है की कांग्रेस से भाजपाई हो चुके सिंधिया समर्थकों ने इस पर कोई बखेड़ा खड़ा नहीं किया। वैसे भी  राजनीति में गद्दारी और बाप बदलना एक आम मुहावरा है।  इसे सुनकर यदि कोई बमकता है तो उसे राजनीति छोड़ देना चाहिए। 

कुणाल कामरा कोई साहित्यकार नहीं है।  वे एक स्टेंडअप कॉमेडियन हैं। ये उनका व्यवसाय है।  ये व्यवसाय गैर कानूनी नहीं है ,इसलिए उनके ऊपर हुए हमले की ,उन्हें दी जाने वाली धमकियों की घोर निंदा की जाना चाहिए। हमारे यहां तो निंदकों तक को नियरे रखने की सलाह दी जाती है क्योंकि वे स्वभाव को बिना पानी-साबुन कि निर्मल करने का माद्दा रखते हैं। एक सभ्य समाज में यदि हास्य-व्यंग्य को लेकर सरकार की और से असहिष्णुता का प्रदर्शन किया जायेगा, कलाकारों को धमकाया जायेगा ,उन्हें जेलों में डाला जाएगा    तो लोकतंत्र जीवित नहीं रह सकता। हास्य-व्यंग्य कोई गाली नहीं हैं। ये अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है ठीक उसी तरह जिस तरह की टीवी है,रेडियो है सोशल मीडिया है। इन सभी माध्यमों की सुरक्षा अनिवार्य है। इस मामले में देश की सरकार को ही नहीं बल्कि देश की सर्वोच्च न्यायपीठ को भी हस्तक्षेप करना चाहिए और कुणाल को ही नहीं  बल्कि हरिशंकर परसाई परम्परा को सांरक्षण देन चाहिए। अन्यथा वो दिन दूर नहीं जबआपको ताश के 52  पत्तों में से जोकर गायब नजर आये । 

@ राकेश अचल

25 मार्च 2025, मंगलवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:20 बजे  

*सूर्यास्त :-* 18:33 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2081* शाके-1947 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज चैत्र माह कृष्ण पक्ष *एकादशी तिथि*  27:45 बजे  तक फिर द्वादशी तिथि चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज* श्रवण नक्षत्र 27:49 बजे  तक फिर धनिष्ठा नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *शिव*  है। 

 *करण*  :-आज  *बव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा, गंडमूल नहीं 

*🔥अग्निवास*: आज पाताल में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज उत्तर दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 15:31 से 17:02 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:04 बजे से 12:53 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहा*: - पापमोचनी एकादशी व्रत

*मुहूर्त* :कोई नहीं 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मीन, चन्द्र-  मकर ,मंगल-मिथुन, बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

*🌞चोघडिया, दिन*

रोग 06:20 - 07:52 अशुभ

उद्वेग 07:52 - 09:24 अशुभ

चर 09:24 - 10:56 शुभ

लाभ 10:56 - 12:27 शुभ

अमृत 12:27 - 13:59 शुभ

काल 13:59 - 15:31 अशुभ

शुभ 15:31 - 17:02 शुभ

रोग 17:02 - 18:34 अशुभ

*🌘चोघडिया, रात*

काल 18:34 - 20:02 अशुभ

लाभ 20:02 - 21:30 शुभ

उद्वेग 21:30 - 22:58 अशुभ

शुभ 22:58 - 24:27*शुभ

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

सोमवार, 24 मार्च 2025

24 मार्च 2025, सोमवार का पंचांग


*सूर्योदय :-* 06:21 बजे  

*सूर्यास्त :-* 18:33 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2081* शाके-1947 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज चैत्र माह कृष्ण पक्ष *दशमी तिथि*  29:05 बजे  तक फिर एकादशी तिथि चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज* उत्तराषाढ़ नक्षत्र 28:26 बजे  तक फिर श्रवण नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *परिधि*  है। 

 *करण*  :-आज  *वणिज* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक, गंडमूल नहीं भद्रा 17:27 बजे से है।

*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पूर्व दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 07:53 से 09:25 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:04 बजे से 12:53 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहा*: - दशामाता पूजा

*मुहूर्त* :कोई नहीं 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मीन, चन्द्र-धनु मंगल-मिथुन, बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 *🌞चोघडिया, दिन*

अमृत 06:22 - 07:53 शुभ

काल 07:53 - 09:25 अशुभ

शुभ 09:25 - 10:56 शुभ

रोग 10:56 - 12:28 अशुभ

उद्वेग 12:28 - 13:59 अशुभ

चर 13:59 - 15:30 शुभ

लाभ 15:30 - 17:02 शुभ

अमृत 17:02 - 18:33 शुभ

*🌘चोघडिया, रात*

चर 18:33 - 20:02 शुभ

रोग 20:02 - 21:30 अशुभ

काल 21:30 - 22:59 अशुभ

लाभ 22:59 - 24:27*शुभ

 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

विनोद कुमार शुक्ल और ज्ञानपीठ पुरस्कार

 

मुझे आत्मीय ख़ुशी जब-तब ही होती है ।  पिछले वर्षों में  मुझे   ख़ुशी का अहसास बहुत कम हुआ है लेकिन पिछले दिनों जब कविवर श्री विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा की गयी तब मुझे अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हुआ। साथ ही क्षोभ भी कि ये ज्ञानपीठ वाले कितने निर्मम हैं कि पुरस्कार देने का फैसला तब करते हैं जब लेखक की कमर झूल जाती है और वो इस तरह की सामाजिक स्वीकारोक्ति का आनंद नहीं ले पाता। शुक्ल जी को भी जब ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा की गयी तब वे 88  साल के हो गए हैं। 

वर्ष 2024 के लिए प्रतिष्ठित 59 वाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा हुई है. यह भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है, जिसे भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य के लिए दिया जाता है. इसके अंतर्गत 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है. विनोद कुमार शुक्ल हिन्दी के 12वें और छत्तीसगढ़ के पहले साहित्यकार हैं जिन्हें यह पुरस्कार मिला है। शुक्ल जी के खाते  में पहले से तमाम सरकारी और असरकारी पुरस्कारत तथा  सम्मान भरे पड़े हुए हैं इसलिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार ने बहुत रोमांचित किया होगा ऐसा मै नहीं मानता,लेकिन उन्हें भी ये संतोष  तो जरूर हुआ होगा की आज भी समाज सही और प्रासंगिक लेखन का सम्मान करता है। 

छत्तीसगढ़ जैसे पिछड़े राज्य में  रहने वाले विनोद कुमार शुक्ल को अभी तक किसी ने शहरी नक्सली सम्मान से नहीं जवाजा ये भी उनकी एक बड़ी उपलब्धि है अन्यथा उन्होंने जिस ढंग से कविता में,कहानी में,उपन्यासों में, और नाटकों में कहा है वो नक्सली प्रदेश के लेखक के लिए शहरी नक्सली कहे जाने के लिए ज्यादा नहीं है  तो कम भी नहीं  है।  शुक्ल जी अपने किस्म के एक अलग लेखक है ।  उनका उपन्यास ' नौकर  की कमीज ' तो साहित्य के हरेक पाठक ने पढ़ा ही होगा न पढ़ा हो तो अब मौका है उसे पढ़ने और शुक्ल जी को जानने का। मै अपने छात्र जीवन से ही शुक्ल जी के लेखन का ,उनकी साफगोई का कायल रहा हूँ। शुक्ल जी ने जो लिखा वो तुलसीदास की तरह स्वांत; सुखाय लिखा लेकिन उसमें जन हिताय भी शामिल रहा। 

अक्सर लेखक स्वांत; सुखाय ही लिखता है किन्तु उसके लेखन में सभी का सुख और सभी का दुःख शमिल होता है। विनोद कुमार शुक्ल जी का लेखन भी इसका अपवाद नहीं हैं ,किन्तु उनका लेखन सबसे अलग इसलिए है क्योंकि वे सबसे अलग होकर सोचते और लिखते हैं।  लेखन के जरिये ख्याति मिलना आसान काम नहीं ह।  ख्याति हमेशा सियासत से जुड़े लोगों के आगे-पीछे चक्कर लगाती रहती है किन्तु शुक्ल जी को ख्याति उनके लेखन से मिली। उस लेखन से मिली जो जन सरोकारों का लेखन है।  उन्होंने जिस समय में जो कुछ भी लिखा वो धारा के   विपरीत का लेखन है। शुक्ल जी के घर पर यदि कभी ईडी  या सीबीआई छापा मारती तो उसे नोटों के बंडल नहीं बल्कि किताबों का जखीरा और सम्मानों,स्मृति चिन्हों तथा प्रशंसा पत्रों का भंडार मिलता। शुक्ल जी ने   चाहे नाटक  'आदमी की औरत ' या पेड़ पर कमरा लिखा हो चाहे'  खिलेगा तो देखेंगे'  जैसा कोई उपन्यास। हमेशा अपने पाठक को चौंकाया है ,आंदोलित किया है। उनकी कविताएं या तो सीधे-सीधे समझ में आ जाती हैं या फिर आपको परेशान करती हैं। वे सादगी से ही लिखते हैं लेकिन उनके लेखन में जो तिलिस्म है उसे   भी समझा जाना चाहिए। अपनी आधी सदी से ज्यादा की लेखन यात्रा में विनोद कुमार शुक्ल न ठहरे,न टूटे,न बिखरे। वे सतत लिखते रहे और आज भी वे स्मृतियों का खजाना अपने पास रखते है।  अब कृषकाय हैं ,ज्यादा बोल नहीं सकते,ज्यादा लिख नहीं सकते लेकिन ज्यादा सोचते आज भी हैं वे। उन्होंने हिंदी साहित्य को जितना समृद्ध किया है उसका मूल्यांकन आने वाले पचास साल तक होता रहेगा। शुक्ल जी शतायु हों ।  ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए शुक्ल जी को उनके सूबे को और सभी साहित्यप्रेमियों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं। आपको बता दूँ किहिंदी में पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1968 में सुमित्रानंदन पंत को दिया गया था । ये पुरस्कार एक उद्यमी 22  मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस के अवसर पर स्थापित किया गया था इसलिए कुछ लोग इसे बनियों का पुरस्कार भी कहते हैं।ये पुरस्कार देश की 22  भाषाओँ के साहित्य के लिए दिया जाता है। 

@ राकेश अचल

रविवार, 23 मार्च 2025

खुशियाँ का विश्वगुरु फिनलैंड हैप्पीनेस इंडेक्स में आठवी बार बाजी मारी


  

जस्टिस के खिलाफ जस्टिस आखिर कौन देगा ?

 

ऊँट पहाड़ के नीचे जब कभी आता है ,और जब आता है तब उसे पता लगता है के दुनिया में उसका कद आखिर कितना छोटा है। जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में यही सब हो रहा है। जस्टिस वर्मा के घर में हुए अग्निकांड के बाद मौके पर मिले रुपयों का ढेर भी मिला था।    सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है। वर्मा के सरकारी आवास से कथित नकदी बरामद होने के बाद उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। जांच के दौरान वर्मा न्यायिक कार्य नहीं कर पाएंगे।सीजेआई संजीव खन्ना ने जिन तीन सदस्यों की कमेटी बनाई है उसमें जस्टिस शील नागू, जस्टिस जी.एस. संधावालिया और जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। सीजेआई खन्ना ने कहा कि जांच निष्पक्ष होनी चाहिए।

आपको बता दूँ की दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी. के. उपाध्याय ने जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर कैश मिलने के मामले में एक रिपोर्ट पहले ही भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को सौंप दी गयी  है। बताया जा रहा है कि जस्टिस उपाध्याय ने घटना के संबंध में सबूत और सूचनाएं जुटाने के लिए इन-हाउस जांच प्रक्रिया शुरू की थी और शुक्रवार को ही रिपोर्ट पेश कर दी है। अब सुप्रीम कोर्ट का कलीजियम इस रिपोर्ट की पड़ताल करेगा और फिर कोई कार्रवाई कर सकता है।

जस्टिस वर्मा भले आदमी है न और व्यावहारिक भी। वे न दूध के धुले हैं और न महाकुम्भ में उन्होंने कोई डुबकी  लगाईं है। नोटों से उनका प्रेम पुराना है। एके  रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में यूपी की सिम्भावली शुगर मिल में गड़बड़ी के मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सीबीआई  ने प्रथिमिकी दर्ज की थी। जस्टिस वर्मा 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस बनाए जाने से पहले इस शुगर कंपनी में नॉन-इग्जेक्युटिव डायरेक्टर थे।

जस्टिस यशवंत वर्मा  ५६ इंच के सीने वाले जस्टिस हैं उन्होंने  अपने सरकारी आवास पर नोट बरामदगी विवाद में लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है।  भारतीय न्यायपालिका में भ्र्ष्टाचार के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी कम से कम गूगल के पास तो नहीं है लेकिन गरोक गुरु बताते हैं कीन्यायपालिका में भ्रष्टाचार के कई रूप देखे जा सकते हैं, जैसे रिश्वतखोरी, पक्षपात, राजनीतिक दबाव और पारदर्शिता की कमी। निचली अदालतों से लेकर उच्च स्तर तक, कुछ मामलों में जजों और अदालती कर्मचारियों पर अनुचित प्रभाव डालने या लाभ लेने के आरोप लगे हैं। उदाहरण के लिए, 2011 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने न्यायिक भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया था, और 2012 में "कैश-फॉर-बेल" घोटाले ने सुर्खियां बटोरी थीं, जिसमें जमानत के लिए पैसे लेने के आरोप लगे थे। इसके अलावा, लंबित मामलों की भारी संख्या (मार्च 2025 तक 4.7 करोड़ से अधिक) और न्यायिक नियुक्तियों में देरी भी भ्रष्टाचार के अवसर पैदा करते हैं, क्योंकि यह प्रक्रिया को धीमा और अपारदर्शी बनाता है। 

जहाँ तक मुझे याद है की भ्र्ष्टाचार के मामलों में आरोपी जजों के खिलाफ कार्रवाई करने में भारत बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है। आपको यद् होगा की 1993  में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस वी. रामास्वामी पर वित्तीय अनियमितताओं और कदाचार के आरोप लगे थे। उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया गया, लेकिन यह आवश्यक बहुमत हासिल नहीं कर सका और असफल रहा। यह भारत में पहला मौका था जब किसी जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव वोटिंग तक पहुंचा। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ समय-समय पर महाभियोग के लिए प्रस्ताव लाने की कोशिश हुई है, जैसे कि जस्टिस सौमित्र सेन (कलकत्ता हाई कोर्ट) के खिलाफ 2011 में। राज्यसभा में उनके खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ था, लेकिन लोकसभा में वोटिंग से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसी तरह, कुछ अन्य मामलों में जजों ने जांच या महाभियोग की प्रक्रिया आगे बढ़ने से पहले इस्तीफा दे दिया।

मुझे लगता है की जस्टिस वर्मा के मामले में भी कुछ होने वाला नहीं है। न्यायपालिका की बदनामी बचने के लिए जस्टिस वर्मा के खिलाफ जांच का कोई नतीजा जनता के सामने नहीं आएगा। भारत का मीडिया भी जस्टिस वर्मा के खिलाफ कोई नयी खोज नहीं कर पायेग।  कोई राजनितिक दल तो ईद मुद्दे पर कुछ बोलने  वाला है ही नहीं। हमारे यहां जस्टिस के लिए चुने जाने वाले लोग इनजस्टिस भी करें तो उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई आसानी से नहीं होती। जस्टिस साहिबान को कंबल ओढ़कर घी पीने की आजादी अघोषित रूप से दी गयी है ,ठीक उसी तरह जैसे जस्टिस मिश्रा को बलात्कार के मामले में ये कहने की आजादी है की किसी लड़की के स्तन छूना और उसका नाडा खोलना बलात्कार नहीं है। 

@ राकेश अचल

23 मार्च 2025, रविवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:22 बजे  

*सूर्यास्त :-* 18:32 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2081* शाके-1947 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण,दक्षिणगोल 

*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज चैत्र माह कृष्ण पक्ष *नवमी तिथि*  29:37 बजे  तक फिर दशमी तिथि चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज* पूर्वाषाढ़ नक्षत्र 28:17 बजे  तक फिर उत्तराषाढ़ नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *वणिज*  है। 

 *करण*  :-आज  *तैतिल* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा, गंडमूल नहीं   है।

*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पश्चिम दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 17:02 से 18:33 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:04 बजे से 12:53 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहा*: -

*मुहूर्त* :कोई नहीं 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मीन, चन्द्र-धनु मंगल-मिथुन, बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 *🌞चोघडिया, दिन*

उद्वेग 06:23 - 07:54 अशुभ

चर 07:54 - 09:25 शुभ

लाभ 09:25 - 10:57 शुभ

अमृत 10:57 - 12:28 शुभ

काल 12:28 - 13:59 अशुभ

शुभ 13:59 - 15:30 शुभ

रोग 15:30 - 17:02 अशुभ

उद्वेग 17:02 - 18:33 अशुभ

*🌘चोघडिया, रात*

शुभ 18:33 - 20:01 शुभ

अमृत 20:01 - 21:30 शुभ

चर 21:30 - 22:59 शुभ

रोग 22:59 - 24:27*अशुभ

 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

शनिवार, 22 मार्च 2025

एसएसपी ग्वालियर ने जिले के थाना प्रभारियों की ली बैठक

 ग्वालियर 22 मार्च।  पुलिस कन्ट्रोल रूम सभागार में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ग्वालियर श्री धर्मवीर सिंह द्वारा ग्वालियर जिले समस्त थाना प्रभारियों की  15 मार्च से 15 अप्रैल तक चलाये जा रहे निगरानी फाइल को अपडेट संबंधी अभियान तथा लंबित महिला संबंधी एवं एससी एसटी के अपराधों, जप्ती माल के निराकरण, रिकॉर्ड का बेहतर संधारण, थानों में साफ सफाई सहित थानों को आईएसओ सर्टिफिकेशन के लिये कार्य करने के संबंध में बैठक ली गई।

 बैठक में अति. पुलिस अधीक्षक(पूर्व/यातायात/अपराध) श्री कृष्ण लालचंदानी, अति. पुलिस अधीक्षक(मध्य) श्रीमती सुमन गुर्जर, अति. पुलिस अधीक्षक(पश्चिम) श्री गजेन्द्र वर्धमान, अति. पुलिस अधीक्षक(ग्रामीण) श्री निरंजन शर्मा सहित समस्त राजपत्रित अधिकारी एवं थाना प्रभारीगण उपस्थित रहे।
बैठक के प्रारम्भ में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ग्वालियर द्वारा दिनांक 15 मार्च से 15 अप्रैल तक चलाये जा रहे निगरानी फाइलों को अपडेट करने के संबंध में समीक्षा की और थानों द्वारा तैयार की गई निगरानी फाइलों को चेक किया जाकर उन्हे 30 मार्च तक अपडेट करने के लिये कहा और आदतन अपराधियों की नवीन निगरानी फाइल खोलने के निर्देश दिये।
     थाना प्रभारियों एवं राजपत्रित अधिकारियों को  निगरानी फाइलों में अपनी टीप आवश्यक रूप से अंकित करने के निर्देश दिये और कहा कि जो निगरानी बदमाश विगत 05 साल से शांतिपूर्ण तरीके से अपना जीवन यापन कर रहे हैं उन्हे निगरानी से माफी में लाने की कार्यवाही की जाए तथा ऐसे निगरानी बदमाश जो अन्य जिलों में जाकर बस गये हैं उनकी निगरानी फाइलों को संबंधित जिलों में स्थानांतरित की जाएं। बैठक में उन्होंने लंबित मर्ग का शीघ्र निकाल करने के निर्देश दिए साथ ही उन्होने कहा कि दुष्कर्म एवं पॉक्सो एक्ट के मामलों को अनावश्यक लंबित न रखा जाए समयसीमा में ऐसे मामलों में चालानी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए और एससी/एसटी के लंबित मामलों का भी गंभीरता से निराकरण करने के प्रयास किये जाएं।

भगवान अमित शाह को शक्ति प्रदान करे

 

मैं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मुंह में घी-शक्कर भर देना चाहता हूँ ,क्योंकि उन्होंने संसद में  अहम घोषणा करते हुए कहा कि 31 मार्च 2026 से पहले देश के सभी हिस्सों से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने का संकल्प लिया है। 375 दिन में नक्सली खत्म, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की इस गारंटी को पूरा करने में सीआरपीएफ, डीआरजी, एसटीएफ, बीएसएफ और आईटीबीपी के जवान जुट गए हैं।गूगल की परिभाषा के मुताबिक नक्सलवाद साम्यवादी क्रान्तिकारियों के उस आन्दोलन का अनौपचारिक नाम है जो भारतीय कम्युनिस्ट आन्दोलन के फलस्वरूप उत्पन्न हुआ।

सब जानते हैं कि नक्सलवाद  से अकेले छत्तीसगढ़  ही नहीं अपितु ओडिशा,महाराष्ट्र और झारखण्ड भी बुरी तरह प्रभावित रहा है। चूंकि ये एक उग्र संगठित आंदोलन है इसलिए इसके समर्थक भी हैं और ये विचार जंगलों से चलकर शहरों तक आ चुका है इसीलिए शहरों में रहकर काम करने वाले नक्सलियों को ' अर्बन नक्सली ' कहा जाने लगा है ,हालाँकि ये एक गलत परिभाषा है। क्योंकि शहरी नक्सलियों के पास बंदूकें नहीं किताबें और बुद्धिबल होता है। 

बहरहाल देश को नक्सलियों से मुक्ति दिलाने की बात हो रही है ।  देश में यदि सरकार चाहे तो कोई भी वाद समाप्त किया जा सकता है ,वो भी बिना बन्दूक के। लेकिन हर सरकार नक्सलवाद से बन्दूक से निबटती  आयी है। नकस्लवाद के खिलाफ लड़ते हुए सरकारों ने अपने तमाम अर्धसैन्य बल को खपाया ह।  बड़ी तादाद में हमारे जवान मारे गए हैं ,नक्सल विरोधी अभियान में जितने नक्सली मारे गए उससे ज्यादा वे आदिवासी मारे गए जो एक तरफ नक्सलियों से परेशान होते हैं और दूसरी तरफ पुलिस से। नक्सलियों के नाम पर निर्दोष आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ों में मरने की सैकड़ों वारदातें देश में हो चुकी हैं। 

सवाल ये है कि  क्या सचमुच नक्सलवाद समाप्त हो जायेगा ।  यदि सरकारी दावों को सही माना जाये तो  गृह मंत्री की इस मुहिम का असर दिखने लगा है। घने जंगल में और नक्सलियों के गढ़ में पहुंचकर सीआरपीएफ व दूसरे बलों के जवान 48 घंटे में 'फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस' स्थापित कर रहे हैं। अब इसी एफओबी के चक्रव्यूह में फंसकर नक्सली मारे जा रहे हैं। सुरक्षा बलों ने ऐसा जाल बिछाया है कि जिसमें नक्सलियों के पास दो ही विकल्प बचते हैं। एक, वे सरेंडर कर दें और दूसरा, सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में गोली खाने के लिए तैयार रहें। 

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक नक्सलियों के गढ़ में अभी तक 290 से ज्यादा कैंप स्थापित किए जा चुके हैं। 2024 में 58 कैंप स्थापित हुए थे। इस वर्ष 88 कैंप यानी एफओबी स्थापित किए जाने के प्रस्ताव पर काम शुरु हो चुका है। ये कैंप नक्सल के किले को ढहाने में आखिरी किल साबित हो रहे हैं। जिस तेजी से 'फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस' स्थापित हो रहे हैं, उससे यह बात साफ है कि तय अवधि में नक्सलवाद को खत्म कर दिया जाएगा। सुरक्षा बल, नक्सलियों के गढ़ में जाकर उन्हें ललकार रहे हैं। 

इस साल जनवरी में ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर क्षेत्र, गरियाबंद में  ऑपरेशन ग्रुप ई30, सीआरपीएफ कोबरा 207, सीआरपीएफ 65 एवं 211 बटालियन और एसओजी (स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप) की संयुक्त पार्टी के साथ हुई एक बड़ी मुठभेड़ में 16 नक्सली मारे गए थे। भारी संख्या में हथियार और गोला बारूद बरामद हुआ। उस ऑपरेशन में एक करोड़ रुपये का इनामी नक्सली जयराम चलपती भी ढेर हुआ था। फरवरी में बीजापुर के नेशनल पार्क इलाके में हुई मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए थे।नक्सलियों के हमलों में भी बड़ी संख्या में नागरिक और पुलिस तथा अर्धसैन्य बल के जवान भी मारे जाते रहे हैं। 

एक जमाने में मध्य्प्रदेश और बिहार में डाकुओं का आतंक भी ठीक वैसा ही था जैसा इन राज्यों में डकैतों का था ।  मप्र में डकैत उन्मूलन २००६ में पूरा हो गया ।  अब चम्ब्ल के बीहड़ सूने पड़े हैं। चंबल में आखरी सूचीबद्ध डाको गिरोह जे जे उर्फ़ जगजीवन परिहार का मारा गया था अब पुलिस रिकार्ड में सूचीबद्ध गिरोह हैं लेकिन बराये नाम। डाकुओं की तरह नक्सलियों का खतम आसान नहीं है क्योंकि नक्सली एक राजनीतिक विचारधारा से जुड़े हैं। डाकुओं की कोई राजनीतिक विचारधारा नहीं थी  इसलिए उनका खात्मा आसान रहा है। नक्सलियों के साथ ऐसा नहीं है। लेकिन यदि सरकार चाहे तो नक्सल समस्या का हल हो सकता है। लेकिन देश के वनवासी इलाकों के लिए जिस तरह की नीतियां सरकार बनाती है उनसे नक्सलवाद का सामना करना आसान नहीं है ।यदि होता तो नक्सलवाद अब तक समाप्त हो चुका होता। 

आपको बता दें कि  नक्सलियों से निबटने के लिए हर सरकार ने काम किया फिर चाहे वो कांग्रेस की सरकार रही हो  या भाजपा की  या वामपंथियों की सरकार। सबने नक्सल्वाद को बन्दूक से समाप्त करने की कोशिश की। मैंने अपने छात्र जीवन में पढ़ा था कि  नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान  स्टीपेलचेस अभियान था वर्ष  1971 में चलाया गए इस  इस अभियान में भारतीय सेना तथा राज्य पुलिस ने भाग लिया था। अभियान के दौरान लगभग 20,000 नक्सली मारे गए थे।लेकिन इस महा अभियान के बाद भी नक्सलवाद समूल समाप्त नहीं  हुआ। दूसरा बड़ा अभियान  वर्ष 2009 में ग्रीनहंट के नाम से चलाया गया। । इस अभियान में पैरामिलेट्री बल तथा राष्ट्र पुलिस ने भाग लिया। यह अभियान छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश तथा महाराष्ट्र में चलाया गया। कोई सात साल पहले 3 जून, 2017 को छत्तीसगढ़ राज्य के सुकमा जिले में सुरक्षा बलों द्वारा अब तक के सबसे बड़े नक्सल विरोधी अभियान ‘प्रहार’ को प्रारंभ किया गया। किया गया।एक जमाने में हमारे मित्र और भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी केएस शर्मा ने भी इस अभियान को गांधीवादी तरिके से समाप्त करने की कोशिश की थी लेकिन उसे सरकारों का ज्यादा समर्थन नहीं मिला। 

बहरहाल नक्सलवाद के खिलाफ जंगलों से लेकर शहरों तक में अभियान जारी है। अब देखना है की भाजपा इस मामले में कितनी  कामयाब होती है। 

@ राकेश अचल

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